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हाइपोग्लाइसीमिया या चमकी बुखार‌? क्यों मर रहे बच्चे, जानें कारण और बचाव

Updated Jun 18, 2019 | 07:23 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

मुज्जफरपुर में चमकी बुखार या हाइपोग्लाइसीमिया से अब तक जाने कितने ही बच्चे मर चुके हैं। इस बीमारी के खतरे से अनजान लोगों को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। जानिए इस बीमारी का कारण और बचाव।

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तस्वीर साभार:&nbspAP
Hypoglycemia

चमकी बुखार अचानक से होता है और इतना तगड़ा की इससे बच्चों के इम्युन सिस्टम इतना वीक हो जाता है कि बच्चों की मौत तक हा जाती है। इतना ही नहीं चमकी बुखार के कारण ही हाइपोग्लाइसीमिया होने का खतरा बढ़ जाता है। यही कारण है कि अभी तक यह क्लियर नहीं हो पाया है कि बच्चों की मौत चमकी बुखार से हो रही है या जहरीली लीची या हाइपोग्लाइसीमिया के कारण। ये दोनों ही बीमारियां इतनी गंभीर है कि बच्चे इससे मुकाबला नहीं कर पाते। एक से 15 साल तक के बच्चों में ये बीमारी तेजी से अटैक कर रही है।

खास बात ये है कि ये बीमारी कोई छुआछूत की नहीं बल्कि बीमारी के बारे में जानकारी के अभाव के कारण ही फैल रही है। तेज गर्मी, डीहाइड्रेशन, गलत खानपान, पोषक तत्वों की कमी के साथ ही देर तक धूप में रहना भी इस बीमारी के कारणों में शामिल है। इसलिए बीमारी को समझना और बचाव को जानना बेहद जरूरी है।

चमकी बुखार के लक्षण क्या है?
चमकी बुखार अचानक से होने के कारण ही चमकी नाम से पुकारा जा रहा है। चमकी बुखार में बच्चे को लगातार तेज़ होता जाता है और शरीर में ऐंठन होने लगती है। कंकपी के साथ ठंड और बच्चों का दांत किटकिटाना इसके आम लक्षण हैं। बच्चा इतना कमजोर होता है कि बच्चे बार-बार बेहोश हो जाते हैं। उनका शरीर भी सुन्न हो जाता है.

गर्मी बन रही बीमारी के लिए खतरनाक
गर्मी , चमकी बुखार के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि गर्मी में धूप में बच्चों को देर तक रहना, बिना खाए-पीए खेलना या घूमने की आदत, कम पानी पीना

और डीहाइड्रेशन होना, जैसे कई कारण गर्मियों में बच्चों के इम्यून सिस्टम को तेजी से प्रभावित करते हैं। इससे चमकी बुखार होने की संभावना तेजी से बढ़ती है।

हाइपोग्लाइसीमिया है गंभीर लक्षण
शरीर में पानी की कमी होने पर बच्चे जल्दी हाइपोग्लाइसीमिया के चपेट में आ जाते हैं। सही खानापान न होने से उनके शरीर का शुगर लेवल तेजी से नीचे गिरने लगता है। ऐसे में उनके शरीर में सोडियम की कमी भी होती है। बेहोशी का एक बड़ा कारण हाइपोग्लाइसीमिया भी होता है। बच्चों को पता ही नहीं होता कि उनका ग्लोकोज लेवल कम हो रहा है और वे अचानक से गिर पड़ते हैं।

बीमारी से बचाने के लिए रखें ये बातें ध्यान में

  • फल और खाना खाने से पहले उसकी जांच जरूर कर लें कि कही वह खराब न हो।
  • बच्चे को कभी भी किसी भी हाल में किसी का जूठा खाना न दें।
  • तेज धूप, गर्मी में बच्चों को बाहर न निकलने दें।
  •  जब भी बच्चा बाहर जाए वह पूरी तरह से कपड़ों में हो।
  • बाहर जाने से पहले खाना खा कर निकलें और शरीर में पानी की कमी न होने दें।
  • बच्चों को सूअर और गाय के पास जाने से रोकें।
  • खाने से पहले और खाने के बाद हाथ ज़रूर धुलवाएं।
  • बच्चों की साफ सफाई पर खूब ध्यान दें। उनके नाखून नहीं बढ़ने दें।
  • बच्चों को पोषण पूरा हो यह ध्यान दें। हरी सब्जी, फल और दूध-दही खूब खिलाएं।
  •  जब भी पानी पीने को कुछ मीठा भी खिलाएं अगर बच्चा ज्यादा समय बाहर रहता हो तो।

11. खाली पेट लीची खाने से बचें और जब भी लीची खांए उसे अच्छी तरह धो लें। ताकि उस पर लगा केमिकल्स हट जाए।

कुछ बातों को ध्यान रख कर आप भी अपने बच्चों को चमकी बुखार या हाइपोग्लाइसीमिया के खतरे से बचा सकते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। 

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