वाशिंगटन : अमेरिकी सीनेट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को महाभियोग के सभी आरोपों से बरी कर दिया है। दुनिया के सबसे शक्तिशाली द्वितीय सदन ने राष्ट्रपति को सभी आरोपों से बरी कर दिया। उन पर सत्ता के दुरुपयोग और अमेरिकी कांग्रेस के कामकाज में बाधा डालने के आरोप लगे थे, जिसे सीनेट ने निराधार पाया। ट्रंप के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर बुधवार को वोटिंग हुई, जिसमें यह प्रस्ताव गिर गया।
सीनेट में यह प्रस्ताव गिरने के साथ ही ट्रंप को व्हाइट हाउस से बाहर किए जाने के अभियान पर रोक लग गई है। रिपब्लिकन पार्टी के बहुमत वाली सीनेट ने ट्रंप के खिलाफ सत्ता के दुरुपयोग के आरोप को 52-48 से खारिज कर दिया, जबकि कांग्रेस के कामकाज में बाधा डालने के आरोप को 53-47 वोटों से खारिज कर दिया गया।
ट्रंप पर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से संभावित उम्मीदवार जो बाइडेन की छवि खराब करने के लिए यूक्रेन पर दबाव डालने का आरोप लगा था। डेमोक्रेट सांसदों की ओर से ट्रंप के खिलाफ यह प्रस्ताव ऐसे समय में लाया गया था, जबकि अमेरिका में नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव होना है। माना जा रहा है कि चुनाव से कुछ महीनों पहले आए सीनेट के इस फैसले का लाभ उन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हो सकता है।
अगर आरोप साबित हो जाते तो क्या होता?
राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ अगर कोई भी आरोप साबित हो जाता तो उन्हें अपना कार्यभार उप-राष्ट्रपति माइक पेंस को सौंप कर इस्तीफा देना पड़ता। महाभियोग का प्रस्ताव अमेरिकी कांग्रेस के निम्न सदन प्रतिनिधि सभा से पहले ही पारित हो चुका था। डेमोक्रेट सांसदों के बहुमत वाले सदन ने 18 दिसंबर, 2019 को ट्रंप के खिलाफ महाभियोग के आरोपों को मंजूरी दी थी।
राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव गिरने के बाद ट्रंप के चुनाव अभियान की ओर से कहा गया है कि यह डेमोक्रेटिक पार्टी का बस चुनावी एजेंडा भर था। यह कठोर परीक्षा थी, जिसमें ट्रंप पास हुए। अब एक बार फिर उनके अमेरिकी लोगों की सेवा में लगने का समय है। ट्रंप ने इस पर अभी तक बयान नहीं दिया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि वह गुरुवार को अपने खिलाफ इस मुकदमे के बारे में सार्वजनिक बयान देंगे।