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Chanakya Niti: मनुष्‍य के स्‍वभाव को कैसे पहचानें, आचार्य चाणक्य से जानें मनुष्य को परखने के तरीके

Updated Sep 16, 2022 | 15:27 IST

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्‍य का नीति शास्‍त्र आज भी लोगों के बीच लोकप्रिय है। इसमें बताई गई नीतियां व विचार शत-प्रतिशत उम्दा और सटीक साबित होती हैं। इसमें आचार्य चाणक्य ने मनुष्य को परखने के कई तरीके भी बताए हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
चाणक्‍य ने बताया मनुष्‍य को परखने का तरीका
मुख्य बातें
  • व्यक्ति की आंखे बता देती हैं दिल में छुपा हर रहस्‍य
  • व्‍यक्ति के बात व्यवहार से चलता है स्‍वभाव का पता
  • मनुष्‍य का चेहरा भी खोल देता है गहरा से गहरा राज

Chanakya Niti in Hindi: भारत की धरती ने कई ऐसे महापुरुषों को जन्म दिया है, जिनके बारे में ना केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी सदियों से सम्‍मान के साथ पढ़ा जाता है। इनमें से ही एक हैं आचार्य चाणक्‍य। इन्‍हें अर्थशास्त्र और नीतिशास्त्र का जनक भी कहा जाता है। सदियां पहले इनके द्वारा रचित नीति शास्‍त्र आज भी लोगों के बीच लोकप्रिय है। इसमें बताई गई नीतियां व विचार शत-प्रतिशत उम्दा और सटीक साबित होती हैं। इसमें आचार्य चाणक्य ने मनुष्य को परखने के तरीके भी बताए हैं। आचार्य कहते हैं कि जिस तरह से सोने को आग में तपाकर असलियत को बाहर लाया जाता है, उसी तरह व्‍यक्ति के व्‍यवहार से उसके गुण और अवगुणों की भी जानकारी हासिल की जा सकती है।

आंखों बताती हैं मन की सच्‍चाई

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर किसी व्यक्ति के मन की सच्‍चाई का हाल पता लगाना है तो उसकी आंखों में झांकना चाहिए। क्‍योंकि आंखें व्यक्ति के दिल का हाल बयां करने में मुख्‍य भूमिका निभाती हैं। किसी भी व्यक्ति का राज उसकी आंखों में देख कर पता लगाया जा सकता है। अगर व्‍यकित कुछ छुपा रहा है तो आंखे उसे राज को खोल देंगी।

बात व्यवहार

चाणक्य के अनुसार व्यक्ति की बात और व्यवहार उसके स्वभाव को बताती हैं। यदि सामने वाला व्यक्ति आपसे गुस्सा है, तो उसके स्वभाव से आपको खुद उसकी नाराजगी का पता लगा जाएगा। वहीं, अगर खुश है तो भी वह अपनी खुशी को नहीं छुपा पाएगा।

चेहरे के भाव

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्‍य का चेहरा भी उसके कई राज खोलता है। माथे पर पड़ने वाली लकीरें और तनी हुई भौंये आपको बता देंगी कि वह नाराज है या फिर परेशान। इसके अलावा भी चेहरे के भाव सामने वाले को हर तरह के परिस्थिति का बोध करा देते हैं।

व्यक्ति को ऐसे परखें 

आचार्य चाणक्य ने व्यक्ति को परखने की नीतियों का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति को परखने के लिए सबसे पहले उसके त्याग को देखना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति आपको सुख देने के लिए अपने सुख का त्याग कर देता है, तो उससे श्रेष्ठ कोई नहीं हो सकता।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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