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'कर्म किए जा फल की इच्छा मत', हार के बाद यशवंत सिन्हा को याद आया कर्म योग का संदेश

Updated Jul 22, 2022 | 09:13 IST

Yashwant Sinha letter: ट्वीटर पर सिन्हा ने मुर्मू को जीत की बधाई देते हुए कहा कि बाकी देशवासियों की तरह वह भी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव में जीत की बधाई देते हैं। उन्होंने आगे लिखा, 'देश उम्मीद करता है कि वह 15वें राष्ट्रपति के रूप में बिना डर अथवा पक्षपात के संविधान की सुरक्षा करेंगी।'

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
राष्ट्रपति चुनाव में यशवंत सिन्हा की हार हुई है।
मुख्य बातें
  • राष्ट्रपति चुनाव 2022 के चुनाव नतीजे 21 जुलाई को घोषित हुए
  • इस चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की हार हुई है
  • सिन्हा ने अपनी हार स्वीकार करते हुए मुर्मू को जीत की बधाई दी

Yashwant Sinha : राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे गुरुवार को आए। इस चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के हाथों विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हार मिली। सिन्हा ने जीत के लिए पत्र लिखकर मुर्मू को बधाई दी। चुनाव में मुर्मू 64 फीसदी से ज्यादा वोट मिले और इस पद पर पहुंचने वाली वह पहली आदिवासी महिला हैं। मुर्मू की जीत पर सत्ता और विपक्ष के तमाम नेताओं ने उन्हें बधाई दी है लेकिन सिन्हा ने अपनी उम्मीदवारी का बचाव करते हुए पत्र में भगवद गीता के एक उपदेश का जिक्र किया है।  

कर्म योग का संदेश
ट्वीटर पर सिन्हा ने मुर्मू को जीत की बधाई देते हुए कहा कि बाकी देशवासियों की तरह वह भी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव में जीत की बधाई देते हैं। उन्होंने आगे लिखा, 'देश उम्मीद करता है कि वह 15वें राष्ट्रपति के रूप में बिना डर अथवा पक्षपात के संविधान की सुरक्षा करेंगी।' सिन्हा ने अपने ट्वीट के साथ एक पत्र भी साझा किया है। इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि 'राष्ट्रपति चुनाव में आम सहमति से उम्मीदवार बनाने के लिए मैं विपक्ष के दलों को धन्यवाद देता हूं। इस चुनाव में जिन सदस्यों ने मुझे वोट दिया, मैं उनका भी आभार जताता हूं। मैं गीता के कर्म योग के दर्शन 'कर्म किए जा फल की इच्छा मत रख' में विश्वास करता हूं। इसी दर्शन का पालन करते हुए मैंने उम्मीदवारी के विपक्ष के प्रस्ताव को स्वीकार किया। देश के प्रति प्रेम की वजह से मैंने अपना कर्तब्य का पालन पूरे मनोयोग से किया है। चुनाव प्रचार के दौरान मैंने जो मुद्दे उठाए वे अब भी प्रासंगिक बने हुए हैं।'

जांच एजेंसियों पर उठाए सवाल
सिन्हा ने आगे लिखा है, 'चुनाव का नतीजा चाहे जो रहा हो, मेरा मानना है कि इस नतीजे ने भारतीय लोकतंत्र को दो तरीके से फायदा पहुंचाया है। पहला, विपक्षी दल एक मंच पर आए। दूसरा चुनाव प्रचार के दौरान मैंने बड़े मुद्दों पर विपक्ष के विचारों, चिंताओं एवं वादों को प्रमुखता से सामने लाने की कोशिश की।' सिन्हा ने केंद्रीय जांच एजेंसियों के कामकाज के तरीकों पर फिर सवाल उठाए। 

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विपक्ष का पूरा साथ नहीं मिला
राष्ट्रपति चुनाव में राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए मुर्मू की जीत पक्की मानी जा रही थी। जबकि यशवंत सिन्हा को विपक्ष से पूरी तरह से समर्थन नहीं मिला। चुनाव में विपक्ष के सदस्यों ने क्रास वोटिंग की। हालांकि, चुनाव से पहले उन्होंने सदस्यों से अंतरात्मा की आवाज पर वोट करने की अपील की। राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए टीएमसी ने सिन्हा का नाम आगे किया था लेकिन टीएमसी प्रमुख ममता ने खुद उनके लिए प्रचार नहीं किया।  

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