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MP honeytrap case : केस दर्ज कराने वाला अधिकारी नौ महीने में दोबारा सस्पेंड 

Updated Jun 17, 2020 | 23:37 IST

आईएमसी के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि विभिन्न समाचार-पत्रों में प्रकाशित खबरों और सोशल मीडिया पर सामने आये अलग-अलग वीडियो के अवलोकन के बाद सिंह को फिर से निलंबित करने का फैसला किया गया है।

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तस्वीर साभार:&nbspIANS
मध्य प्रदेश में हनी ट्रैप मामले ने काफी तूल पकड़ा था। -प्रतीकात्मक तस्वीर

इंदौर : मध्यप्रदेश के कुख्यात हनी ट्रैप कांड में प्राथमिकी दर्ज कराने वाले अधीक्षण इंजीनियर को इंदौर नगर निगम (आईएमसी) ने नौ महीने के अंतराल में दूसरी बार निलंबित कर दिया है। हनी ट्रैप गिरोह की करतूतों के सनसनीखेज खुलासों के बाद आईएमसी के अधीक्षण इंजीनियर हरभजन सिंह (60) को अनैतिक कार्य में शामिल होने के आरोप में पहली बार 23 सितंबर 2019 को निलंबित किया गया था। लेकिन उनकी याचिका पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने इस निलंबन आदेश को तीन जून को निरस्त कर दिया था। इसके साथ ही, आईएमसी को आदेश दिया था कि वह इस अधिकारी को बहाल करते हुए उसे बकाया वेतन-भत्ते अदा करे।

आईएमसी की आयुक्त प्रतिभा पाल ने बुधवार को बताया, "उच्च न्यायालय का आदेश मानते हुए हमने आईएमसी में सिंह की औपचारिक जॉइनिंग करा दी थी। लेकिन उनके खिलाफ शासकीय सेवा की गरिमा के खिलाफ आचरण के गंभीर आरोप हैं। इसलिये हमने विभागीय जांच बैठाते हुए उन्हें फिर से निलंबित कर दिया है।"

पाल ने बताया कि सिंह मूलत: रीवा के नगर निगम में पदस्थ हैं। हालांकि, वह पिछले कई बरसों से प्रतिनियुक्ति पर आईएमसी में नौकरी कर रहे हैं। आईएमसी आयुक्त ने बताया, "हमने प्रदेश सरकार से अनुरोध किया है कि विभागीय जांच पूरी होने तक सिंह को रीवा नगर निगम में ही अटैच कर दिया जाये, ताकि यह तहकीकात प्रभावित न हो सके।"आईएमसी के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि विभिन्न समाचार-पत्रों में प्रकाशित खबरों और सोशल मीडिया पर सामने आये अलग-अलग वीडियो के अवलोकन के बाद सिंह को फिर से निलंबित करने का फैसला किया गया है। उन्होंने बताया कि आईएमसी के एक अतिरिक्त आयुक्त को आदेश दिया गया है कि वह 15 दिन के भीतर सिंह के खिलाफ विभागीय जांच पूरी कर इसकी रिपोर्ट सौंपें।

गौरतलब है कि पुलिस ने सिंह की ही शिकायत पर मामला दर्ज कर सितंबर 2019 में हनी ट्रैप गिरोह का खुलासा किया था। गिरोह की पांच महिलाओं समेत छह सदस्यों को भोपाल और इंदौर से गिरफ्तार किया गया था। आईएमसी अफसर ने पुलिस को बताया था कि इस गिरोह ने उनके कुछ आपत्तिजनक वीडियो क्लिप वायरल करने की धमकी देकर उनसे तीन करोड़ रुपये की मांग की थी। ये क्लिप खुफिया तरीके से तैयार किये गये थे।

पुलिस ने इस मामले में एक स्थानीय अदालत में 16 दिसंबर 2019 को पेश आरोप पत्र में कहा था कि संगठित गिरोह मानव तस्करी के जरिये भोपाल लायी गयी युवतियों के इस्तेमाल से धनवान और ऊंचे ओहदों पर बैठे लोगों को अपने जाल में फंसाता था। फिर उनके अंतरंग पलों के वीडियो, सोशल मीडिया चैट के स्क्रीनशॉट आदि आपत्तिजनक सामग्री के आधार पर उन्हें ब्लैकमेल करता था। आरोप पत्र के मुताबिक हनी ट्रैप गिरोह ने उसके जाल में फंसे रसूखदारों को धमकाकर उनसे सरकारी कारिंदों की "ट्रांसफर-पोस्टिंग" की सिफारिशें तक करायी थीं और इन कामों के आधार पर भी अवैध लाभ कमाया था।

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