- साल 2005 से 2007 के बीच ग्रैग चैपल थे टीम इंडिया के कोच
- 2007 के विश्व कप में पहले दौर में हार के बाद खत्म हो गया था चैपल का कार्यकाल
- इस दौरान चैपल के टीम के सीनियर खिलाड़ियों से रहे थे मतभेद, अब दे रहे हैं धोनी को फिनिशर में तब्दील करने का क्रेडिट
मुंबई: भारतीय क्रिकेट प्रशंसक साल 2007 में भारतीय टीम के विश्व कप के पहले दौर में हारने के बाद जितना निराश हुए थे शायद ही 21वीं सदी में और कभी ऐसा वक्त आया हो। भारतीय टीम का ऐसा हाल कभी नहीं हुआ था। टीम इंडिया की इस बदहाली के लिए हर किसी ने तात्कालिक कोच ग्रैग चैपल को जिम्मेदार ठहराया था और इसके बाद उन्हें अपने पद से भी हाथ धोनी पड़ा था।
उस दौर में भारतीय टीम की अहम कड़ी रहेऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने बुधवार को ग्रैग चैपल के कार्यकाल को भारतीय क्रिकेट का सबसे बुरा समय बताया। उन्होंने ये प्रतिक्रिया चैपल द्वारा एक कार्यक्रम में महेंद्र सिंह धोनी के बारे में दिए उस बयान के बाद दी है जिसमें ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान ने कहा था कि धोनी को हर बार गेंद को सीमारेखा के बाहर मारने के बजाए शॉट को नीचे खेलने की सलाह उन्होंने दी थी।
इस खबर को पढ़ने के बाद हरभजन सिंह ने ट्वीट कर कहा, उन्होंने( चैपल ने) धोनी को शॉट नीचे रखकर खेलने की सलाह इसलिए दी थी क्योंकि कोच हर किसी को मैदान के बाहर पहुंचा रहे थे। वह अलग खेल खेल रहे थे।
धोनी की चैपल ने दी थी लंबे शॉट नहीं मारने की सलाह
चैपल ने धोनी को लेकर यह भी कहा था कि उन्होंने धोनी से ताकतवर बल्लेबाज अभी तक नहीं देखा। चैपल 2005 से 2007 तक भारतीय टीम के कोच रहे थे। उनका कार्यकाल हालांकि विवादों से भरा रहा और कई सीनियर खिलाड़ियों के साथ उनके मतभेद रहे जिसमें तत्कालीन कप्तान और मौजूदा समय में बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली भी शामिल थे।
चैपल ने धोनी के बारे में कहा था, मुझे याद है कि जब मैंने उनको पहली बार बल्लेबाजी करते देखा तो मैं हैरान रह गया था। उस समय वह भारत में सबसे चमकदार क्रिकेट खिलाड़ी थे। वह काफी अलग तरह से पोजीशन में आकर गेंद को मारते थे। मैंने जितने भी बल्लेबाज देखे हैं, उनमें से वो सबसे ताकतवर हैं।
उन्होंने कहा, मुझे उनकी श्रीलंका के खिलाफ खेली गई 183 रनों की पारी याद है। उनकी ताकतवर बल्लेबाजी उस समय बेहतरीन थी। अगला मैच पुणे में था और मैंने धोनी से कहा था कि आप हर गेंद को सीमारेखा के पार पहुंचाने के बजाए शॉट नीचे रखकर क्यों नहीं खेलते। अगले मैच में हम तकरीबन 260 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रहे थे और अच्छी स्थिति में थे। धोनी ने कुछ दिन पहले जो बल्लेबाजी की थी, वह उससे उलट बल्लेबाजी कर रहे थे।
चैपल ने कहा, हमें 20 रन चाहिए थे और धोनी ने 12वें खिलाड़ी आरपी सिंह के जरिए मुझसे छक्का मारने को पूछा था। मैंने कहा, तब तक नहीं जब तक लक्ष्य एक अंक में नहीं आ जाता। फिर जब हमें छह रन की जरूरत थी तो उन्होंने छक्का मारकर मैच समाप्त कर दिया।