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कोच का खुलासा, मध्य प्रदेश की चैंपियन टीम ने रणजी ट्रॉफी फाइनल से पहले खेला था 4 बॉलर्स का 'जुआ'

Updated Jun 28, 2022 | 11:57 IST

MP Cricket team coach Chandrakant Pandit reveals: रणजी ट्रॉफी फाइनल जीतने वाली मध्य प्रदेश की टीम ने इतिहास रचा और अब उनके अभियान व खिलाड़ियों से जुड़ी तमाम दिलचस्प कहानियां सामने आ रही हैं। कोच चंद्रकांत पंडित ने रणनीति को लेकर भी कुछ खुलासे किए।

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MP Ranji Team (BCCI)
मुख्य बातें
  • रणजी ट्रॉफी 2021-22
  • चैंपियन मध्य प्रदेश के कोच चंद्रकांत पंडित ने किया खुलासा
  • टीम ने चार गेंदबाजों के साथ उतरने का 'जुआ' खेला था

मध्यप्रदेश के पहले रणजी खिताब के प्रमुख शिल्पकार कोच चंद्रकांत पंडित ने कहा है कि उनकी टीम ने फाइनल में दिग्गज मुंबई के खिलाफ चार गेंदबाजों के साथ मैदान में उतरने का ‘‘जुआ’’ खेला और आखिरकार ट्रॉफी जीतने में सफल रही। पंडित सोमवार रात इंदौर के होलकर स्टेडियम में मध्यप्रदेश क्रिकेट संघ (एमपीसीए) द्वारा विजेता टीम के भव्य स्वागत समारोह को संबोधित कर रहे थे। आदित्य श्रीवास्तव की अगुवाई वाली टीम ने 41 बार की रणजी चैंपियन रह चुकी मुंबई को घरेलू क्रिकेट के इस सबसे बड़े मुकाबले में रविवार को बेंगलुरू के चिन्नास्वामी स्टेडियम में पटखनी दी और मध्यप्रदेश के गठन के साढ़े छह दशक के लम्बे अंतराल के बाद पहला रणजी खिताब अपने नाम किया।

पंडित ने रणजी फाइनल के कश्मकश भरे पलों को याद करते हुए कहा,‘‘मैं फाइनल से पहले अपनी टीम में गेंदबाजों की संख्या को लेकर खुद दुविधा में था। चिंतित कप्तान श्रीवास्तव ने मुझसे कहा कि वह केवल चार गेंदबाजों के साथ मैच संभाल नहीं सकेंगे और मुझे उन्हें एक और तेज गेंदबाज देना ही होगा।’’ कोच ने बताया कि उन्होंने अपनी दुविधा दूर करने के लिए मध्यप्रदेश के वरिष्ठ क्रिकेट प्रशासक संजय जगदाले को फोन किया। उन्होंने बताया,‘‘जगदाले मुझसे बोले कि अगर मेरा दिल कहता है कि मैं फाइनल में चार गेंदबाजों के साथ टीम उतारूं, तो मुझे इसी योजना पर आगे बढ़ना चाहिए।’’

पंडित ने कहा,‘‘हमने चुनौती स्वीकार करते हुए तय किया कि हम चार गेंदबाजों के साथ ही फाइनल खेलेंगे क्योंकि अगर मुंबई की टीम अच्छे बल्लेबाजों से लैस है, तो जवाब में हमारे पास भी अच्छे बल्लेबाज हैं। हमने एक जुआ खेला। ईश्वर ने हमें अपना आशीर्वाद दिया।’’ उन्होंने कहा कि वेंकटेश अय्यर,आवेश खान, कुलदीप सेन, पुनीत दाते और ईश्वर पांडे जैसे पांच महत्वपूर्ण खिलाड़ी अलग-अलग कारणों से रणजी फाइनल खेलने वाली मध्यप्रदेश टीम का हिस्सा नहीं थे, इसके बावजूद टीम के अन्य ‘‘कमांडो’’ खिलाड़ियों ने रणजी खिताब जीतने का मिशन शानदार तरीके से पूरा किया।

कोच ने यह भी बताया कि रणजी स्पर्धा से पहले मध्यप्रदेश की टीम ने लम्बी तैयारी की थी। उन्होंने कहा,‘‘हमने पिछले दो सत्रों के दौरान संभावित खिलाड़ियों और बाद में टीम के चयनित सदस्यों के साथ कुल 400 दिन प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए। एमपीसीए के पदाधिकारियों ने मुझे काम करने की पूरी आजादी और हर मुमकिन सहयोग दिया।’’

एमपीसीए अध्यक्ष अभिलाष खांडेकर ने राज्य को पहला रणजी खिताब दिलाने वाली टीम की पीठ थपथपाते हुए कहा,‘‘कोच पंडित ने हमारी टीम के खिताब जीतने के बाद मुझे बताया कि रणजी स्पर्धा की तैयारियों से जुड़े एमपीसीए के हर दस्तावेज के कवर पर रणजी ट्रॉफी की तस्वीर छापी गई थी ताकि टीम का हर सदस्य प्रोत्साहित होकर इस लक्ष्य को हासिल करने के प्रति 100 फीसदी योगदान करे।’’

खांडेकर ने कहा कि वर्ष 2020 में मध्यप्रदेश के कोच के रूप में पंडित की नियुक्ति पर एमपीसीए के कुछ लोगों ने अलग-अलग कारणों से विरोध जताया था, लेकिन एमपीसीए की निगाहें रणजी विजेता बनने के लक्ष्य पर टिकी थीं, इसलिए तय किया गया कि चाहे कुछ भी हो जाए, यह जिम्मेदारी पंडित ही निभाएंगे। पहले रणजी खिताब से जाहिर तौर पर खुश एमपीसीए अध्यक्ष ने कहा,‘‘पंडित को कोच चुनने का शानदार नतीजा आज हमारे सामने है।’’

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