जिस ताकतवर MQ9B Drone ने जवाहिरी का काम किया तमाम, वही खरीदने वाला है हिंदुस्तान; समझें- क्यों है खास?

MQ9B Drone: भारतीय नौसेना ने इन ड्रोन की खरीद के लिए प्रस्ताव किया था और तीनों सेनाओं को 10-10 ड्रोन मिलने की संभावना है। 

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तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फोटोः @BlokkenMario)  |  तस्वीर साभार: Twitter

MQ9B Drone: अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में जिस एमक्यू-9 ‘रीपर’ (MQ9B Drone) ने अल-कायदा सरगना अयमान अल-जवाहिरी का काम तमाम किया था, अब उसी ताकतवर ड्रोन को अपना हिंदुस्तान खरीदने वाला है। अधिकारियों ने रविवार (21 अगस्त, 2022) को समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि तीन अरब डॉलर से अधिक की लागत से ‘30 एमक्यू-9बी प्रीडेटर’ सशस्त्र ड्रोन खरीदने को लेकर भारत की अमेरिका के साथ बातचीत फाइनल राउंड में है। रोचक बात यह है कि यह ड्रोन चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर और हिंद महासागर में सतर्कता बढ़ाने के मद्देनजर भी लिया जा रहा है। 

‘जनरल एटॉमिक्स’ ने बनाया है ड्रोन
एमक्यू-9बी ड्रोन एमक्यू-9 ‘रीपर’ का एक प्रकार है। एमक्यू-9 ‘रीपर’ का यूज हेलफायर मिसाइल के उस संशोधित संस्करण को दागने के लिए किया गया था, जिसने पिछले महीने जवाहिरी को मार गिराया था। रक्षा प्रतिष्ठान के आधिकारिक सूत्रों ने एजेंसी को आगे बताया कि डिफेंस सेक्टर की प्रमुख अमेरिकी कंपनी ‘जनरल एटॉमिक्स’ की ओर से निर्मित ड्रोन की नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच सरकारी स्तर पर खरीद के लिए बातचीत फिलहाल चल रही (खबर लिखे जाने तक) है।

तीनों सशस्त्र बलों के लिए लिया जा रहा
इस बीच, उन्होंने उन खबरों को खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया है कि इस सौदे पर अब बातचीत नहीं चल रही है। ‘जनरल एटॉमिक्स ग्लोबल कॉरपोरेशन’ के मुख्य कार्यकारी डॉ विवेक लाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हमारा मानना है कि एमक्यू-9बी अधिग्रहण कार्यक्रम को लेकर अमेरिका और भारत सरकारों के बीच बातचीत अंतिम चरण में है।’’ इन ड्रोन को तीनों सशस्त्र बलों (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) के लिए खरीदा जा रहा है। ये ड्रोन समुद्री सतर्कता, पनडुब्बी रोधी आयुध, क्षितिज के परे लक्ष्य साधने और जमीन पर मौजूद लक्ष्यों को निशाना बनाने समेत विभिन्न कार्य करने में सक्षम हैं।

रिमोट से चलते हैं, 35 घंटे तक हवा में रह सकते हैं
जनरल एटॉमिक्स का बनाया रिमोट- संचालित ड्रोन करीब 35 घंटे तक हवा में रह सकते हैं। इसे निगरानी, खुफिया जानकारी जुटाने और दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने सहित कई उद्देश्यों के लिए तैनात किया जा सकता है। यह चार हेलफायर मिसाइल और करीब 450 किग्रा बम ले जा सकता है। एमक्यू-9बी के दो प्रकार हैं, स्काई गार्डियन और सी गार्डियन। सूत्रों ने बताया कि बातचीत लागत घटक, हथियारों के पैकेज और प्रौद्योगिकी को साझा करने से संबंधित कुछ मुद्दों को सुलझाने पर केंद्रित है।

अमेरिका से दो ‘एमक्यू-9बी सी गार्जियन’ ड्रोन पट्टे पर मिले थे
समझा जाता है कि अप्रैल में वाशिंगटन में भारत एवं अमेरिका के बीच हुई ‘टू प्लस टू’ (विदेश एवं रक्षा मंत्री स्तर की) वार्ता के दौरान भी खरीदारी के प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी। भारतीय नौसेना को 2020 में मुख्य रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी के लिए अमेरिका से दो ‘एमक्यू-9बी सी गार्जियन’ ड्रोन पट्टे पर मिले थे। गैर-हथियार वाले दो एमएक्यू-9बी ड्रोन एक वर्ष के लिए पट्टे पर दिए गए थे और उसकी अवधि को एक और वर्ष बढ़ाने का विकल्प था।

भारतीय ग्राहक एमक्यू-9 के प्रदर्शन से प्रभावित
भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी सेना पीएलए के युद्धपोतों सहित चीन की बढ़ती गतिविधियों पर नजर रखने के लिए अपने निगरानी तंत्र को मजबूत कर रही है। इन दो ड्रोन के बारे में पूछे जाने पर लाल ने कहा कि उन्होंने ‘‘बहुत अच्छा’’ प्रदर्शन किया है और उन्होंने भारतीय नौसेना की समुद्री एवं स्थलीय सीमा पर गश्त के लिए करीब 3,000 घंटे उड़ान भरी। उन्होंने कहा कि भारतीय ग्राहक एमक्यू-9 के प्रदर्शन से प्रभावित हुए हैं।

तीनों सेनाओं को 10-10 ड्रोन मिलने की संभाव
जनरल मोटर्स के अनुसार, एमक्यू9- बी को न केवल नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) के मानकों को पूरा करते हुए बल्कि अमेरिका और दुनिया भर में असैन्य हवाई क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बनाया गया है। भारतीय नौसेना ने इन ड्रोन की खरीद के लिए प्रस्ताव किया था और तीनों सेनाओं को 10-10 ड्रोन मिलने की संभावना है। ‘प्रीडेटर’ ड्रोन को लंबे समय तक हवा में रहने और ऊंचाई वाले क्षेत्रों की निगरानी के लिए खास तौर पर डिज़ाइन किया गया है। भारतीय सशस्त्र बल पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध के बाद ऐसे हथियारों की खरीद पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। 

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