कोई ऐसे नहीं बन जाता व्लादिमीर पुतिन, उन्हें पता होता है कौन सा दांव कब और कहां खेलना है  

दुनिया
आलोक राव
Updated Apr 06, 2021 | 11:18 IST

व्लादिमीर पुतिन एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उन्होंने एक ऐसे कानून पर हस्ताक्षर किए हैं जो उन्हें 2036 तक राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए योग्य बनाएगा।

Vladir Putin World's most powerful leader
पुतिन को पता होता है कब और कहां कौन सा दांव खेलना है।   |  तस्वीर साभार: AP

नई दिल्ली : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की गिनती दुनिया के ताकतवर शख्सियतों में होती है। अपनी कार्यशैली और व्यक्तित्व से उन्होंने अपनी एक अलग तरह की छवि गढ़ी है। उनका यह व्यक्तित्व सभी को आकर्षित करता है। करीब एक दशक से रूस के राष्ट्रपति पद पर बैठे पुतिन ने लगातार अपनी और देश की स्थिति मजबूत की है। कहीं न कहीं उनकी यही बात रूसी जनता को पसंद आती है। सत्ता में खुद को बनाए रखने के लिए उन्होंने कानूनों में परिवर्तन एवं संशोधन किए तो रूस की अर्थव्यवस्था संभालने के लिए कई कदम उठाए। 

राष्ट्रपति पद को 2 बार और चुनाव लड़ सकेंगे पुतिन
पुतिन एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उन्होंने एक ऐसे कानून पर हस्ताक्षर किए हैं जो उन्हें 2036 तक राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए योग्य बनाएगा। यानि 2024 के बाद राष्ट्रपति पद का चुनाव वह दो बार और लड़ सकेंगे। राष्ट्रपति के रूप में पुतिन का मौजूदा कार्यकाल 2024 में समाप्त हो रहा है। पुतिन अभी 68 साल के हैं। साल 2036 तक उनकी उम्र 83 साल हो जाएगी। रूस की सत्ता पर पुतिन की यह पकड़ यूं ही नहीं है। राजनीति में आने से पहले एक जासूस के रूप में और फिर प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति के रूप उन्होंने रूस को करीब से समझा है। रूस की संस्कृति, इतिहास, समाज और राजनीतिक के बारे में उनकी गहरी समझ है। दुनिया की कूटनीति एवं समीकरणों को वे बारीकी से समझते हैं। अपनी कार्यशैली और व्यक्तित्व से उन्होंने रूस की पूरी ताकत की बागडोर इस समय अपने हाथ में ले ली है। 

रूस को उथल-पुथल के दौर से निकाला
रूस पिछले 100 वर्षों का समय भारी उथल-पुथल, अराजकता, मंदी और टूट का शिकार रहा है। इसके बाद रूस की राजनीति में पुतिन का प्रवेश हुआ। सत्ता संभालने के बाद पुतिन ने रूस को एक स्थिरता दी। डगमगाती एवं हिचकोले खाती अर्थव्यवस्था को एक राह दिखाई और सोवियत संघ के विघटन के बाद दुनिया में कमजोर पड़ती रूस की ताकत एवं छवि को निखारने के साथ-साथ उसका पुराना गौरव स्थापित प्रयास किए। 

रूस की साइबर ताकत बढ़ाई
दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के चुनाव को प्रभावित करने के आरोप पुतिन पर लगे। अगर ऐसा हुआ है तो यह रूस की साइबर ताकत से संभव हो सका। मध्य एशिया के देशों और यूक्रेन में पुतिन ने रूस का दबदबा कायम कर अपनी सशक्त नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया। पुतिन को अच्छी तरह से पता होता है कि कब और कहां कौन सा दांव खेलना है। जहां पर जिस ताकत की जरूरत पड़ी है वे अपने साइबर पवार, कूटनीति, सैन्य ताकत को आजमाते आए हैं।     

केजीबी में 16 साल तक रहे 
पुतिन ने 16 साल तक केजीबी में ऑफिसर के रूप में सेवा की है। साल 1991 में केजीबी से सेवानिवृत्त होने के बाद वह अपने पूर्वजों के शहर सेंट पीटर्सबर्ग में रहने लगे। कुछ साल बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा। 1996 में वह मास्को में राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के प्रशासन में शामिल हो गए एवं येल्तसिन के अप्रत्याशित रूप से इस्तीफा दे देने के कारण 31 दिसम्बर 1999 को रूस के कार्यवाहक राष्ट्रपति बनें। इके बाद पुतिन की राजनीतिक यात्रा का कभी पड़ाव नहीं आया। कभी प्रधानमंत्री तो कभी राष्ट्रपति के रूप में उनकी राजनीतिक यात्रा चलती रही है। 

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