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Mumbai Police के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह की मुश्किलें बढ़ीं, ठाणे कोर्ट ने जारी किया गैर जमानती वारंट

Updated Oct 29, 2021 | 09:11 IST

ठाणे के मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने जबरन वसूली के मामले में विवादास्पद आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह (Parambir Singh) के खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
Mumbai: पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट
मुख्य बातें
  • ठाणे की कोर्ट ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के खिलाफ जारी किया वारंट 
  • गैर जमानती वारंट में कहा गया है कि परमबीर सिंह लंबे समय से नहीं हो रहे हैं पूछताछ के लिए पेश
  • परमबीर सिंह पर रेस्तरां औऱ बार से उगाही के लगे हैं आरोप

ठाणे: मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह (Parambir Singh) की मुश्किलें बढ़ गई है. ठाणे कोर्ट ने उनके  खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। पुलिस ने बुधवार को कोर्ट में आवेदन दायर करते  हुए कहा था कि उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया जाए क्योंकि उनके खिलाफ दर्ज वसूली के मामले में वो फरार हैं और समन पर पूछताछ के लिए हाजिर भी नहीं हो रहे हैं। आपको बता दें की बिपिन अग्रवाल नाम के एक व्यापारी ने मुंबई के गोरेगांव पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई थी।

सचिन वाझे भी है आरोपी

इस केस में परमबीर सिंह समेत एंटीलिया कांड में गिरफ़्तार सचिन वाजे भी आरोपी है। शिकायत के मुताबिक वाजे और उसके साथी ने मिलकर  मुंबई के बार और रेस्तरां वालों से पैसों की वसूली करते थे और पैसे ना देने पर उनपर कार्रवाई का डर दिखाया जाता था। मुंबई के पुलिस कमिश्नर के पद से हटाए जाने के कुछ दिनों बाद परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखी एक चिट्ठी में दावा किया था कि महाराष्ट्र के तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख पुलिस  अधिकारियों से मुंबई में रेस्तरां और बार के मालिकों से पैसे की उगाही के लिए कहते थे।

देश से भागे!

सियासी हलकों में चर्चा है कि सिंह मई से महाराष्ट्र होम गार्डस के कमांडेंट-जनरल के रूप में अपने कर्तव्य से अनुपस्थित हैं और संभव है कि देश से भाग गए हों। आपको बता दें कि मुंबई के हाई-प्रोफाइल पूर्व पुलिस कमिश्नर सिंह ने एक बड़े राजनीतिक विवाद को जन्म दिया, जब उन्होंने तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को उछालते हुए एक लेटर जारी किया था। जब उन्हें उनके पद से ट्रांसफर कर दिया था। इसके बाद उनके खिलाफ मुंबई और ठाणे में भ्रष्टाचार, जबरन वसूली, कार्यालय के दुरुपयोग के कई मामलों दर्ज किए गए थे।