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यूपी: दो बार का मुख्यमंत्री जिसने केवल 70 वोट से जीता चुनाव, बिगड़ गया कांग्रेस का खेल

Updated Jan 27, 2022 | 21:49 IST

UP Assembly Election: चंद्रभान गुप्ता उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता रहे हैं, और 4 बार मुख्यमंत्री बने। उनकी चरण सिंह के साथ राजनीतिक लड़ाई के बाद ही कांग्रेस का प्रदेश में दबदबा कम होना शुरू हुआ।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
चंद्रभान गुप्ता यूपी के दिग्गज नेता रहे हैं।
मुख्य बातें
  • 1967 के चुनाव में चंद्रभान गुप्ता रानीखेत सीट से केवल 70 वोट से जीत पाए थे।
  • 1967 के चुनाव में पहली बार हुआ कि कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला।
  • चुनाव में चंद्रभान गुप्ता को 17335 वोट और जी.सिंह को 17265 वोट मिले थे।

नई दिल्ली:  उत्तर प्रदेश में करीब दो दशक बाद, ऐसा हो रहा है कि मौजूदा मुख्यमंत्री चुनावी मैदान में हैं। इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सदर सीट से चुनावी मैदान में हैं। आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में  बता रहे हैं, जो दो बार मुख्यमंत्री रहने के बाद चुनावी मैदान में जब उतरा तो बड़ी मुश्किल से अपनी सीट बचा पाया। वह केवल 70 सीट से ही चुनाव जीत पाए। हम बात कर रहे हैं 1967 के विधानसभा चुनाव की, जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चंद्रभान गुप्ता ने केवल 70 वोट से जीत हासिल की थी।

रानीखेत सीट पर हुआ रोचक मुकाबला

बात 1967 के विधानसभा चुनाव की है। उस समय उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड एक हुआ करते थे। कांग्रेस के दिग्गज नेता और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके चंद्रभान गुप्ता रानीखेत से चुनाव लड़ रहे थे। और आजादी के बाद से कांग्रेस अपराजेय रही थी, वह लगातार चुनाव जीतते आ रही थी। ऐसे में उसके मुख्यमंत्री के लिए जीत बेहद आसान मानी जा रही थी। 

लेकिन चुनाव की मतगणना शुरू हुई तो कांग्रेस पार्टी के नेताओं और चंद्रभान गुप्ता की धड़कनें बढ़ गई। मतगणना के दौरान निर्दलीय उम्मीदवार जी.सिंह ऐसी कड़ी टक्कर दे रहे थे कि लगा कि चंद्रभान गुप्ता चुनाव हार जाएंगे। और अंत में बड़ी मुश्किल से चंद्रभान गुप्ता केवल 70 मतों से जीत पाए। चुनाव में चंद्रभान गुप्ता को 17335 वोट और जी.सिंह को 17265 वोट मिले थे।

1967 के चुनाव में पहली बार नहीं मिला बहुमत

1967 का विधानसभा चुनाव चंद्रभान गुप्ता ही नहीं कांग्रेस पार्टी के लिए भी झटके वाला था। पहली बार उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला था। 423 सदस्यों की विधानसभा में कांग्रेस 198 सीटें जीत कर सबसे बड़े दल के रूप में उभरी जरूर लेकिन वह बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई। और इन चुनावों के बाद कांग्रेस नेता चरण सिंह के बागी तेवर भी दिखे और राज्य में 1970 में पहली बार उनके नेतृत्व में गैर कांग्रेसी सरकार बनी।