मुंबई : जल्द ही देश की पहली महिला फोरेंसिक साइंटिस्ट की कहानी पर्दे पर आएगी और आप देख सकेंगे कि डॉ. रुक्मणी कृष्णमूर्ति कौन हैं और किस खास काम ने उनको भारतीयों के बीच लोकप्रिय बना दिया था। बता दें कि भारत की पहली महिला फोरेंसिक वैज्ञानिक डॉ. रुक्मणी कृष्णमूर्ति ने 1993 के बॉम्बे ब्लास्ट के दौरान फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में विस्फोटक विभाग के प्रमुख के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस घिनौने कृत्य के अपराधियों तक पहुंचने में लगी फॉरेंसिक टीम में डॉ. रुक्मणी अकेली महिला थीं और अपने पुरुष सहकर्मियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी थीं।
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डॉ. रुक्मणी कृष्णमूर्ति की बायोपिक को हरमन बावेजा प्रोड्यूस करने जा रहे हैं। अपने होम बैनर बवेजा स्टूडियोज के तहत, हरमन ने इस बायोपिक के लिए डॉ रुक्मणी कृष्णमूर्ति के लाइफ राइट्स हासिल कर लिए हैं। अपने इस प्रोजेक्ट के बारे में हरमन का कहना है कि मेरा मिशन उन अनसुनी कहानियों को बताना है जो युवा पीढ़ी को प्रेरित करती हैं। डॉ. रुक्मणी कृष्णमूर्ति की कहानी ऐसी ही एक है। देश भर के दर्शकों को फॉरेंसिक साइंस, और 1993 के बॉम्बे ब्लास्ट के दौरान उनकी भूमिका व यात्रा के बारे में जानना चाहिए। उनकी कहानी को बताने में एक भूमिका निभाना मेरे लिए गर्व की बात है।
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अपनी बायोपिक पर डॉ. रुक्मणी कृष्णमूर्ति ने कहा कि 1993 के बम धमाकों को करीब 30 साल बीत चुके हैं और फिर भी जांच की यादें आज भी उतनी ही ताजा हैं, जितनी कल थीं। फॉरेंसिक जांच का क्षेत्र आज कितना आगे आ गया है, यह सोचकर हैरानी होती है। हरमन से मिलने और मेरी कहानी के लिए उनके दृष्टिकोण को देखने के बाद, मैं कह सकती हूं कि इसे सही तरीके से बताया जाएगा।