'अजेय' पंजशीर पर कब्जा करने के लिए रवाना हुए सैकड़ों Talibani लड़ाके, अहमद मसूद बोले- मिलेगा जवाब

काबुल से तालिबानी फौज (Taliban) पंजशीर (Panjshir Valley) के लिए रवाना तो हो गई है लेकिन इन्हें ये भी पता होना चाहिए कि पंजशीर की पहाड़ियो में तालिबान के ताबूत की कीलें तैयार हो चुकी हैं। 

Taliban says Hundreds of fighters heading to resistance stronghold Panjshir Valley
पंजशीर पर कब्जा करने के लिए रवाना हुए सैकड़ों तालिबान लड़ाके 
मुख्य बातें
  • काबुल पर कब्जा करने के बाद अब पंजशीर के लिए रवाना हुई तालिबानी फौज
  • पंजशीर की पहाड़ियों में विद्रोह की गूंज, जहां तालिबान कभी नहीं कर सका कब्ज़ा
  • अहमद मसूद की तालिबान को दो टूक- अपने नियंत्रण वाले इलाकों को नहीं सौंपेंगे

काबुल: काबुल पर कब्जा करने के बाद अब तालिबान के सैकड़ों लड़ाके राजधानी काबुल के उत्तर में स्थित पंजशीर वैली ‘नॉर्दर्न अलायंस’ की तरफ रवाना हो गए हैं। काबुल से तालिबानी फौज पंजशीर के लिए रवाना तो हो गई है लेकिन इन्हें ये भी पता होना चाहिए कि पंजशीर की पहाड़ियो में तालिबान के ताबूत की कीलें तैयार हो चुकी हैं। अफगानिस्तान में केवल यही क्षेत्र तालिबान से मुक्त है। ‘नॉर्दर्न अलायंस’ ने वर्ष 2001 में अमेरिकी सेनाओं के साथ मिलकर तालिबान के विरुद्ध युद्ध लड़ा था। वहीं पंजशीर के शेर कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद के 32 वर्षीय बेटे अहमद शाह ने कहा है कि वे अपने इलाकों को तालिबान को नहीं सौंपेगे औऱ तालिबान को पूरा जवाब देंगे।

पंजशीर का वीडियो वायरल

अफगानिस्तान में पंजशीर के लड़ाकों ने 3 जिलों को तालिबान के कबजे से छुड़ा लिया है। इन जिलों को कब्जा मुक्त कराने की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहीं हैं। इस इलाके को तालिबान के कब्जे से छुड़ाने के बाद पंजशीर के ये लड़ाके काफी खुश दिख रहे हैं और एक दूसरे को गले लगाकर जीत का जश्न मना रहे हैं तथा अल्लाह हो अकबर के नारे लगा रहे हैं। वहीं अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे का आज 7वां दिन है लेकिन अब उसके खिलाफ अफगानिस्तान के अंदर संघर्ष और विरोध प्रदर्शन के कई मोर्चे तैयार होने लगे हैं।

पूर्व उपराष्ट्रपति कर रहे हैं रणनीति तैयार
अशरफ गनी सरकार में अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति रहे और अब खुद को अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर चुके अमरुल्ला सालेह पहले ही तालिबान की खिलाफत का ऐलान कर चुके हैं। खबर है कि सालेह पंजशीर में ही रहकर तालिबान के खिलाफ  पूरी रणनीति तैयार करने में जुटे हैं।अशरफ गनी  के जाने के बाद अमरुल्ला सालेह की ओर से अफगानी नेताओं से संपर्क साधा जा रहा है और तालिबान के खिलाफ जारी लड़ाई को मजबूत करने की कोशिश की जा रही है।अमरुल्ला ने साफ किया है कि वह अपने देश के लिए लड़ते रहेंगे और तालिबान के सामने किसी भी हाल में घुटने नहीं टेकेंगे।

सालेह ने ट्वीट करते हुए कहा, 'पड़ोसी अंदराब घाटी के संकरे क्षेत्रों में फंसने और मुश्किल से बाहर निकलने के एक दिन बाद तालिबान ने पंजशीर के प्रवेश द्वार के पास लड़ाकों की फौज एकत्र कर दी है। इस बीच सलांग हाईवे को विद्रोही ताकतों ने बंद कर दिया है... फिर मिलते हैं।'

ऐसा है पंजशीर इलाका

काबुल के उत्तर-पूर्व में पंजशीर घाटी अफगानिस्तान का आखिरी बचा हुआ होल्डआउट है, जो अपनी प्राकृतिक सुरक्षा के लिए जाना जाता है। पंजशीर घाटी ने अफगानिस्तान के सैन्य इतिहास में बार-बार निर्णायक भूमिका निभाई है, क्योंकि इसकी भौगोलिक स्थिति इसे देश के बाकी हिस्सों से लगभग पूरी तरह से कटा हुआ है। इस क्षेत्र का एकमात्र पहुंच बिंदु पंजशीर नदी द्वारा बनाए गए एक संकीर्ण मार्ग के माध्यम से है, जिसे आसानी से सैन्य रूप से बचाया जा सकता है।

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