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Protest in RIIMS: रिम्स में एक्सरे, पैथोलॉजी समेत कई जांच बंद, कर्मियों के कार्य बहिष्कार के कारण मरीज परेशान

Updated Jun 23, 2022 | 20:28 IST

Protest in RIIMS: झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के अराजपत्रित कर्मचारी पिछले कई दिन से अपनी मांगों को लेकर संघर्षरत हैं। संघ के सदस्यों ने बताया कि, वे डबल ईपीएफ कटौती पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspFacebook
करीब 200 कर्मचारी रिम्स सुपरिटेंडेंट दफ्तर के बाहर धरने पर बैठ गए।
मुख्य बातें
  • डबल ईपीएफ कटौती पर रोक लगाने की मांग कर रहे
  • एक्सरे-पैथोलॉजी समेत कई विभागों में काम प्रभावित
  • 27 जून को ओपीडी सेवा बंद कराने की भी घोषणा की

Protest in RIIMS: झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के अराजपत्रित कर्मचारी पिछले कई दिन से अपनी मांगों को लेकर संघर्षरत हैं। संघ के सदस्यों ने बताया कि, वे डबल ईपीएफ कटौती पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। वे मांगें नहीं माने जाने को लेकर चरणबद्ध आंदोलन पर हैं। पहले कर्मियों ने काला बिल्ला लगाकर प्रदर्शन किया था। मौन प्रदर्शन किया था। अब गुरुवार को कार्य बहिष्कार कर दिया। 25 जून को प्रशासनिक भवन में तालाबंदी और 27 जून को ओपीडी सेवा बंद कराने की भी योजना है।

गुरुवार को करीब 200 कर्मचारी रिम्स सुपरिटेंडेंट दफ्तर के बाहर धरने पर बैठ गए, जिससे एक्सरे, पैथोलॉजी से लेकर कई अन्य विभागों में काम प्रभावित हुआ। स्टाफ ने कहा कि, मंत्री से लेकर अधिकारियों तक को उन्होंने पत्र लिखा और बताया कि, गलत तरीके से उनके पैसे काट दिए गए हैं। अगर आंदोलन के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो वे लोग अनिश्चितकालीन हड़ताल करने की योजना बना रहे हैं।

मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ सकती है

आंदोलन के तहत कर्मचारियों ने 25 जून को रिम्स के प्रशासनिक भवन में तालाबंदी की योजना बनाई है। इसके बाद 27 जून को ओपीडी को तीन घंटे के लिए ठप करा दिया जायेगा। पिछले महीने हुई बैठक में प्रबंधन को पहले ही अल्टीमेटम दिया गया था, जिसमें ईपीएफ के नाम पर हो रही वसूली पर रोक लगाने, अवैध रूप से वसूली गई राशि लौटाने, दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई के अलावा 10 वर्षों से अधिक समय से सेवा दे रहे दैनिक व अनुबंध पर कार्यरत कर्मचारियों को समायोजित करने की मांग शामिल थी। 

अवैध रूप से वसूली गयी राशि लौटाई जाए

अराजपत्रित कर्मचारी डबल ईपीएफ कटौती पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। उनका आरोप है कि, ईपीएफ में कटौती वित्तीय अनियमितता की ओर इशारा कर रही है। मंत्री के आदेश के बाद भी कटौती नहीं रोकी गई है। कर्मचारियों की मांग है कि, अवैध रूप से वसूली गई राशि लौटाई जानी चाहिए। इसके अलावा 10 साल से अधिक समय से काम कर रहे लोगों को समायोजित करना चाहिए। वहीं उन्होंने मांग की है कि, डबल ईपीएफ कटौती के लिए दोषी कर्मियों को चिन्हित कर दंडित किया जाना चाहिए।