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अभिलाषा से लेकर अवनी ने रचा इतिहास, भारतीय सेना में महिला पायलटों की नई उड़ान

Updated May 26, 2022 | 13:57 IST

Abilasha Barak Combat Pilot: अब तक आर्मी एविएशन कॉर्प्स में महिलाएं सिर्फ ग्राउंड ड्यूटी में होती थी। वह हेलिकॉप्टर उड़ान में शामिल नहीं होती थी। अभिलाषा बराक ने इस परंपरा को तोड़ दिया है।

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फाइटर पायलट अभिलाषा बराक का कमाल
मुख्य बातें
  • पिछले साल भावना कांत, वायुेसना की पहली महिला ऑपरेशनल फाइटर पायलट बनी थी।
  • आर्मी एविएशन कॉर्प्स का एक नवंबर 1986 को गठन किया गया था।
  • फ्लाइंग ऑफिसर गुंजन सक्सेना ने 23 साल पहले कारगिल युद्ध में इतिहास रचा था ।

Abilasha Barak Combat Pilot: अभिलाषा बराक (Abhilasha barak,) के रूप में भारतीय लड़कियों ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। बराक कॉम्बैट एविएटर के रूप में, आर्मी एविएशन कॉर्प्स में शामिल होने वाली पहली महिला अधिकारी बन गई हैं।आर्मी एविएशन कोर्स को सफलता पूर्वक पूरा करने के बाद उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है। कैप्टन अभिलाषा बराक हरियाणा की रहने वाली हैं और उन्हें सितंबर 2018 में आर्मी एयर डिफेंस कोर में कमीशन मिला था। बराक की इस उपलब्धि से भारतीय सेना में महिला पायलटों की भागीदारी की दिशा में नया कदम बढ़ा दिया है।

कितनी अहम है अभिलाषा बराक की उपलब्धि

अब तक आर्मी एविएशन कॉर्प्स (Army Aviation Corps)  में महिलाएं सिर्फ यानी ग्राउंड ड्यूटी में होती थी। वह हेलिकॉप्टर उड़ान में शामिल नहीं होती थी। अभिलाषा बराक ने इस परंपरा को तोड़ दिया है। उन्हें आर्मी एविएशन कॉर्प्स में हेलिकॉप्टर पायलट बनने का मौका मिला है। हेलिकॉप्टर पायलट ट्रेनिंग के लिए 15 महिला अधिकारियों ने आवेदन किया था जिसमें दो का चयन हुआ। और छह महीने की आर्मी एविएशन की ट्रेनिंग पूरी कर कैप्टन अभिलाषा अब लड़ाकू पायलट बन गई हैं।

भारतीय सेना की वेबसाइट के अनुसार आर्मी एविएशन कॉर्प्स  का एक नवंबर 1986 को गठन किया गया था। और यह भारतीय थल सेना का हिस्सा है। गठन के तुरंत बाद आर्मी एविएशन कॉर्प्स का इस्तेमाल ऑपरेशन पवन के लिए किया गया था। जो कि श्रीलंका में भारतीय शांति सेना का हिस्सा थी। इसके अलावा कारगिल युद्ध में भी कॉर्प्स ने अहम भूमिका निभाई थी। सियाचीन ग्लेशियर पर सैनिकों को पहुंचाने -लाने और दूसरी जरूरी सेवाओं का काम आर्मी एविएशन कॉर्प्स द्वारा ही किया जाता है। इसके अलावा युद्ध के समय आर्मी एविएशन कॉर्प्स सुदूर इलाकों में सैनिकों को पहुंचाने-लाने और घायल सैनिकों को युद्ध क्षेत्र से लाने का भी अहम काम करती है। पिछले साल तत्तकालीन सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने  कहा था कि 2022 में महिलाओं को आर्मी एविएशन कॉर्प्स में पायलट के रूप में शामिल किया जाएगा, और वे युद्ध के स्थानों पर हेलीकॉप्टर उड़ाएंगी और आपरेशन का भी भी हिस्सा होंगी।

वायुसेना में भी महिला पायलटों का कमाल

अभिलाषा बराक की तरह भारतीय वायुसेना में भी महिलाएं कमला दिखा रही हैं। और इस कड़ी में सबसे पहला नाम फ्लाइट लेफ्टिनेंट फ्लाइट भावना कांत का आता है। भावना जुलाई 2021 में पहली महिला ऑपरेशनल फाइटर पायलट बनी है। जो किसी भी युद्ध में फाइटर पायलट के रूप में भाग लेने के लिए फिट हैं। भावना नवंबर 2017 में फाइटर पायलट के तौर पर वायुसेना में शामिल हुई थीं। भावना ने मार्च 2018 में मिग-21 बायसन एयरक्राफ्ट में अकेले उड़ान भरी थी और उसके बाद उन्होंने करीब 3 साल तक ट्रेनिंग की है।

इसी तरह अवनी चतुर्वेदी और मोहना सिंह की उपलब्धि कम नहीं है। ये दोनों भावना कांत के  साथ साल 2016 में एयरफोर्स में शामिल हुईं थी। और वह भी फाइटर प्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग ले रही है। अवनी चतुर्वेदी 2018 में पहली महिला फायटर पायलट बनी थीं, जिन्होंने अकेले मिग-21 बायसन एयरक्राफ्ट उड़ाया था। अवनी की तरह मोहना सिंह भी फाइटर पायलट हैं। और वह भारतीय वायुसेना की पहली महिला लड़ाकू पायलट हैं जिन्होंने हॉक एडवांस जेट एयरक्रॉप्ट मिशन के लिए क्वॉलिफाई किया था।

भावना, अवनी और मोहना, रक्षा मंत्रालय द्वारा 2015 में लाई गई उस स्कीम के पहले बैच की पायलट हैं, जिसमें महिलाओं को फायटर पायलट के तौर पर भर्ती किया जाता है। महिलाओं के जोश को देखते हुए इस स्कीम को अब स्थायी तौर लागू कर दिया गया है। पहले इसे 5 साल के लिए प्रयोग के तौर पर लागू किया गया था। इस स्कीम के तहत 16 महिला पायलट ट्रेनिंग ले रही हैं।

गुंजन सक्सेना ने 23 साल पहले रचा था इतिहास

कारगिल गर्ल के नाम से मशहूर गुंजन सक्सेना ने 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय वायु सेना के लड़ाकू हेलिकॉप्टर से उड़ान भरी थी। उस वक्त भारत की पहली महिला पायलट थी जो युद्ध क्षेत्र में गई थी। 

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