Dhakad Exclusive: यूक्रेन पड़ा अकेला, बाइडेन ने छोड़ा साथ? रूस के कब्जे में चेर्नोबिल, कीव में भयंकर युद्ध

यूक्रेन में रूस की तबाही युद्ध के दूसरे दिन भी जारी है। दूसरे दिन यूक्रेन की राजधानी कीव में रूसी सेनाएं घुसीं और हर तरफ से धावा बोल दिया। ओवोलोन की सड़कों पर रूस के टैंक घूमते देखे गए।

Ukraine was left alone, Biden left, Russian occupied Chernobyl, fierce war in Kiev
रूस और यूक्रेन के बीच भीषण युद्ध जारी 
मुख्य बातें
  • जल-थल-नभ से रूस का यूक्रेन पर हमला
  • यूक्रेन अकेला..NATO की भी 'NO'?
  • यूक्रेन दूसरे दिन हुए भीषण हमले के बाद पस्त होता नजर आया।

धाकड़ एक्सक्लूसिव में आज यूक्रेन में चल रहे युद्ध की बात हुई। यूक्रेन में रूस के हमले का दूसरा दिन। और दूसरे दिन भी यूक्रेन से आईं तबाही की कई तस्वीरें। पुतिन का यूक्रेन पर हमला अब निर्णायक मोड़ पर है। राजधानी कीव के आसपास लड़ाई तेज है। कभी भी कीव पर रूस का कब्जा हो सकता है। यूक्रेन ने रूस के ताबड़तोड़ हमले के बाद रूस के बातचीत की इच्छा जताई है। लेकिन गुस्सा अपने दोस्तों पर भी निकाला है। जिन्होंने इस दो दिन में सैन्य मदद की बजाए सिर्फ आश्वासन देने और बैठकें करने का काम किया। यानी पुतिन का आक्रमण और हर ओर सिर्फ सरेंडर सरेंडर सरेंडर होने जैसा माहौल, सबसे पहले आपको यूक्रेन में आज हुए युद्ध के हालात दिखाते हैं। लड़ाई स्नेक आईलैंड की भी बताएंगे। जहां रूस ने पहले यूक्रेन के सैनिकों को सरेंडर करने की वॉर्निंग दी और फिर सरेंडर न करने पर सभी 13 सैनिक मारे गए।

यूक्रेन में रूस की तबाही युद्ध के दूसरे दिन भी जारी है। दूसरे दिन यूक्रेन की राजधानी कीव में रूसी सेनाएं घुसीं और हर तरफ से धावा बोल दिया। ओवोलोन की सड़कों पर रूस के टैंक घूमते देखे गए। ओवोलोन में दोनों देशों की सेना के बीच झड़प हुई। कीव के पास भारी गोलाबारी की गई। मिंस्क इलाके में मेट्रो स्टेशन बंद किया गया। रूस की सेना को कीव पहुंचने से रोकने के लिए यूक्रेन की सेना ने राजधानी को जोड़ने वाले कई पुल उड़ा दिए थे। लेकिन यूक्रेन को इसका कोई खास फायदा नहीं मिला।

रूस के धमाके यूक्रेन के ओडेसा में भी हुए। 5 धमाकों से ओडेसा दहल उठा। जिसके बाद ओडेसा इंटरनेश्नल एयरपोर्ट पर सभी फ्लाइट रद्द की गईं। रूसी हमले से भारी तबाही स्टारोबिल्स्क में भी देखने को मिली। यहां रूस के हवाई हमलों में कई घर नष्ट हो गए। रूस की सेना ने इवानो और रिव्ने के हवाई अड्डों पर यूक्रेन के सैन्य उपकरणों को हमला करके तबाह किया।

यूक्रेन ने इस दौरान कुछ रूसी सैनिकों को पकड़ा। पकड़े गए रूसी सैनिकों का वीडियो जारी किया यूक्रेन के राष्ट्रपति के सलाहकार ने इस बीच दावा किया कि यूक्रेन ने जवाबी हमले में रूस के दो मिसाइल को मार गिराया। लेकिन यूक्रेन के उपरक्षा मंत्री ने बयान दिया कि रूसी सेना ने यूक्रेन के 2 टैंक को कब्जे में लिया। यूक्रेन सरकार के मुताबिक रूसी सैनिकों ने यूक्रेन सेना की यूनिफॉर्म पहन कर यूक्रेन के सैन्य वाहनों पर कब्जा किया।

