- आरोपी ने सन् 2000 में बनवाया था क्लर्क का पहचान पत्र
- फ्लाइंग स्कवॉड ने मरीन लाइंस स्टेशन पर आरोपी को पकड़ा
- चर्चगेट जीआरपी ने आरोपी पर मामला दर्ज कर किया गिरफ्तार
Mumbai News: ठगी और जालसाजी के किस्से तो आप बहुत सुने होंगे, लेकिन किस्सा अपने आप में काफी अलग और हैरान करने वाला है। पश्चिम रेलवे की जांच में एक ऐसा जालसाज पकड़ गया है, जो पिछले 23 साल से रेलवे कर्मचारी बनकर ट्रेन में मुफ्त सफर करता था। इस नकली कर्मचारी के पास से रेलवे का असली पहचान पत्र भी बरामद किया गया है, जो कहीं न कहीं रेलवे की व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती है। इस आरोपी को पश्चिम रेलवे कमर्शल विभाग (मुख्यालय) के फ्लाइंग स्कवॉड ने मरीन लाइंस स्टेशन पर जांच के दौरान पकड़ा।
आरोपी की पहचान परेश अमित कुमार पटेल के तौर पर की गई है। चर्चगेट जीआरपी ने आरोपी पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया है। चर्चगेट जीआरपी ने आरोपी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इसे फ्लाइंग स्कवॉड टीम के टीसी अब्दुल अजीज ने पकड़ा था।
पुराने पहचान पत्र से हुआ शक और पे ग्रेड ने खोला राज
टीसी ने जीआरपी को दिए अपने बयान में बताया कि जब उनकी टीम मरीन लाइंस स्टेशन से चली एक ट्रेन के प्रथम श्रेणी डिब्बे में यात्रियों के टिकट की जांच कर रही थी तो आरोपी अमित पटेल ने खुद को रेलवे कर्मचारी बताकर बचने का प्रयास किया। इस दौरान आरोपी ने टीसी को अपना पहचान पत्र भी सौंपा जो कि सन् 2000 में बना था। इसमें अमित पटेल को अभियंता विभाग में क्लर्क बताया गया था। टीसी ने जीआरपी को बताया कि 23 साल पुरान पहचान पत्र देखकर उसे अमित पटेल पर शक होने लगा, तो उससे रेलवे के बारे में पूछने लगा। आरोपी ने कुछ सवालों के जवाब भी दिए। इस दौरान जब उससे उसका पे ग्रेड पूछा तो वह नहीं बता पाया। इसके बाद फ्लाइंग स्कवॉड के अन्य सदस्यों ने आरोपी को पकड़कर गहन पूछताछ की तो उसने बताया कि वह रेलवे कर्मचारी नहीं, बल्कि एक कॉन्ट्रैक्टर है। जीआरपी के अनुसार आरोपी का पहचान पत्र रेलवे के आईओडब्ल्यू विभाग से बना है, जिसमें आरोपी को गुजरात के कलोल स्टेशन पर क्लर्क बताया गया है। इस पहचान पत्र पर असली मोहर भी लगी हुई है।