कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन के सौ साल पूरे हो चुके हैं। इस मौके पर पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जहां एक तरफ चीन की कामयाबी और चुनौती का जिक्र किया तो दूसरी तरफ ताइवान का नाम लिए बगैर अमेरिका को संदेश देने की कोशिश की अगर कोई देश अनावश्यक रूप से उलझा तो अंजाम अच्छा नहीं होगा। एक तरह से उन्होंने बिना नाम लिए अमेरिका को चेतावनी तक डे डाली। शी जिनपिंग ने कहा कि हम अपनी संप्रभुता, एकता और अखंडता के लिए प्रतिबद्ध हैं और किस तरह से हमें आगे बढ़ना है उसे लेकर सोच बहुत साफ है। चीन इस बात को कभी बर्दाश्त नहीं करेगा कि कोई भी दूसरा मुल्क उसे दबाने या धमकाने की कोशिश करे।
बिना नाम लिए अमेरिका को संदेश
शी जिनपिंग आमतौर पर खुली कोट पहनते हैं। लेकिन इस ऐतिहासिक मौके पक वो बंद कोट में थे और एक तरह से माओत्से तुंग की झलक को पेश कर रहे थे। जिनपिंग एक तरफ तो सीपीसी और सरकार का बखान कर रहे थे साथ ही साथ उनका बयान कुछ इस तरह था जैसे कि हमने किसी को दबाया नहीं है, न ही किसी को आंख दिखाई है, न ही किसी दूसरे देश के नागरिकों को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की और ना ऐसा करेंगे।
चुनौतियों से चीन को निपटना ही होगा
जिनपिंग आगे कहते हैं कि हमें अपनी सेना को और मजबूत और विश्व स्तरीय बनाना होगा। 21वीं सदी के खतरे अलग तरह के हैं लिहाजा उनसे निपटने के लिए हमें अपनी सोच, दशा और दिशा में बदलाव करना होगा। बता दें कि शी जिनपिंग सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के चेयरमैन हैं, उनके राष्ट्रपति बनने के बाद कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों में इजाफा हुआ है। जानकार बताते हैं कि माओ के बाद वो सबसे ताकतवर नेता के तौर पर उभरे हैं।
क्या कहते हैं जानकार
शी जिनपिंग के बयान पर जानकारों राय को समझना भी जरूरी है। जानकारों के मुताबिक कोरोना काल में वैश्विक स्तर पर चीन की प्रगति सबसे अधिक है। यह बात अलग है कि कोरोना वायरस महामारी के लिए ज्यादातर खास तौर पर पश्चिमी मुल्क चीन को जिम्मेदार मानते हैं ये बात अलग है कि चीन इनकार करता है। इसके अलावा जिस तरह से चीन अपनी विस्तारवादी नीति को आगे बढ़ा रहा है उससे वो संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि अब जमाना बदल चुका है। आने वाला समय पश्चिमी देशों का नहीं रहेगा और ऐसी स्थिति में चीन की हनक स्वाभाविक तौर रहेगी।