इन सबके बीच कीव के साथ साथ सबसे अहम लड़ाई यूक्रेन के स्नैक आईलैंड में भी लड़ी गई। ये वीडियो यूक्रेन के हौसले और रूस के विजय पाने की कहानी कह रहा था। स्नैक आईलैंड के समंदर में खड़े रूस के युद्धपोत लगातार यूक्रेन के सैनिकों को सरेंडर कर देने की चेतावनी दे रहे थे लेकिन जमीन पर रूसी सैनिकों को रोकने के लिए तैनात यूक्रेन के 13 सैनिकों ने उनसे जमकर मोर्चा लिया। जिसके बाद इस भीषण युद्ध में यूक्रेन के 13 सैनिकों के शहीद होने की खबर आई।

यूक्रेन दूसरे दिन हुए भीषण हमले के बाद पस्त होता नजर आया। यूक्रेन के राष्ट्रपति ने भले ही ये कहा कि वो रूस के हमलों के आगे झुकेंगे नहीं। लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति ने भारी नुकसान होता देख और चौतरफा घिर जाने के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत करने की इच्छा जताई। 

अब सवाल ये है कि यूक्रेन के सामने सरेंडर जैसी नौबत क्यों आई?

तो इसका जवाब बस यही है कि यूक्रेन को अपने जिन दोस्तों पर सबसे ज्यादा भरोसा था, उन्हीं दोस्तों ने यूक्रेन को मुश्किल घड़ी में अकेला छोड़ दिया। अमेरिका, ब्रिटेन, नाटो देश सबने पहले तो रूस के खिलाफ जमकर यूक्रेन का जमकर हौसला बढ़ाया, लेकिन जब युद्ध के मैदान में यूक्रेन की तरफ से उतरने की बारी आई, तो सबने यूक्रेन का साथ छोड़ा, हाथ खड़ा कर लिया।

पुतिन का आक्रमण, यूक्रेन करेगा सरेंडर?

अब देखने वाली बात ये होगी कि क्या यूक्रेन ऐसी परिस्थिति में रूस को कितनी चुनौती दे पाएगा या फिर यूक्रेन अपने लोगों को बचाने के लिए रूस के आगे सरेंडर करेगा? रूस-यूक्रेन महायुद्ध विनाश ,रूस का दावा- यूक्रेन के 74 मिलिट्री बेस तबाह किए। यूक्रेन के 137 जवानों को मारा गया। मारे गए 137 में से 10 अफसर थे। पहले दिन 316 जवान घायल हुए। दूसरे दिन यूक्रेन के 18 टैंक तबाह। रूस के 7 लड़ाकू विमान गिराए। रूस के 50 सैनिकों को मारा रूस की 2 कार्गो शिप पर हमला।

रूस के हमले के बीच यूक्रेन आज अकेला पड़ गया है। हालात ये हो गई है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति ने एक तरह से सरेंडर करने वाले हालात में पुतिन को यूक्रेन आने का न्योता दे दिया है। यूक्रेन अब रूस से बातचीत करना चाहता है। यूक्रेन की ये नौबत अगर आज हुई है तो उसके पीछे सिर्फ और सिर्फ अमेरिका है। जिसने उसे सब्जबाग तो कई दिखाए लेकिन जब साथ देने की बारी आई, तो किनारा कर लिया। इसे आप पुतिन के सामने बाइडन का सरेंडर भी कह सकते हैं। जिन्होंने यूक्रेन की मदद के लिए अपने सैनिक भेजने से साफ इनकार कर दिया।

