नई दिल्ली: तालिबान ने दावा किया है कि उसने अफगानिस्तान के आखिरी प्रांत पंजशीर पर नियंत्रण कर लिया है। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि पंजशीर अब तालिबान लड़ाकों के नियंत्रण में है। कुछ रिपोर्ट्स से सामने आया कि इस लड़ाई में पाकिस्तान ने तालिबान का साथ दिया और पंजशीर में नेशनल रेसिस्टेंस फोर्स (NRF) पर बम बरसाए। स्विटजरलैंड में अफगानिस्तान के राजदूत और संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि नासिर अहमद अंदीशा ने अपने एक ट्वीट में कहा कि पंजशीर पर पाकिस्तानी सेना के हेलिकॉप्टरों ने बम बरसाए हैं। इस बमबारी में एनआरएफ के कुछ शीर्ष नेताओं की हत्या हुई है।
इस बीच एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें एक लड़ाकू विमान दिख रहा है। माना जा रहा है कि ये कथित तौर पर पाकिस्तान से संबंधित है और अफगानिस्तान में पंजशीर घाटी पर मंडरा रहा है। रिपोर्टों में अफगानिस्तान की सांसद जिया अनिरयनजादो के हवाले से कहा गया है कि पाकिस्तानी एयरफोर्स के ड्रोन ने पंजशीर पर हमला किया। इस बमबारी ने तालिबान को मदद पहुंचाई है।
इस बीच अफगानिस्तान के राष्ट्रीय प्रतिरोध मोर्चा के नेता अहमद मसूद ने संदेश जारी किया है। अहमद मसूद ने पूरे अफगानिस्तान के लोगों से तालिबान के खिलाफ एक राष्ट्रीय विद्रोह खड़ा करने का आह्वान किया। मसूद ने एक वॉयस मैसेज में कहा कि वे खड़े होकर लड़ेंगे। अहमद मसूद ने 19 मिनट के ऑडियो में पंजशीर में पाकिस्तान और तालिबान द्वारा बमबारी की पुष्टि की जिसमें फहीम और मसूद के परिवार के कई सदस्य मारे गए। उन्होंने अफगानों से तालिबान के खिलाफ विरोध करने को कहा। विरोध नहीं रुकेगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन मांगा।
पाकिस्तान की मदद से तालिबान ने किया हमला
पंजशीर में शहीदों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए अहमद मसूद का कहना है कि पाकिस्तान ने पंजशीर में सीधे अफगानों पर हमला किया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय चुपचाप देखता रहा। मसूद का कहना है कि वह खून की आखिरी बूंद तक हार नहीं मानेंगे।तालिबान ने पाक की मदद से बर्बर हमला किया।
पंजशीर प्रांत में पिछले कई दिनों से तालिबान और प्रतिरोध बलों के बीच भारी संघर्ष हो रहा है, जिसके दौरान दोनों पक्ष हताहत हुए हैं। बयान के अनुसार, कुछ प्रतिरोध बल मारे गए हैं जबकि अन्य प्रांत छोड़कर भाग गए हैं। पंजशीर में रविवार रात के संघर्ष के दौरान, प्रतिरोध बलों के एक प्रमुख कमांडर जनरल अब्दुल वोदोद और बलों के प्रवक्ता फहीम दशती मारे गए। इससे पहले, प्रतिरोध के सह-नेता अहमद मसूद ने तालिबान के साथ बातचीत की पेशकश की थी, जिसे बाद में मना कर दिया गया था।