नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को वित्तीय प्रौद्योगिकी उद्योग से आपसी भरोसे को और मजबूत करने के लिये दूरियों को समाप्त कर सरकार तथा उसकी एजेंसियों के साथ अधिक-से-अधिक जुड़कर काम करने को कहा। सीतारमण ने ग्लोबल फिनटेक फेस्ट (Global Fintech Fest 2022) सलाहकार बोर्ड के चेयरमैन कृष गोपालकृष्णन के एक सवाल के जवाब में यह बात कही। उन्होंने पूछा था कि उद्योग, नियामकों तथा सरकार के बीच भरोसा कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है।
वित्त मंत्री ने कहा, 'मैं एक ही चीज बार-बार नहीं दोहराना चाहती लेकिन यह सही है कि दूरी अविश्वास पैदा करती है। इसलिए दूरियों को समाप्त कीजिए, सरकार के साथ अधिक-से-अधिक जुड़ाव रखिये। उन्होंने कहा कि सरकार में चाहे प्रधानमंत्री हों, मंत्री हों या नीति आयोग, हर कोई बातचीत, विचारों के आदान-प्रदान के लिये उपलब्ध है।
केंद्रीय बैंक लाएगा डिजिटल मुद्रा: वित्त मंत्री
सीतारमण ने कहा, 'जितना अधिक जुड़ाव होता है, उतना ही अधिक विश्वास बनता है। इसीलिए मुझे लगता है कि भरोसा बनाये रखने और उसे बढ़ाने का एक निश्चित तरीका निरंतर जुड़ाव को बरकरार रखना है।' डिजिटल मुद्रा को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय की भूमिका से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा लाएगा। उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री ने एक फरवरी को अपने बजट भाषण में कहा था कि आरबीआई चालू वित्त वर्ष में डिजिटल रुपया या केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा जारी करेगा।
GFF 2022 को संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा कि आरबीआई की नियामकीय सैंडबॉक्स प्रणाली (नियंत्रित परिवेश में ग्राहकों के साथ वित्तीय उत्पादों का परीक्षण) से एक संस्थागत व्यवस्था बनी है जिसमें वित्तीय प्रौद्योगिकी से जुड़ी कंपनियां अपने नये उत्पादों को बाजार में पेश करने से पहले उसका परीक्षण, नवोन्मेष करने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा, 'वास्तव में इससे उत्पादों को एक नियंत्रित परिवेश में परीक्षण का मौका मिला और उसके बाद आप उसे आगे बढ़ाने में सक्षम हैं ताकि बाजार को उसका लाभ मिल सके तथा अपने-अपने उत्पाद को लेकर नवोन्मेष में तेजी ला सके।'
सीतारमण ने यह भी कहा कि वित्तीय प्रौद्योगिकी से जुड़ी कंपनियों के लिये एक सतत वित्तीय परिवेश में भूमिका निभाने और हरित वित्त के क्षेत्र में विशिष्ट अवसरों का लाभ उठाने को लेकर अवसर हैं। हरित वित्त एक वित्तीय व्यवस्था है जिसमें कोष का उपयोग सामाजिक या पर्यावरण अनुकूल कार्यों के लिये किया जाता है।