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मांझी को NDA में घुटन, बोले CM की कुर्सी छोड़ने का मलाल, जानें क्या है इरादा

Updated Jun 06, 2022 | 10:17 IST

Jitan Ram Manjhi: 2014 में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचाने का मौका, नीतीश कुमार के जरिए मिला था।

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हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी
मुख्य बातें
  • मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के 243 सदस्यीय विधानसभा में चार विधायक हैं। 
  • बिहार में जातिगत जनगणना की तैयारी है।
  • विधान परिषद चुनाव के पहले मांझी भाजपा और जद (यू) को अपनी ताकत का अहसास करा रहे हैं।

Jitan Ram Manjhi: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के प्रमुख जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने गठबंधन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA)में उन्हें घुटन महसूस हो रही है। उनके अनुसार भाजपा और जद (यू) जैसे बड़े सहयोगी होने के कारण, उन्हें घुटन महसूस हो रही है। मांझी ने यह भी कहा कि साल 2015 में मुख्यमंत्री बनने के बाद, एक साल से भी कम समय में पद छोड़ने का उन्हें मलाल है। रविवार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बोलते हुए मांझी ने भविष्य की राजनीति के भी संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा है कि आगामी विधान परिषद चुनावों में जब हमारे बड़े सहयोगी हमारा समर्थन मांगेगे तो हम अपनी उपस्थिति महसूस करा सकते हैं। मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के 243 सदस्यीय विधानसभा में चार विधायक हैं। 

2014 में मांझी बने थे मुख्यमंत्री

2014 में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचाने का मौका, नीतीश कुमार के जरिए मिला था। साल 2014 के लोक सभा चुनाव में जनता दल (यू) के खराब प्रदर्शन की नैैतिक जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। और उसके बाद नीतीश कुमार ने दलित दांव चलते हुए जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया था। लेकिन एक साल के अंदर ही उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी था। जिसकी टीस वह आज बयां कर रहे हैं। इसके बाद मांझी कभी लालू यादव और कभी एनडीए के साथ अपनी राजनीतिक पारी खेलते रहे हैं। और अब जब एमएलसी के चुनाव आ रहे हैं, तो वह अपने 4  विधायकों की ताकत से मोल-भाव करना चाहते हैं। मांझी 2020 में हुए विधान सभा चुनाव के वक्त से एनडीए के सहयोगी हैं।

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बिहार में जातिगत जनगणना सुर्खियों में

जीतन राम मांझी का बयान ऐसे समय आया है, जब राज्य में जातिगत जनगणन की तैयारी है। और पूरी राजनीति उसी की ओर घूम रही है। बिहार सरकार ने 2023 तक जातिगत जनगणना करना का फैसला किया है। जाहिर है इसके बाद राज्य में नए जातिगत समीकरण उभर सकते हैं। जिसका राज्य की राजनीति पर अहम असर दिखाई पड़ सकता है।

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