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NCERT Guidelines: छात्रों में मानसिक परेशानी पहचानने के लिए एनसीईआरटी के दिशानिर्देश, इन बातों का रखें ध्यान

Updated Sep 11, 2022 | 23:55 IST

NCERT Guidelines about Students Mental Health: एनसीईआरटी की ओर से छात्रों में मानसिक समस्याओं की पहचान के संबंध में कुछ गाइडलाइन जारी की गई हैं, जिन्हें यहां पर चेक कर सकते हैं।

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NCERT Guidelines for Mental Health
मुख्य बातें
  • छात्रों में मानसिक परेशानी को लेकर एनसीईआरटी ने उठाया कदम।
  • समस्याओं की प्रारंभिक पहचान के लिए जारी किए दिशानिर्देश।
  • मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार समिति बनाने का दिया सुझाव।

नई दिल्ली: मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार समिति का गठन, मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, विद्यार्थियों का मानसिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के वास्ते शैक्षणिक सहायता आदि एनसीईआरटी द्वारा स्कूलों के लिए जारी दिशानिर्देशों में शामिल है। स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों के बीच कराये गए मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के बाद राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा 'विद्यालय जाने वाले बच्चों और किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की प्रारंभिक पहचान के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।’

पिछले सप्ताह आई सर्वेक्षण रिपोर्ट में विद्यालय जाने वाले विद्यार्थियों में तनाव और चिंता के प्रमुख कारकों में परीक्षा, परिणाम और साथियों के दबाव का हवाला दिया गया है।

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दिशानिर्देशों के अनुसार, 'विद्यालयों को आमतौर पर ऐसे स्थान के रूप में देखा जाता है जहां विद्यार्थियों के एक सुरक्षित वातावरण में विकसित होने की उम्मीद की जाती है। स्कूल प्रबंधन, प्रधानाचार्य, शिक्षक, अन्य कर्मचारी और विद्यार्थी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विद्यालयों में साल में लगभग 220 दिन बिताते हैं। आवासीय विद्यालयों में एक विद्यार्थी का बिताया गया समय और भी अधिक होता है। इसलिए, विद्यालयों और छात्रावासों में सभी बच्चों की सुरक्षा, संरक्षण, स्वास्थ्य और भलाई सुनिश्चित करना विद्यालयों की जिम्मेदारी है।'

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दिशानिर्देशों में कहा गया है, ‘प्रत्येक विद्यालय या विद्यालयों के समूहों को एक मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार समिति बनानी चाहिए। इसकी अध्यक्षता प्रधानाचार्य की ओर से की जानी चाहिए। इसमें शिक्षक, माता-पिता, विद्यार्थी, पूर्व विद्यार्थी सदस्य के रूप में शामिल होंगे।’

इस बात पर गौर करते हुए कि मानसिक स्वास्थ्य के अधिकतर मुद्दे जीवन के प्रारंभिक चरण में सामने आते हैं, एनसीईआरटी ने सिफारिश की है कि माता-पिता और शिक्षक बच्चों को प्रारंभिक संकेतों के बारे में सूचित करें।