- स्पूतनिक लाइट की भारत में तीसरे चरण के परीक्षण की जरूरत नहीं
- सिंगल डोज वाली है यह कोरोना वैक्सीन, इससे टीकाकरण में आएगी तेजी
- मंजूरी मिलने पर हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डी की प्रयोगशाला इसे बनाएगी
नई दिल्ली : हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डी प्रयोगशाला ने गुरुवार को बताया कि सरकार की समिति ने उससे कहा है कि उसे रूसी कोरोना टीके स्पूतनिक लाइट के तीसरे चरण का ट्रायल करने की जरूरत नहीं है। भारत में इस टीके की मंजूरी के लिए टीके से जुड़ा सुरक्षा डाटा उसे सरकार को सौंपना होगा। समझा जाता है कि सरकार के इस फैसले के बाद भारत में इस रूसी वैक्सीन का उत्पादन तेजी से हो सकेगा। रूसी की यह वैक्सीन सिंगल डोज वाली है।
भारत में अलग से तीसरे चरण का परीक्षण नहीं
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट समिति (एसईसी) ने कहा कि डॉ. रेड्डी प्रयोगशाला को स्पूतनिक लाइट के लिए भारत में अलग से तीसरे चरण का परीक्षण करने की जरूरत नहीं है। भारत में इस टीके की मंजूरी पाने के लिए रूस में इस टीके के तीसरे चरण में प्रतिरक्षण, एफिकेसी और सुरक्षा पर आए डाटा को उन्हें सरकार को सौंपना होगा। सरकार की इस समिति की ओर से यह घोषणा तब हुई जब ऐसी रिपोर्टें आईं कि डॉ. रेड्डी को देश में स्पूतनिक लाइट के ट्रायल की अनुमति नहीं मिली है।
डॉ. रेड्डी की प्रयोगशाला बनाएगी स्पूतनिक लाइट टीका
डॉ. रेड्डी की प्रयोगशाला रूसी कोरोना टीके स्पूतनिक V के दूसरे और तीसरे चरण का परीक्षण किया है। यह वैक्सीन दो डोज वाली है। भारत में कोविशील्ड, कोवाक्सिन के बाद स्पूतनिक तीसरे वैक्सीन है जिसके आपात इस्तेमाल की इजाजत सरकार ने दी है। डॉ. रेड्डी ने भारत में 1,600 लोगों पर इस टीके का परीक्षण किया। इसके बाद सरकार ने मध्य अप्रैल में इस टीके को मंजूरी दी। स्पूतनिक लाइट जैब को यदि सरकार से मंजूरी मिल जाती है तो यह देश में सिंगल डोज वाली कोरोना की पहली वैक्सीन होगी। इससे टीकाकरण का अभियान और तेज होगा।
स्पूतनिक वी टीका का भारत में परीक्षण हो चुका है
इससे पहले गुरुवार को रिपोर्ट आई कि भारत के औषधि नियामक ने रूस के कोविड रोधी टीके स्पूतनिक लाइट के आपात इस्तेमाल को मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की 30 जून की बैठक में सुझाई गईं सिफारिशों के अनुसार स्पूतनिक लाइट टीका भी उन्हीं तत्वों से बना है जिनसे स्पूतनिक वी बना है तथा उसके सुरक्षित होने को लेकर भारतीय आबादी में पहले ही परीक्षण किया चुका है, इसलिए इसी तरह का अलग से एक और परीक्षण करने के लिए आंकड़े अपर्याप्त दिखते हैं। इन सिफारिशों को भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने भी मंजूर किया है।