चीन की सेना को गोगरा हॉट स्प्रिंग पीछे हटना पड़ा है हिंदुस्तान के लिए ये बड़ी डिप्लोमैटिक जीत है, भारत और चीन की सेनाओं ने एक बड़े घटनाक्रम के तहत बृहस्पतिवार को घोषणा की कि उन्होंने पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स में पेट्रोलिंग प्वाइंट (PP)-15 क्षेत्र से पीछे हटना शुरू कर दिया है जहां दोनों पक्षों के बीच दो साल से अधिक समय से गतिरोध चला आ रहा था।
गोगरा हॉट स्प्रिंग से डिसएंगेजमेंट शुरू हो चुका है। 2 सालों से सरहद पर खड़ी चीनी सेना पीछे हटने को मजबूर हो गई है वो सरहद छोड़ रही है।
जाहिर है ये भारत के लिए बड़ी और ऐतिहासिक कूटनीतिक कामयाबी है। क्योंकि ये वही चीनी सेना है, जो पिछले दो सालों से यहां डटी थी। वो पीछे हटने को तैयार नहीं थी लेकिन अब उसे हटना पड़ रहा है।
LAC से आई ये खबर आपको एक साथ खुशी, गर्व और गौरव से भर देगी। ये खबर भारत के मान और मस्तक को ऊंची करने वाली है। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर नए और ताकतवार हिंदुस्तान की जीत हुई है। जिनपिंग के चीन की हार हुई है।
ऐसा पहली बार हुआ है, जब चीन को भारत से मात खानी पड़ी है। जब ड्रैगन को अपने कदम पीछे खींचने पड़े हैं जब उसे भारत के सामने झुकना पड़ा है।
17 जुलाई को भारत और चीन के बीच हुई कोर कमांडर लेवल की बातचीत में डिसएंगेजमेंट को लेकर बड़ा फैसला किया गया, जिसके तहत 8 सितंबर यानि बृहस्पतिवार से गोगरा-हॉट स्प्रिंग यानि पेट्रोलिंग पॉइंट 15 से डिसएंगेजमेंट शुरू हो चुका है। एलएसी पर चीन के आक्रामक रवैये को भारत ने सेना की ऑपरेशनल तैयारी और अपनी रणनीतिक प्लानिंग से लगातार नियंत्रित किया है।
LAC पर विवाद को लेकर भारत पहले ही अपना रुख साफ कर चुका है और वो ये कि भारत किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह से रेडी है। लेकिन पहली प्राथमिकता है बातचीत। वो इसी के जरिए मसले को सुलझाना चाहता है। बॉर्डर पर हिंदुस्तान के इसी आक्रामक रुख और डिप्लॉयमेंट को देखते हुए चीन को अपनी जिद छोड़नी पड़ी। उसे पीछे हटने में ही अपनी भलाई नजर आई और इस तरह 21वीं सदी के नवभारत की जय और विजय हुई।
इससे पहले फरवरी 2021 में चीन को पैन्गौन्ग से पीछे हटना पड़ा था, अगस्त 2021 में भी दूसरे चरण का डिसएंगेजमेंट किया जा चुका है। पिछले 2 सालों में गलवान संघर्ष के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन दोनों के ही करीब 50 हजार से ज्यादा सैनिक मौजूद हैं, जिसके चलते इस पूरे इलाके में तनाव बना हुआ है, लेकिन 16 दौर की बातचीत के बाद गोगरा हॉट स्प्रिंग से सेनाओं का पीछे हटना शुरू हो चुका है। नि:संदेह ये भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक सफलता है।
उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के वार्षिक शिखर सम्मेलन से लगभग एक सप्ताह पहले सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया की घोषणा की गई है। सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग शामिल होंगे।दोनों सेनाओं ने एक संयुक्त बयान में कहा कि पीछे हटने की प्रक्रिया की शुरुआत जुलाई में हुई 16वें दौर की उच्चस्तरीय सैन्य वार्ता का परिणाम है। बयान में कहा गया, 'भारत-चीन के बीच 16वें दौर की कोर कमांडर स्तर की बैठक में बनी सहमति के अनुसार, आठ सितंबर 2022 को गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स (PP-15) क्षेत्र से भारतीय और चीनी सैनिकों ने समन्वित एवं नियोजित तरीके से पीछे हटना शुरू कर दिया है जो सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता के लिए अच्छा है।'
उम्मीद की जा रही है कि गोगरा हॉट स्प्रिंग से डिसइंगेजमेंट के बाद भारत और चीन के बीच बातचीत का दौर आगे बढ़ेगा। जिसमें भारत चीन को बाकी विवादित जगहों से अपनी सेना को पीछे हटने के लिए राजी करेगा।
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