नई दिल्ली: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) को बताया कि बीजिंग का किसी भी देश के साथ शीत युद्ध या युद्ध लड़ने का कोई इरादा नहीं है। शी जिनपिंग ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र को संबोधित करते हुए ये बात कही। अपने संबोधन के दौरान जिनपिंग ने कहा कि देशों के बीच मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन उन्हें संवाद के माध्यम से संबोधित करना चाहिए।
कोरोना वायरस के कारण UN की पहली डिजिटल बैठक में रिकॉर्डेड भाषण में जिनपिंग ने कहा, 'चीन विश्व का सबसे बड़ा विकासशील देश है जो शांतिपूर्ण, खुला, कोओपरेटिव और सामान्य विकास के लिए प्रतिबद्ध है। हम कभी भी आधिपत्य, विस्तार या प्रभाव क्षेत्र की तलाश नहीं करेंगे। हमारा किसी भी देश के साथ शीत युद्ध या युद्ध लड़ने का कोई इरादा नहीं है। हम बातचीत के माध्यम से दूसरों के साथ मतभेदों को और विवादों को सुलझाते रहेंगे। हम केवल खुद को विकसित करने की तलाश नहीं करेंगे।
इसके अलावा जिनपिंग ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई का राजनीतिकरण नहीं करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के राजनीतिकरण के किसी भी प्रयास को अस्वीकार कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन कोविड-19 टीकों को वैश्विक रूप से उपलब्ध कराएगा। चीन द्वारा विकसित कई कोविड-19 टीके परीक्षण के विभिन्न चरणों में हैं। शी ने कहा कि विकासशील देशों को प्राथमिकता के आधार पर टीके उपलब्ध कराए जाएंगे।
राष्ट्रपति ने कहा, 'विश्व को कोविड-19 वायरस का मुकाबला करने में विज्ञान के मार्गदर्शन का पालन करना चाहिए। विश्व को कोरोनो वायरस महामारी को मात देने के लिए विश्व प्रमुख संगठन (WHO) को अग्रणी भूमिका देनी चाहिए। हमें कोरोना वायरस पर एकजुटता बढ़ानी चाहिए। कोविड-19 अंतिम वैश्विक संकट नहीं होगा, इसलिए हमें हाथ मिलाना होगा।
कोविड-19 महामारी की वजह से संयुक्त राष्ट्र की पहली डिजिटल बैठक मंगलवार को विश्व नेताओं के 'रिकॉर्डेड भाषणों' के साथ शुरू हुई। संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में सोमवार को हुए उद्घाटन सत्र के बाद बैठक का मुख्य कार्यक्रम यानि 193 सदस्य देशों के नेताओं के भाषण का कार्यक्रम मंगलवार को शुरू हुआ। विश्व निकाय की बैठकों में नेता पारंपरिक रूप से अपने देशों के लिए समर्थन मांगते हैं या प्रतिद्वंद्वियों की आलोचना करते हैं, लेकिन इस बार बैठक डिजिटल है और इस बार महामारी के मुद्दे पर ही जोर है जो दुनियाभर में 9,60,000 से अधिक लोगों की जान ले चुकी है।