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Maharashtra Crisis: मुखपत्र 'सामना' के जरिए शिंदे कैंप पर बरसी शिवसेना, बागियों को कहा 'नचनिया'

Updated Jun 27, 2022 | 08:51 IST

महाराष्ट्र सरकार इन दिनों गहरे संकट से जूझ रही है। शिवसेना की तरफ से बागियों पर लगातार तीखे हमले किए जा रहे हैं और अब अपने मुखपत्र सामना के जरिए भी शिवसेना ने बागियों को निशाना बनाया है।

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महाराष्ट्र की सियासत में केंद्र की डफली, तंबूरे वाले कूदे- सामना
मुख्य बातें
  • शिवसेना के मुखपत्र सामना में बागियों को कहा नचनिया
  • महाराष्ट्र की सियासत में केंद्र की डफली, तंबूरे वाले कूदे- सामना
  • वडोदरा में फडणवीस, शिंदे की अंधेरे में गुप्त मीटिंग-सामना

मुंबई: शिवसेना में बगावत के बाद महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार संकट में आ गई है। मामला अब सुप्रीम कोर्ट की दहलीज तक पहुंच गया है। इस बीच शिवसेना बागी विधायकों पर तीखे और निजी हमले करने में लगी हुई है और पार्टी के सांसद और प्रवक्ता संजय राउत की जुबान लगातार जहर उगल रही है। इस बीच पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए बागियों पर एक बार फिर हमला किया है। सामना के संपादक संजय राउत ही हैं। सामना में कहा गया है कि महाराष्ट्र के सियासी लोकनाट्य में केंद्र  की डफली, तंबूरे वाले कूद पड़े हैं और राज्य के 'नचनिये' विधायक उनकी ताल पर नाच रहे हैं।

क्या लिखा है सामना में

सामना में लिखा है, 'आखिरकार, गुवाहाटी प्रकरण में भाजपा की धोती खुल ही गई। शिवसेना विधायकों की बगावत उनका अंदरूनी मामला है, ऐसा ये लोग दिनदहाड़े कह रहे थे। परंतु कहा जा रहा है कि वडोदरा में श्रीमंत देवेंद्र फडणवीस और अति श्रीमंत एकदास शिंदे की अंधेरे में गुप्त मीटिंग हुई। उस मुलाकात में केंद्रीय  गृहमंत्री अमित शाह शामिल थे। उसके बाद तुरंत ही 15 बागी विधायकों को केंद्र सरकार द्वारा ‘वाई’ श्रेणी की विशेष सुरक्षा प्रदान करने का आदेश जारी किया गया। ये 15 विधायक मतलब मानो लोकतंत्र, आजादी के रखवाले हैं। इसलिए उनके बालों को भी नुकसान नहीं पहुंचने देंगे, ऐसा केंद्र को लगता है क्या? असल में ये लोग 50-50 करोड़ रुपयों में बेचे गए बैल अथवा ‘बिग बुल’ हैं। यह लोकतंत्र को लगा कलंक ही है। उस कलंक को सुरक्षित रखने के लिए ये क्या उठापटक है?'

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विधायकों को कहा नचनिया

संपादकीय में आगे लिखा है, 'इन विधायकों को मुंबई-महाराष्ट्र में आने में डर लग रहा है या ये कैदी विधायक मुंबई में उतरते ही फिर से ‘कूदकर’ अपने घर भाग जाएंगे, ऐसी चिंता होने के कारण उन्हें सरकारी ‘केंद्रीय’ सुरक्षा तंत्र द्वारा बंदी बनाया गया है? यही सवाल है। लेकिन इतना तय है कि महाराष्ट्र के सियासी लोकनाट्य में केंद्र  की डफली, तंबूरे वाले कूद पड़े हैं और राज्य के ‘नचनिये’ विधायक उनकी ताल पर नाच रहे हैं। ये तमाम ‘नचनिये’ लोग वहां गुवाहाटी के एक पांच सितारा होटल में अपने महाराष्ट्र द्रोह का प्रदर्शन पूरे देश और दुनिया को करा रहे हैं। अब इस ‘पारंपरिक’ ड्रामे के सूत्रधार और निर्देशक निश्चित तौर पर कौन है, इसका खुलासा हो ही गया है। केंद्र और महाराष्ट्र की भाजपा ने ही इन नचनियों को उकसाया है। उनकी नौटंकी का मंच उन्होंने ही बनाया व सजाया है और कथा-पटकथा भी भाजपा ने ही लिखी है यह अब छुपा नहीं रह गया है।'

बागियों को बेइमान करार देते हुए कहा गया है, 'अभी भी महाराष्ट्र से बेईमानी करनेवाले १५ गद्दार विधायकों को सीधे ‘वाई प्लस’ सुरक्षा देने का केंद्र का निर्णय इसी अंधेरगर्दी का हिस्सा है। मूलत: इन सभी लोगों ने पार्टी से, राज्य से, उन्हें चुननेवाले मतदाताओं से धोखा किया है। फिर भी राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार ने उन्हें दी गई सुरक्षा वापस नहीं ली है। ये गद्दार बेईमान हो गए होंगे, फिर भी राज्य सरकार ने अपना धर्म नहीं छोड़ा है।'

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मोदी सरकार पर हमला

 धमकी भरे अंदाज में अंत में लिखा गया है, 'देशभर में ऐसे ‘वाई’ वालों की फौज ही उन्हें खड़ी करनी है क्या? उनकी इसी फौज में अब गुवाहाटी में रह रहे 15 गद्दार ‘नचनिए’ भी बढ़ गए हैं। उन्हें भी केंद्र ने ‘वाई प्लस’ सुरक्षा देने की घोषणा की है। मोदी सरकार का निर्णय केंद्रीय सुरक्षा की ‘वाई जेड’ करनेवाला है ही, इसके अलावा गुवाहाटी में चल रहे महाराष्ट्र द्रोह की नौटंकी भाजपा के प्रशिक्षण में ही चल रहा है, इसका प्रमाण भी है। भाजपा के महाराष्ट्र द्रोह की पोल इससे पूरी तरह खुल गई है। कम-से-कम अब तो महाराष्ट्र द्रोह से हमारा कोई संबंध नहीं है, ऐसा दिखावा न करें। महाराष्ट्र द्रोहियों को बेवजह ‘वाई प्लस’ सुरक्षा देने का केंद्र  का निर्णय भी द्रोह ही है। इसकी कीमत भविष्य में उन्हें चुकानी ही होगी।'

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