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क्‍या दूध पीते ही बच्‍चा कर देता है उल्‍टी, कहीं आप तो नहीं कर रहीं ये गलती?

Updated Jun 27, 2019 | 22:20 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

नवजात शिशुओ की एक आम समस्या होती है दूध का उलटना यानी रिफ्लक्स, लेकिन नई मांओं के लिए ये बेहद चिंता की बात होती है। जानिए ऐसा क्यों करते हैं शिशु।

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Baby (Image Credit: Pixabay)

शिशु जो खासकर छह माह से कम के होते हैं वह दूध पीने के बाद दूध को उलट देते हैं। कुछ शिशु इसे दिन मे एक या दो बार करते हैं जबकि कुछ में ये हर बार नजर आता है। दूध का बारह निकल आना क्या कोई समस्या है या बीमारी। एक नई मां के लिए ये चिंता का विषय जरूर होता है कि आखिर बच्चा दूध क्यों उलट रहा है। अगर आप भी इस चिंता से दो चार हो रही हैं तो घबराने की जरूरत नहीं। 

शिशुओं की ये सामान्य प्रक्रिया है जिसे वह करते हैं। दूध उलटने की वजह आप जब जान लेंगी तो आपकी ये चिंता खत्म हो जाएगी। तो आइए आज जानें की बच्चों में रिफ्लक्स का क्या कारण होता है और अगर ये ज्यादा होता है तो इससे कैसे बचें।

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रिफ्लक्स यानी गैस्ट्रो इसोफेगल रिफ्लक्स (जीओआर)
रिफ्लक्स यानी दूध उलटना एक प्रक्रिया है। क्योंकि जब शिशु जन्म लेते हैं तो उनका पाचन तंत्र विकसित नहीं होता। शिशु जब दूध पी लेता है तब कुछ दूध का अंश वापस भोजन नलिका में ऊपर की ओर आ जाता है। मेडिकल टर्म में इसे गैस्ट्रो इसोफेगल रिफ्लक्स (जीओआर) के नाम से जानते हैं। शिशु के पेट में एसिड होता है जो दूध को पचाने का काम करता है लेकिन जब दूध और एसिड मिलते हैं तो कई बार एसिड के कारण दूध भोजन नलिका में ऊपर की ओर आ जाता है और शिशु इसी दूध को बाहर निकाल देता है। सामान्यत: सभी शिशुओं में कम या ज्यादा ये समस्या होती ही है। धीरे-धीरे जब उनका पाचन तंत्र विकसित होता है तो समस्या खत्म हो जाती है।

दूध उलटने के पीछे शारीरिक कारण भी जानें
शिशु की भोजन नलिका उसके मुंह को पेट से जोड़ती है जहां एक वॉल्व होता है। ये वॉल्व मांसपेशी के छल्ले से कंट्रोल होता है। जब शिशु दूध पीता है तो ये वॉल्व खुल जाता है औरदूध पेट के अंदर चला जाता है और जैसे ही शिशु दूध पीना बंद करता है ये वॉल्व बंद हो जाता है। जन्म के समय मांसपेशी का यह छल्ला बहुत पूरी तरह से विकसित नहीं होता और कई बार ये खुलने-बंद होने पर सही काम नहीं करता और यही कारण है कि कुछ दूध भोजन नली से पेट में न जाकर ऊपर की ओर आ जाता है।

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शिशु को रिफ्लक्स से ऐसे बचाएं

  • शिशु को गोद में लेकर जब भी दूध पिलाएं उसका सिर और आधा धड़ ऊंचा रहे। करीब 85 डिग्री पर उसे रख कर दूध पिलाएं।
  • दूध एक बार में कभी ज्यादा न पिलाएं बल्कि बार - बार थोड़ा-थोड़ा ही पिलाएं।
  • हर बार दूध पिलाने के बाद शिशु को 20 से 30 मिनट तक सीधा रखें,उसे लिटाएं नहीं।
  • दूध पिलाने के बाद शिशु को कंधे पर लें और उसके पीठ पर थपकी देते हुए डकार दिलाएं। करीब तीन मिनट तक उसे ऐसे ही रखें।
  • अगर आप बॉटल से दूध दे रही हैं तो यह देख लें कि निप्पल का छेद बड़ा न हो। इससे शिशु तेजी से ज्यादा दूध लेगा और बाहर आने के खतरा रहेगा।
  • शिशु का सिराहना ऊंचा रखें ताकि वह सीधे जब लेटे तो पेट से दूध बाहर न आने पाए।
  • शिशु को करवट भी लिटा सकती हैं। करीब तीन मिनट बाद उसे सीधा लिटा दें।

छोटी लेकिन इन महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान दे कर आप आसानी से शिशु को रिफ्लक्स से बचा सकती हैं।

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता।

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