क्या कट्टरता के अंधेरे में फिर डूबेगा अफगानिस्तान! जानिए कौन है तालिबान

दुनिया
आलोक राव
Updated Jul 14, 2021 | 09:04 IST

अफगानिस्तान के इलाकों पर तालिबान का नियंत्रण हो रहा है। यह आतंकवादी संगठन इस देश को फिर से अपने नियंत्रण में लेना चाहता है। अफगान सुरक्षा बलों के साथ कई इलाकों में उसकी लड़ाई चल रही है।

  Will Afghanistan agian plunge into darkness of extremism know who is taliban
अफगानिस्तान में तालिबान का फिर हुआ उभार।  |  तस्वीर साभार: AP
मुख्य बातें
  • अफगानिस्तान से 20 साल बाद अमेरिकी सेना की हो रही वापसी
  • तालिबान ने देश के करीब 150 जिलों पर अपना नियंत्रण कर लिया है
  • लोगों को आशंका है कि देश पर फिर कब्जा कर सकता है तालिबान

नई दिल्ली : अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी हो रही है। इस देश पर एक बार फिर तालिबान के शासन का खतरा मंडराने लगा है। तालिबान के लड़ाके तेजी के साथ एक के बाद एक जिलों पर अपना नियंत्रण कर रहे हैं। चरमपंथी आतंकवादी संगठन के डर से बड़ी संख्या में लोग पलायन करने को मजबूर हुए हैं। कई इलाकों में अफगान सुरक्षाबलों के साथ तालिबान का युद्ध चल रहा है। जानकार मानते हैं कि तालिबान पहले से ज्यादा मजबूत होकर उभरा है। देश में 20 साल तक चला अमेरिकी अभियान भी उसे पूरी तरह से खत्म नहीं कर सका। आइए यहां जानते हैं कि आखिर कौन है तालिबान 

क्या है तालिबान  
पश्तो भाषा में तालिबान का मतलब छात्र होता है। 1990 के दशक में सोवियत संघ की अफगानिस्तान से वापसी के दौरान तालिबान का उभार होना शुरू हुआ। अफगानिस्तान में सोवियत सेनाओं की बंदिशों से आम लोग ऊब चुके थे। वे इससे छुटकारा चाहते थे। इसी दौरान तालिबान के उभार में उन्हें एक बेहतर भविष्य की उम्मीद दिखाई दी। तालिबान ने शांति, शरिया कानून को लागू करने का वादा किया। इस संगठन के सदस्य तेजी से बढ़े और देश के दक्षिण-पश्चिम इलाकों में इसका तेजी से विस्तार हुआ। साल 1995 में तालिबान ने ईरान की सीमा से लगे हेरात प्रांत पर अपना नियंत्रण कर लिया। इसके बाद 1996 में काबूल पर भी इसका अधिकार हो गया। साल 1998 आते-आते अफगानिस्तान के 90 प्रतिशत भूभाग पर तालिबान का कब्जा हो गया था। 

शरिया कानूनों के उल्लंघन पर दी क्रूर सजा
शुरुआत में लोगों के बीच तालिबान काफी लोकप्रिय हुआ लेकिन धीरे-धीरे जब उसने इस्लामी कानूनों एवं शरीयत के हिसाब से लोगों को सजा देनी शुरू की तो इसका कट्टरपंथी चेहरा उजागर हो गया। शरिया कानूनों की आड़ में वह सरेआम मौत की सजा देता था। अपने शासन में तालिबान ने शरिया कानूनों को सख्ती से लागू करना शुरू किया। उसने पुरुषों के लिए दाढ़ी रखना और महिलाओं को पूरा शरीर ढंकने का फरमान सुनाया। शरिया कानूनों के उल्लंघन पर लोगों को क्रूर एवं दिल दहला देने वाली सजा दी जाती थी। इसके अलावा उसने देश में संगीत, सिनेमा और टेलीविजन पर प्रतिबंध लगा दिया। यही नहीं उसने 10 साल से ज्यादा उम्र की लड़कियों को स्कूल जाने से रोक दिया। साल 2001 में तालिबान ने बामियान में भगवान बुद्ध की प्रतिमा को ध्वस्त कर दिया। 

तालिबान को पूरी तरह खत्म नहीं कर पाया अमेरिका
20 सालों तक अपनी पूरी ताकत लगा देने के बावजूद अमेरिका तालिबान को जड़ से खत्म नहीं कर पाया। अफगानिस्तान में आतंकवाद एवं तालिबान के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका ने भारी भरकम राशि खर्च की है। बताया जाता है कि इस अभियान में उसके करीब 165 लाख करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। तालिबान और आतंकवादियों से लड़ते हुए करीब 2442 अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई है जबकि 20,000 से ज्यादा जख्मी हुए। अमेरिका-तालिबान की लड़ाई में निर्दोष नागरिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। अब तक यहां 47 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। इसके अलावा युद्ध में करीब 70 हजार अफगान सैनिकों की जान गई है। 

2016 में मेरा गया मुल्ला उमर
अमेरिका ने तालिबान के बड़ा नेता मुल्ला उमर को 2016 में मार गिराया। इसके बाद यह संगठन हिब्दुल्ला खुन जादा की अगुवाई में आगे बढ़ रहा है। बताया जाता है कि तालिबान के पास 85,000 के करीब आतंकवादी हैं। अफगान सुरक्षाबलों की संख्या करीब तीन लाख है। आने वाले दिनों में तालिबान और अफगान सुरक्षाबलों के बीच लड़ाई और तेज हो सकती है। 

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