यूक्रेन में रूस के हमले के बीच हर तरफ तबाही का मंजर है। यूक्रेन के राष्ट्रपति इस खूनखराबे को रोकने के लिए रूस से बातचीत करना चाहते हैं... रूस बातचीत करने के लिए तैयार भी है लेकिन इस शर्त के साथ कि यूक्रेन पहले युद्ध रोके..इसके बाद रूस बातचीत करेगा। रूस ने इसके साथ ही यूक्रेन के परमाणु शक्ति संपन्न बनने के सपने पर भी प्रहार किया। रूस ने कहा कि रूस को ये कतई मंजूर नहीं था क्योंकि इससे रूस की  संप्रुभता को खतरा पैदा हो जाता। रूस यूक्रेन के उन राज्यों में प्रमुखों के खिलाफ जारी हमलों को लेकर उदासीन नहीं हो सकता। उनकी सहायता के लिए ही राष्ट्रपति पुतिन ने एक विशेष सेना का संचालन करने का निर्णय लिया। जिससे कि यूक्रेन को असैन्यीकरण किया जा सके। और उसके अत्याचारों को रोका जा सके।

अब समझने वाली बात ये है कि यूक्रेन को ये सपना किसने दिखाया और क्यों दिखाया.? तो इसके लिए रूस अगर किसी देश पर सबसे ज्यादा उंगली उठा रहा है तो वो है अमेरिका जिसने यूक्रेन को 2014 के बाद से ही रूस के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश की। इस लालच में कि यूक्रेन अगर अमेरिका के कहे पर चलेगा, तो यहां से अमेरिका रूस पर नियंत्रण पा सकेगा, शायद इसीलिए अमेरिका पूरी कोशिश में था कि यूक्रेन को नेटो देशों में शामिल करा लिया जाए। 

रूस की चिढ़ इसलिए भी ज्यादा थी और पुतिन ने इन्हीं सब कारणों से यूक्रेन पर धावा बोल दिया। लेकिन यहां किस्सा कुछ और भी है अंत समय में अमेरिका ने यूक्रेन का साथ क्यों नहीं दिया। जिसमें उन्होंने यूक्रेन की तरफ से अपने सैनिकों को लड़ाई लड़ने के लिए भेजने वाले फैसले पर पूरी तरह से ना कर दिया। यानी अमेरिका का यूक्रेन को हर संभव साथ देने का वादा झूठा था और दुनिया को दिखाने के लिए अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंधों की झड़ी लगा दी। जबकि जानकारों के मुताबिक, अमेरिका की तरफ से लगाए गए रूस पर ये प्रतिबंध भी हल्के नाकाफी साबित हुए और ब्रिटेन की ओर से जो प्रतिबंध लगाए गए। वो भी कुछ इसी तरह से हैं यानी सारे दोस्तों से संकट की घड़ी में यूक्रेन को मिला तो सिर्फ धोखा... ऐसे में दूसरा सवाल ये भी है कि क्या अमेरिका या ब्रिटेन जैसे देश हर मौके पर अपना ही हित देखते हैं? ठीक वैसे ही, जैसा कि अमेरिका ने अफगानिस्तान के साथ किया?

या फिर अमेरिका ये बात जान चुका है कि रूस से लड़ने की अब उसकी हैसियत नहीं ? इसलिए युद्ध करने से पीछे हट गया?
अगर इसका जवाब हां में है तो क्या अमेरिका अब दुनिया में शक्तिशाली देश के तौर पर नंबर 1 नहीं रहा, नंबर 2 हो गया और नंबर वन की गद्दी पर रूस काबिज हो चुका है?

इसका जवाब अमेरिका के लचर स्टैंड को देखते हुए समझा जा सकता है लेकिन जहां तक पुतिन की बात है तो पुतिन के इरादे अब धीरे-धीरे स्पष्ट हो रहे हैं वो सोवियत संघ को फिर से खड़ा करने के मजबूत इरादे पर आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं और पुतिन का ये बड़ा प्लान आने वाले दिनों में दुनिया में तबाही की कई और तस्वीरें भी दिखा सकता है।

