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जनता के हितों के लिए सरकार का बड़ा कदम, कंपनियों के लिए बदला ये नियम

Updated Apr 20, 2022 | 15:58 IST

आम जनता के लिए केंद्र सरकार आए दिन कोई न कोई ऐलान करती रहती है। अब केंद्र सरकार ने निधि नियम, 2014 में अहम बदलाव किया है।

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जनता के हितों के लिए सरकार का बड़ा कदम, कंपनियों के लिए बदला ये नियम (Pic: iStock)

नई दिल्ली। सरकार ने आम लोगों के हितों की रक्षा के लिए निधि कंपनियों (Nidhi companies) को नियंत्रित करने वाले नियमों में संशोधन किया है। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि निधियों के रूप में कार्य करने की इच्छुक सूचीबद्ध कंपनियों को अब जमा स्वीकार करने से पहले केंद्र सरकार से पूर्व-मंजूरी प्राप्त करनी होगी।

निधि कंपनियों के लिए नए नियम 
बयान में कहा गया, 'आम जनता के हितों की रक्षा के लिए, यह अनिवार्य है कि इसका सदस्य बनने से पहले केंद्र सरकार से निधि कंपनी के रूप में घोषणा हासिल की जाए। इसके अलावा 10 लाख रुपये की शेयर पूंजी के साथ निधि कंपनी के रूप में गठित फर्म को खुद को निधि घोषित करने के लिए न्यूनतम 200 की सदस्यता के साथ एनडीएच-4 फॉर्म के जरिये आवेदन करना होगा। ऐसी कंपनियों का शुद्ध स्वामित्व वाला कोष (NOF) गठन के 120 दिन के अंदर 20 लाख रुपये होना चाहिए।'

आवेदनों के 45 दिन तक निर्णय लिए जाने पर क्या होगा? 
वहीं नए नियमों में कंपनी के प्रवर्तकों और निदेशकों को नियमों में निर्धारित उपयुक्त व्यक्ति के मानदंड को पूरा करना होगा। मंत्रालय ने बताया कि समय पर निपटान के लिए केंद्र सरकार एनडीएच-4 (NDH-4) के रूप में कंपनियों की तरफ से दायर आवेदनों की प्राप्ति के 45 दिन के भीतर कोई निर्णय नहीं लेती है, तो मंजूरी को स्वीकृत माना जाएगा।

क्या हैं निधि कंपनियां?
विज्ञप्ति में कहा गया है कि, 'यह ऐसी कंपनियों पर लागू होगा जिन्हें निधि (संशोधन) नियम, 2022 के बाद निगमित किया जाएगा।' निधि कंपनियां नॉन-बैंकिंग वित्तीय संस्थाएं हैं, जो अपने सदस्यों के साथ उधार देने और उधार लेने में हैं।

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