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International Booker Prize: गीतांजलि श्री ने पहले हिंदी उपन्यास 'टॉम्ब ऑफ सैंड' के लिए जीता अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार

Updated May 27, 2022 | 10:01 IST

International Booker Prize: 'टॉम्ब ऑफ सैंड' लेखिका गीतांजलि श्री के मूल हिंदी उपन्यास 'रेत समाधि' का ट्रांसलेट है। 'रेत समाधि' एक 80 साल की एक बूढ़ी औरत की कहानी है।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
गीतांजलि श्री ने जीता अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार।
मुख्य बातें
  • गीतांजलि श्री ने 'टॉम्ब ऑफ सैंड' के लिए जीता अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार
  • हिंदी उपन्यास 'रेत समाधि' का ट्रांसलेट है 'टॉम्ब ऑफ सैंड'
  • पहली बार किसी हिंदी उपन्यास को मिला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार

International Booker Prize: लेखिका गीतांजलि श्री का हिंदी उपन्यास 'टॉम्ब ऑफ सैंड' प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार (International Booker Prize) जीतने वाली किसी भी भारतीय भाषा की पहली किताब बन गई है। गुरुवार को लंदन में एक समारोह में दिल्ली की लेखिका ने कहा कि वह 'बोल्ट फ्रॉम द ब्लू' से "पूरी तरह से अभिभूत थीं। उन्होंने 50,000 लाख रुपए का अपना पुरस्कार स्वीकार किया और किताब की अंग्रेजी ट्रांसलेटर डेजी रॉकवेल के साथ इसे शेयर किया।

हिंदी उपन्यास 'रेत समाधि' का ट्रांसलेट है 'टॉम्ब ऑफ सैंड'

'टॉम्ब ऑफ सैंड' गीतांजलि श्री के मूल हिंदी उपन्यास 'रेत समाधि' का ट्रांसलेट है। 'रेत समाधि' एक 80 साल की एक बूढ़ी औरत की कहानी है। बुकर पुरस्कार मिलने के बाद गीतांजलि श्री ने अपनी थैंक्यू स्पीच में कहा कि मैंने कभी बुकर का सपना नहीं देखा था, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं कर सकती हूं। कितनी बड़ी मान्यता है, मैं चकित, प्रसन्न, सम्मानित और विनम्र हूं।

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पुरस्कार के मिलने से एक अलग तरह की संतुष्टि- गीतांजलि श्री

उन्होंने कहा कि इस पुरस्कार के मिलने से एक अलग तरह की संतुष्टि है। रेत समाधि/टॉम्ब ऑफ सैंड उस दुनिया के लिए एक शोकगीत है, जिसमें हम निवास करते हैं। साथ ही कहा कि बुकर निश्चित रूप से इस किताब को कई और लोगों तक ले जाएगा। गीतांजलि श्री ने कहा कि मेरे और इस पुस्तक के पीछे हिंदी और अन्य दक्षिण एशियाई भाषाओं में एक समृद्ध और समृद्ध साहित्यिक परंपरा है। इन भाषाओं के कुछ बेहतरीन लेखकों को जानने के लिए विश्व साहित्य अधिक समृद्ध होगा। इस तरह की बातचीत से जीवन की शब्दावली बढ़ेगी।

अमेरिका के वर्मोंट में रहने वाली एक चित्रकार, लेखक और ट्रांसलेटर रॉकवेल ने गीतांजलि श्री के साथ मंच शेयर किया। इस दौरान उन्होंने इसे हिंदी भाषा के लिए प्रेम के तौर पर जाहिर किया। ज्यूरी पैनल के अध्यक्ष फ्रैंक वायने ने कहा कि आखिरकार, हम डेजी रॉकवेल के अनुवाद में गीतांजलि श्री की पहचान और अपनेपन के पॉलीफोनिक उपन्यास 'टॉम्ब ऑफ सैंड' की शक्ति, मार्मिकता और चंचलता से मोहित हो गए। उन्होंने कहा कि ये भारत और विभाजन का एक चमकीला उपन्यास है। 

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