  • प्रतिबंध- रूस के सबसे बड़े बैंक Sberbank पर अमेरिकी प्रतिबंध    
  • प्रभाव- Sberbank के पास रूस की बैंकिंग क्षेत्र की संपत्ति 1/3 हिस्सा है
  • प्रतिबंध- रूस के दूसरे सबसे बड़े वित्तीय संस्थान, VTB बैंक पर प्रतिबंध
  • प्रभाव- VTB के पास रूस की बैंकिंग क्षेत्र की संपत्ति का लगभग पांचवां हिस्सा है।
  • प्रतिबंध- 13 महत्वपूर्ण रूसी वित्तीय संस्थाओं पर नए ऋण और इक्विटी प्रतिबंध
  • प्रभाव- ये संस्थाएं अमेरिकी बाजार के माध्यम से धन जुटाने में असमर्थ होंगी।
  • प्रतिबंध- रक्षा, विमानन और समुद्री प्रौद्योगिकी रूस-व्यापी प्रतिबंधों के अधीन है
  • प्रभाव- मास्को के तकनीकी सामानों के आयात को रोक देगा

यूक्रेन को सिर्फ अमेरिका और ब्रिटेन से ही सैन्य सहायता के मामले में धोखा नहीं मिला बल्कि नेटो देशों की ओर से भी इसमें निराशा हाथ लगी। वो नेटो, जो कल तक ये दम भरता फिर रहा था कि उसके 120 युद्धपोत रूस को जवाब देने के लिए तैयार हैं। और 100 एयरक्राफ्ट भी हाईअलर्ट पर हैं। लेकिन अब यही नेटो सिर्फ बैठकें कर रहा है तो क्या नेटो ने भी पुतिन के आगे अप्रत्यक्ष तौर पर सरेंडर कर दिया?

पल-पल तबाह हो रहा है यूक्रेन और यूक्रेन की इस तबाही का प्रत्यक्ष कारण रूस का हमला है तो अप्रत्यक्ष कारण अमेरिका और NATO देश हैं। यूक्रेन में रूस के हमले का आज दूसरा दिन है। पहले दिन NATO ने बड़ी बड़ी बातें कीं। हमने अपने डिफेंस सिस्टम को एक्टिवेट कर दिया है जिससे वो किसी भी NATO क्षेत्र पर आगे नहीं बढ़ पाएंगे, रूस ने एक NATO के सहयोगी पर हमला किया है, तो NATO के सभी सहयोगी जवाब देंगे, इस डर से रूस आगे हमला नहीं करेगा, इतिहास में NATO गठबंधन सबसे बड़ा है। नेटो ने कहा कि रूस डरेगा आगे हमला नहीं करेगा। क्योंकि नेटो ने अपना डिफेंस सिस्टम एक्टिवेट कर दिया है। यूक्रेन तबाह हो रहा है सवाल ये है कि NATO का डिफेंस सिस्टम कहां है या फिर NATO की कहनी और कथनी में अंतर है। यूक्रेन को मदद का सपना तो दिखाया। मदद नहीं, दिया तो सिर्फ धोखा।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा...

मैं अपने देश के सभी सहयोगियों से कह रहा हूं कि फिलहाल हमारे देश के भाग्य का फैसला हो रहा है। मैंने उनसे पूछा है, क्या आप हमारे साथ हैं? उनका जवाब है कि वो साथ हैं। लेकिन वो हमें गठबंधन में लेने को तैयार नहीं हैं। यूक्रेन को बात समझ में आई लेकिन अब देर हो चुकी है। रूस यूक्रेन की राजधानी कीव तक पहुंच चुका है। यूक्रेन में हर तरफ रूस के टैंक फाइटर एयरक्राफ्ट बमवर्षा कर रहे हैं। अमेरिका और NATO के भरोसे रूस से दुश्मनी मोल लेने के बाद अब यू्क्रेन के पास सिर्फ सवाल पूछने का ही विकल्प बचा हुआ है।

"हम अपने देश के लिए सुरक्षा गारंटी के बारे में बात करने से डरते नहीं हैं। तटस्थ स्थिति के बारे में बात करने से डरते नहीं हैं। लेकिन हमारी सुरक्षा गारंटी क्या होगी? और सुरक्षा गारंटी कौन से देश हमें देंगे? यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का गुस्सा वाजिब है। रूस के हमले से पहले मदद का दम भरने वाले NATO देश यूक्रेन की तबाही पर मूकदर्शक बने हुए हैं। ऐसा नहीं कि बिल्कुल मदद नहीं की...की है...हथियार दिए हैं...लेकिन हथियार चलाने वाले हाथ नहीं दिए यानी सैनिक नहीं दिए आज यूक्रेन को जिनकी सख्त जरूरत है।


 

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