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Faridabad Nagar Parishad : नगर परिषद घोटाले में 50 दिन बाद भी अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं

Updated Mar 28, 2022 | 18:20 IST

Faridabad Nagar Parishad: फरीदाबाद में नगर परिषद घोटाला प्रकरण में 50 दिन बीत जाने के बाद भी अब तक अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं की गई है। विजिलेंस जांच में वर्ष 2015 से 2019 तक 388 विकास कार्यों में गड़बड़ी मिली थी। 

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
नगर परिषद घोटाले में 50 दिन बाद अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं
मुख्य बातें
  • फरीदाबाद में नगर परिषद घोटाला प्रकरण में 50 दिन बीते
  • अब तक अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं
  • विजिलेंस जांच में वर्ष 2015 से 2019 तक 388 विकास कार्यों में गड़बड़ी मिली

Faridabad Nagar Parishad: बिना काम किए कर्मचारियों को भुगतान करने के मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। मामले में विजिलेंस ने नगर निगम के 10 कर्मचारी और अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की थी। लेकिन, 50 दिन बीत जाने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। विधानसभा में विधायक नीरज शर्मा के लिखित जवाब में राज्य सरकार ने विजिलेंस की रिपोर्ट में बताया था। बता दें कि विजिलेंस जांच में वर्ष 2015 से 2019 तक 388 विकास कार्यों में गड़बड़ी मिली थी। इसके बाद विजिलेंस ने जांच को लेकर निर्देश दिए थे। 

बता दें कि नगर निगम द्वारा बिना काम के भुगतान करनके साथ ही वार्डों में विकास कार्य भी नहीं कराया गया। साथ ही, प्रोजेक्ट की कीमत को कई गुना बढ़ाकर भी घोटाला किया गया है। वार्ड-14 में इंटरलॉकिंग के काम का एस्टीमेंट 54.36 लाख तैयार किया गया था। लेकिन, इसे बदलकर 1.97 करोड़ कर दिया गया। विधायक नीरज शर्मा ने यह भी आरोप लगााया कि इस घोटाले में कई बड़े अधिकारी भी शामिल हैं। सरकार आरोपियों को बचाने में जुटी है। विजिलेंस ने इस मामले में मुख्य अभियंता डीआर भास्कर, संयुक्तायुक्त अंकेक्षण दीपक थापर, कार्यकारी अभियंता रमन शर्मा, सहायक अभियंता शेरसिंह, कनिष्क अभियंता दीपक कुमार, कनिष्क अभियंता राजन तेवतिया, लिपिक पंकज कुमार, प्रदीप कुमार व तस्लीम और सतबीर सिंह ठेकेदार को दोषी माना है। नगर निगम ने जेई राजन तेवतिया, क्लर्क पंकज, तस्लीम व प्रदीप को बर्खाश्त कर दिया। 

जांच कमेटी का गठन किया गया

बता दें कि कोरोना के समय 2020 जुलाई में पांच पार्षदों दीपक चौधरी, कपिल डागर, दीपक यादव, सुरेंद्र अग्रवाल व महेंद्र सिंह ने नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त डॉ. यश गर्ग को एक शिकायत दी थी। पार्षदों ने वार्डों में विकास कार्य करते हुए 50 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। जिसके बाद इस पर जांच कमेटी का गठन किया गया। राज्य सरकार ने जांच 05 फरवरी 2021 को विजीलेंंस को जांच सौंपी। जांच में तीन अधिकारियों को दोषी करार दिया गया और जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी गई। लेकिन, सरकार ने इस रिपोर्ट के बाद भी आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।