ये है अंडमान का वो हसीन द्वीप, जहां भारतीयों का जाना है बैनः पास पहुंचते ही आदिवासी भालों-तीरों से ले लेते हैं जान

बंगाल की खाड़ी में नॉर्थ सेंटिनेल द्वीप उन लोगों का एक तरह से घर माना जाता है, जो दुनिया से सबसे अधिक अलग-थलग और कटे हुए हैं।

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तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • इसाई धर्म के प्रचार के लिए अलग-थलग पड़े द्वीप गया था US का युवक
  • मछली, फुटबॉल और बाइबल जैसी चीजें गिफ्ट में दे बातचीत को करना चाहते थे राजी
  • दो बार जान बचने के बाद डायरी में लिखा था- मैं मरना नहीं चाहता

हिंद महासागर में एक ऐसा द्वीप भी है, जहां पर दुनिया की सबसे अधिक अलग-थलग पड़ी जन जाति रहती है। ये लोग विश्व से बहुत हद तक कटे हुए हैं और माना जाता है कि बाहरी दुनिया से किसी प्रकार का मतलब भी नहीं रखना चाहते। आलम यह है कि अगर इनके द्वीप पर बाहर से कोई जाता है तो ये उसे पास पहुंचने पर मार डालते हैं। 

जगह का नाम है- नॉर्थ सेंटिनेल द्वीप। यह बंगाल की खाड़ी में पड़ता है। कहा जाता है कि जो कोई भी उस ओर जाता है या पहुंचने की कोशिश करता है, वह वहां कदम रखने से पहले ही मौत के घाट उतार दिया जाता है। दरअसल, पूर्व की घटनाओं के हवाले से कहा जाता है कि समुद्र के रास्ते जब बाहरी लोगों ने वहां पहुंचने की कोशिश की तो उन पर भालों और तीरों से हमलाकर उनकी हत्या कर दी गई। 

डॉक्यूमेंट्री बनाते वक्त हुआ था हमला
'दि मिरर' की रिपोर्ट के मुताबिक, 2006 में दो मछुआरे सेंटीनेल द्वीप के लोगों द्वारा तब मार दिए गए थे, जब वे आइलैंड के काफी करीब पहुंच गए थे। इससे पहले, 1970 में नैशनल जियोग्राफिक के डायरेक्टर अंडमान के द्वीपसमूह पर डॉक्यूमेंट्री बना रहे थे, तभी शूटिंग के दौरान उन पर भाले से हमला बोल दिया गया था, जिसमें वह जख्मी हो गए थे। 

धर्म प्रचार को पहुंचा था US का युवक 
ताजा मामला 26 साल के जॉन एलन चाउ की हत्या से जुड़ा है, जो कि क्रिस्चियन मिशनरी (धर्म प्रचार करने वाले) थे और वहां साल 2018 में जनजाति से संपर्क करने की कोशिश में जुटे थे। द्वीप और उसके आसपास के खतरों को जानते हुए भी वह उस ओर जाने के लिए राजी हुए थे, पर सेंटिनेलवासियों ने उन्हें नहीं बक्षा।

तोहफे से लुभाने की ट्रिक भी न आई काम
सेंटीनेलवासियों से मिलने और उन्हें लुभाने के लिए वह कुछ तोहफे भी लेकर गए थे। साथ में वॉटरप्रूफ बाइबल भी थी। पहली कोशिश में वह नाकाम रहे थे, पर दूसरे प्रयास में जब चाउ पहुंचे तो सेंटीनेल के लोग पानी में उतर आए और अपने घनुष-बाण के जरिए उनसे गिफ्ट लेने लगे, जबकि कुछ हमला करने लगे थे। हत्या के अगले दिन उनकी लाश को दफनाते उन मछुआरों ने दूर से देखा था, जो उन्हें वहां पहुंचाने गए थे। 

पहले नारियल पानी ले चुके थे सेंटीनेलवासी
जॉन के मामले में भले ही सेंटीनेल के लोगों ने तोहफे न लेने चाहे हों, मगर इससे पहले 1990 के दौर में दो घटनाएं बताती हैं कि जब एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीमें से एंथ्रोपोलॉजिस्ट वहां गए थे तो वहां के लोगों ने उनसे नारियल पानी लिया था। इस टीम में तब इकलौती महिला सदस्य मधुमाला चटोपाध्याय थीं, जो कि वहां कुछ वक्त बिताने के बाद लौटीं तो उन्होंने नैट जियो को बताया- ये जन जातियां वहां सदियों से बगैर किसी समस्या के रह रही हैं। उनकी समस्या तब शुरू हुई, वे बाहरियों के संपर्क में आने लगे। वे नहीं चाहते कि बाहरी लोग उनकी सुरक्षा करें। वे बस अकेले रहना चाहते हैं। 

दुनिया के लिए आज भी यह इलाका रहस्य
भारत के स्थानीय अफसरों, मछुआरों, एडवेंचर टूर पर निकलने वालों और फिल्म बनाने वालों ने कई दफा सेंटीनेलवासियों संपर्क साधना चाहा, पर वे कभी भी राजी न हुए। यही वजह है कि दुनिया अभी भी इस द्वीप और वहां के लोगों के बारे में बहुत कुछ नहीं जानती है। बताया जाता है कि भारत के हिस्से में आने वाला यह द्वीप आधे लंदन शहर के बराबर है, पर वहां कितनी आबादी है? यह अभी तक रहस्य है। भारत ने अपने नागरिकों पर इस द्वीप पर जाकर और वहां के लोगों से मिलने-जुलने पर प्रतिबंध लगा रखा है। आइलैंड के तीन मील के दायरे में जाना अवैध है। 

कहां हैं यह द्वीप?
यह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का हिस्सा है, जिसमें 572 द्वीप हैं। इनमें सिर्फ 38 में लोग रहते हैं, जबकि 12 पर्यटकों के लिए खुले हुए हैं। ये सभी द्वीप तीन जिलों में विभाजित किए गए हैं, जो कि उत्तर व मध्य अंडमान, दक्षिण अंडमान और निकोबार। राजधानी है पोर्ट ब्लेयर, जो कि दक्षिणी अंडमान में है और नॉर्थ सेंटिनेल द्वीप यहां से सिर्फ 50 किमी दूर है। 

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