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दिल्ली में छात्रों का स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने किया स्वागत, यूक्रेन में फंसे छात्रों से की यह अपील

Updated Mar 01, 2022 | 14:51 IST

यूक्रेन में फंसे भारतीयों को ऑपरेशन गंगा के तहत निकाला जा रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस अभियान में इंडियन एयरफोर्स को भी शामिल होने के आदेश दिए हैं।

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मुख्य बातें
  • यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने की कवायद जारी
  • ऑपरेशन गंगा के तहत भारतीयों को लाया जा रहा है
  • यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए अब इंडियन एयरफोर्स का भी होगा इस्तेमाल

यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को पड़ोसी देशों से ऑपरेशन के तहत भारत लाया जा रहा है। रोमानिया के रास्ते फ्लाइट दिल्ली पहुंची और खुद स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने छात्रों का स्वागत किया और कहा कि भारत सरकार अपने लोगों को लाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने भारत आए छात्रों से अपील करते हुए कहा कि यूक्रेन या पड़ोसी देशों में उनके जो मित्र फंसे हुए हैं उनसे कहें कि उन लोगों को भी निकालने की पूरी तैयारी है।

स्वास्थ्य मंत्री ने क्या कहा
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने दिल्ली हवाई अड्डे पर फंसे भारतीयों का स्वागत किया। "आपके कई दोस्त अभी भी #यूक्रेन में फंसे हुए हैं, उन्हें बताएं कि उन्हें घर वापस लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन सभी को वापस लाए जाने तक जारी रखने का प्रयास...

छात्रों ने अनुभव किए साझा
रूस के आक्रमण के बाद यूक्रेन के पश्चिमी हिस्सों में फंस गए भारतीय छात्रों ने देश लौटने के बाद अपने अनुभव साझा किए और पूर्वी यूक्रेन में फंसे छात्रों की मदद की गुहार लगाई।एअर इंडिया एक्सप्रेस का एक विमान यूक्रेन में फंसे 182 भारतीय को रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट से लेकर मंगलवार सुबह मुंबई पहुंचा।

इनमें से एक निशी मल्कानी ने मुंबई हवाई अड्डे पर पत्रकारों से कहा कि वह पश्चिम यूक्रेन स्थित एक विश्वविद्यालय की छात्रा हैं, जहां स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर है।उन्होंने कहा कि हम कई दिन तक अपने छात्रावास में छुपे थे और फिर पश्चिमी सीमा पर पहुंचे। यूक्रेन के पूर्वी हिस्सों में शैक्षणिक संस्थानों में हजारों छात्रों को गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि वहां से सड़क पर निकलना बेहद मुश्किल है। उन्होंने कहा, ‘‘ उन छात्रों की सुरक्षित वापसी के लिए और प्रयास किए जाने चाहिए।

यूक्रेन में पिछले कुछ दिनों का अनुभव पूछने पर उन्होंने कहा कि  मैंने कभी नहीं सोचा था कि जीवन में कभी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा। विश्वविद्यालय प्रशासन ने हमसे चार दिन तक छात्रावास में रहने को कहा था।’’मल्कानी ने कहा कि  हम पश्चिमी सीमा के करीब थे इसलिए पड़ोसी देश रोमानिया पहुंच पाए। भारतीय दूतावास अधिकारियों ने बाकी मदद की और हम घर वापस लौट पाए।

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