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Bundelkhand Fort:बुंदेलखंड के ऐतिहासिक किलों का होगा 'जीर्णोद्धार', बनेंगे हेरिटेज होटल, मिलेगा 'वॉटर स्पोर्ट' का लुत्फ

Updated Jul 24, 2022 | 13:22 IST

Bundelkhand News: बुंदेलखंड का पूरा क्षेत्र ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों से संपन्न है। झांसी, बांदा, जालौन, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा और चित्रकूट में ऐतिहासिक स्मृतियों को संजोए अनेक प्राचीन दुर्ग/किले/गढ़ हैं। हमें नई पीढ़ी को इनके महत्व से परिचय कराना चाहिए। इस संबंध में व्यवस्थित कार्य किये जाने की आवश्यकता है।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
मुख्यमंत्री का निर्देश, समृद्ध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक धरोहरों वाले बुंदेलखंड में पर्यटन विकास के लिए बनाएं ठोस कार्ययोजना
मुख्य बातें
  • बुंदेलखंड के 31 किलों/दुर्गों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करेगी सरकार
  • मुख्यमंत्री का निर्देश, समृद्ध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक धरोहरों वाले बुंदेलखंड में पर्यटन विकास के लिए बनाएं ठोस कार्ययोजना
  • किलों के पुरातात्विक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व से परिचय कराती कॉफी टेबल बुक भी कराएं तैयार: मुख्यमंत्री

Historical forts of Bundelkhand:  बुंदेलखंड क्षेत्र में अवस्थित के प्राचीन किलों/दुर्गों का जीर्णोद्धार करके उन्हें पर्यटन के नवीन केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। विशाल परिसर वाले कई किले अपनी भव्यता के साथ बेहतरीन होटल के रूप में तैयार हो सकते हैं। हमें इन संभावनाओं को आकार देना होगा। कलिंजर का किला 542 हेक्टेयर के विशाल परिक्षेत्र में अवस्थित है। यहां निजी क्षेत्र की सहभागिता से लाइट एन्ड साउंड शो, कैम्पिंग-ट्रेकिंग रॉक क्लाइम्बिंग और फ़साड लाइटिंग का कार्य कराया जाए। किले पर नाइट गकेजिंग तथा नेचर ट्रेल की गतिविधियों को शुरू किया जाना चाहिए।

झांसी दुर्ग में पर्यटकों का आगमन होता है, वहीं समीप में स्थित बरुआ सागर किला तक जाने के लिए सुगम साधन की जरूरत है। 12 एकड़ परिसर वाला टहरौली किला और 4 एकड़ परिसर वाली दिगारा की गढ़ी, चिरगांव का किला, लोहागढ़ का किला, चम्पत राय का महल, रघुनाथ राव का महल की स्थिति जीर्ण-शीर्ण हो रही है। इनके पुनरोद्धार के लिए ठोस प्रयास किये जायें।

बरूआ सागर किले, टहरौली के किले, दिगारा की गढ़ी, चम्पत राय के किले, महल महिपाल निवास, सरीला और रघुनाथ राव के महल को हेरिटेज होटल के रूप में विकसित कर फ़साड लाइटिंग की जाए। बरुआ सागर के समीप स्थित और तालबेहट किले के नीचे स्थित झीलों पर वॉटर स्पोर्ट्स /एडवेंचर टूरिज्म की गतिविधियों को शुरू किया जाए।

मड़ावरा के किले और सौराई के किले पर पर्यटन की दृष्टि से पहुंच मार्ग, साइनेज तथा पेयजल व्यवस्था को बेहतर करें। देवगढ़ (दुर्ग) परकोटे के नीचे बेतवा नदी में वॉटर स्पोर्ट की संभावनाएं हैं, इसी प्रकार महावीर स्वामी अभ्यारण्य तथा बानपूर्वक किले को इको-टूरिज्म को विकसित किया जाए। बुंदेलखंड में किलों/दुर्गों/,गढ़ों के जीर्णोद्धार के लिए पीपीपी मॉडल अपनाया जाना चाहिए। सीएसआर भी उपयोगी हो सकता है। जरूरत के अनुसार राज्य सरकार द्वारा भी वित्त पोषण किया जाएगा।

एएसआई द्वारा संरक्षित तालबेहट दुर्ग की स्थिति बहुत अच्छी है

यह पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण है। इस किले तक पहुंचने के लिए संपर्क मार्ग को बेहतर किया जाए। प्रकाश आदि की व्यवस्था को दुरुस्त किये जाने की आवश्यकता है।चरखारी स्थित मंगलगढ़ किले को निजी क्षेत्र की सहभागिता से हेरिटेज होटल, एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिहाज से विकसित किया जाना चाहिए। इसी प्रकार, मस्तानी महल, बेलाताल पर कैफेटेरिया की सुविधा दें। 

'सभी विभागों की भूमिका और उनके कार्य की समय सीमा तय होनी चाहिए'

बुंदेलखंड में किलों के जीर्णोद्धार के साथ टूरिज्म की संभावनाओं को आकार देने के लिए प्रोफेशनल एजेंसी द्वारा अध्ययन कराया जाए। तदुपरान्त, बेहतर कार्ययोजना तैयार करें। इस महत्वपूर्ण परियोजना में अन्तरविभागीय समन्वय की आवश्यकता होगी। पर्यटन, संस्कृति, ग्राम्य विकास, नगर विकास, परिवहन, नागरिक उड्डयन, खेल, गृह, औद्योगिक विकास  और जल शक्ति विभाग की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। कार्ययोजना तैयार करते समय सभी विभागों की भूमिका और उनके कार्य की समय सीमा तय होनी चाहिए। 

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व वाले झांसी के 8, बांदा के 4, जालौन के 2, ललितपुर के 7, हमीरपुर के 3, महोबा के 5 और चित्रकूट के 2 किलों के पुरातात्विक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व से परिचय कराती कॉफी टेबल बुक भी तैयार कराई जाए। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर सांस्कृतिक केंद्र, लखनऊ की स्थापना का कार्य तेजी से पूर्ण कराएं। आगामी 6 दिसम्बर को बाबासाहेब का 'महापरिनिर्वाण दिवस' है। प्रयास करें तब तक यह महत्वपूर्ण परियोजना पूर्ण हो जाए।

श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुविधा के लिए उत्तराखंड स्थित बद्रीनाथ में प्रस्तावित पर्यटक आवास गृह का कार्य जल्द शुरू कराया जाए। निर्माण कार्य से पूर्व स्थानीय भौगोलिक-पारिस्थितिकी जरूरतों का विधिवत अध्ययन करा लिया जाए।संत तुलसीदास जी की जन्मस्थली राजापुर के पर्यटन विकास की कार्ययोजना को समयबद्ध ढंग से पूर्ण कराएं। रामलीला की महान लोक परंपरा संत तुलसीदास जी की देन है। अतः राजापुर में रामलीला मंचन के लिए व्यवस्थित मंच तैयार कराया जाए। यहां पुस्तकालय की स्थापना भी कराई जाए।
 

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