बीजिंग : दुनियाभर में तबाही मचाने वाले कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए दुनियाभर में विशेषज्ञों ने भले ही वैक्सीन बना ली है और इसका इस्तेमाल भी शुरू हो चुका है, लेकिन यह सवाल अब भी रहस्य ही है कि आखिर कोरोना वायरस आया कहां से? इंसानों में इस घातक वायरस के संक्रमण का पहला मामला दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर से सामने आया था और ऐसे में यह माना गया कि इस जानलेवा वायरस की उत्पति यहीं से हुई। लेकिन चीन इससे हमेशा इनकार करता रहा है। इन आरोपों और इनकार के बीच अब विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम इसका पता लगाने के लिए चीन में है।
कोरोना वायरस संक्रमण की उत्पत्ति कहां से हुई? इसका पता लगाने के लिए विशेषज्ञों की 13 सदस्यीय टीम वुहान पहुंची थी, जिसके बाद दो सप्ताह के लिए उन्हें एक होटल में क्वारंटीन कर दिया गया था। इनके क्वारंटीन की अवधि गुरुवार (28 जनवरी) को समाप्त हुई है, जिसके बाद ये होटल से निकलकर अपनी जांच को आगे बढ़ाने के लिए निकल पड़े हैं। इस दौरान वे चीन के विभिन्न शोध संस्थानों, अस्पतालों और उस सी-फूट मार्केट का भी दौरा करेंगे, जिसके बारे में माना जाता है कि कोरोना वायरस संक्रमण इंसानों में यहीं से हुआ था। वे इस दौरान कई लोगों से बातचीत करेंगे और कोरोना वायरस से संबंधित आंकड़े जुटाएंगे।
इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या डब्ल्यूएचओ की टीम की जांच से यह पता चल पाएगा कि वास्तव में इस वायरस की उत्पत्ति कहां से हुई? यह सवाल इसलिए भी अहम हो जाता है, क्योंकि डब्लयूएचओ टीम की जांच उन्हीं आंकड़ों व साक्ष्यों पर आधारित होगी, जो चीनी अधिकारी उन्हें मुहैया कराएंगे। फिर चीन यह लगातार कहता रहा है कि भले ही कोविड-19 का केस वुहान में 2019 के आखिर में सामने आया, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि इसकी उत्पत्ति यहीं से हुई हो। चीन से यह दलील भी दी है कि संभव है कि यह स्पेन, इटली या यहां तक कि अमेरिका से फैला हो, जहां इस घातक बीमारी से सबसे अधिक तबाही हुई है।
चीन ने यह भी कहा कि संभव है कि यह वायरस उसके यहां आयातित फ्रोजन फूड आइटम्स से आया हो। चीन की मीडिया में बीते कुछ महीनों में ऐसी कई रिपोर्ट्स सामने आई हैं, जिनमें आयातित फ्रोजन फूड आइटम्स के नमूनों की जांच में कोरोना वायरस होने की बात कही गई थी। इन सबके बीच कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि चीन में कोरोना वायरस की जांच के लिए पहुंचने वाले मीडियाकर्मियों को कई तरह के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में डब्ल्यूएचओ की टीम को जांच के दौरान कितनी स्वतंत्रता हासिल होगी, इसका खुलासा तो आने वाले समय में ही हो पाएगा।
इस बीच लोगों को सच्चाई के बाहर आने का इंतजार है। चीन में इस घातक बीमारी से अपनों को खो चुके कई लोग हैं, जिन्हें उम्मीद है कि डब्ल्यूएचओ की टीम उनसे से भी मिलेगी और उनके अनुभवों को जानेगी। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि डब्ल्यूएचओ का इस्तेमाल झूठ फैलाने के एक टूल की तरह नहीं होगा।