नई दिल्ली: एक कार्यक्रम में भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) एन. वी.रमण ने कहा, "न्याय करना कोई आसान काम नहीं है। न्यायाधीशों को सामाजिक वास्तविकताओं से अवगत होना चाहिए। हमें बदलती सामाजिक जरूरतों और अपेक्षाओं को ध्यान से देखना होगा। दुनिया बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। हम जीवन के हर क्षेत्र में इस बदलाव को देख रहे हैं। 5 दिवसीय टेस्ट मैच से हम 20-20 प्रारूप में चले गए हैं। हम 3 घंटे की लंबी फिल्म की तुलना में कम अवधि के मनोरंजन को प्राथमिकता देते हैं। फिल्टर कॉफी से, हम इंस्टेंट कॉफी की ओर बढ़ गए हैं। इंस्टेंट नूडल्स के इस युग में, लोग तत्काल न्याय की उम्मीद करते हैं। लेकिन उन्हें इस बात का एहसास नहीं है कि अगर हम तत्काल न्याय के लिए प्रयास करते हैं तो वास्तविक न्याय एक हताहत होगा। '
भारत के प्रधान न्यायाधीश एन. वी.रमण ने शनिवार को कहा कि देश के संबंधित उच्च न्यायालयों में स्थानीय (क्षेत्रीय) भाषाओं के इस्तेमाल के संबंध में 'कुछ अवरोध' हैं। हालांकि, उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) सहित विभिन्न वैज्ञानिक नवाचारों की मदद से यह मुद्दा 'निकट भविष्य' में सुलझ जाएगा।
उच्च न्यायालयों में क्षेत्रीय भाषाओं के इस्तेमाल को लेकर न्यायमूर्ति रमण की यह टिप्णी उस वक्त आयी जब कार्यक्रम में मौजूद मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने मद्रास उच्च न्यायालय में तमिल भाषा के इस्तेमाल की अनुमति देने का सीजेआई से आग्रह किया।प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'समय-समय पर देश के विभिन्न हिस्सों में संविधान के अनुच्छेद 348 के तहत उच्च न्यायालयों में क्षेत्रीय भाषाओं के इस्तेमाल की मांग होती रहती है। इस विषय पर व्यापक बहस हो चुकी है। कुछ व्यवधान हैं, जिसके कारण उच्च न्यायालयों में स्थानीय भाषाओं के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी जा रही है। मैं आश्वस्त हूं कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में नवाचार के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी तरक्की के बल पर निकट भविष्य में उच्च न्यायालयों में (क्षेत्रीय) भाषाओं के इस्तेमाल से संबंधित कुछ मुद्दे सुलझ जाएंगे।'
"संवैधानिक मूल्यों को बरकरार रखना और लागू करना न्यायपालिका का उत्तरदायित्व"
सीजेआई ने न्यायिक संस्थानों को सशक्त बनाने को 'शीर्ष प्राथमिकता' देने का उल्लेख करते हुए कहा कि संवैधानिक मूल्यों को बरकरार रखना और लागू करना न्यायपालिका का उत्तरदायित्व है।उन्होंने कहा, 'संवैधानिक मूल्यों को बरकरार रखना और लागू करना हमारा दायित्व है। निस्संदेह यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, लेकिन इस जिम्मेदारी को उठाने का जिम्मा हमने शपथ लेने के साथ ही खुशीपूर्वक स्वीकार किया है। इसलिये न्यायिक संस्थानों को मजबूत करना मेरी शीर्ष प्राथमिकता है।'
"भारत में भाषाई विविधता के बारे में विचार करते हैं तो तमिल लोगों के संघर्ष हमारे दिमाग में जरूर आते हैं"
चेन्नई की प्रशंसा करते हुए सीजेआई ने कहा कि यह देश की सांस्कृतिक राजधानियों में से एक है, जहां समृद्ध परम्पराएं, कला, वास्तुशिल्प, नृत्य, संगीत और सिनेमा आम आदमी के जीवन में गहराई तक समाये हुए हैं।न्यायमूर्ति रमण ने कहा, 'तमिल अपनी पहचान, भाषा, खानपान और संस्कृति पर गर्व करते हैं। वे सांस्कृतिक और भाषाई अधिकारों की रक्षा में अग्रणी रहे हैं। आज भी जब हम लोग भारत में भाषाई विविधता के बारे में विचार करते हैं तो तमिल लोगों के संघर्ष हमारे दिमाग में जरूर आते हैं।'
इससे पहले मुख्यमंत्री स्टालिन ने अपने संबोधन में कहा कि उनकी सरकार राज्य में कानून का शासन और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के प्रति इच्छुक है और उस पथ पर अग्रसर है। स्टालिन ने दक्षिण भारत के वादियों और प्रतिवादियों के फायदे के लिए उच्चतम न्यायालय की एक पीठ चेन्नई में स्थापित करने की मांग सीजेआई से की और कहा, 'यह बहुत समय से लंबित मांग है।'