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नए साल में जरूर करें गायत्री मंत्र का जाप, जिंदगी में होंगे चमत्‍कार

Updated Jan 01, 2018 | 18:47 IST | Medha Chawla

गायत्री मंत्र को चमत्‍कारी मंत्र कहा जाता है। आप इसका जाप जिस कामना के साथ करेंगे, उसे ये जरूर पूरा करता है -

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
सुख और शांति देता है गायत्री मंत्र का जाप

नई द‍िल्‍ली : मंत्रों के उच्‍चारण में काफी शक्‍त‍ि मानी जाती है और तमाम मंत्रों में एक व‍िश‍िष्‍ट स्‍थान रखता है गायत्री मंत्र। यह न सिर्फ शांति देने वाला है बल्कि सही तरीके से जाप करने पर माना जाता है क‍ि इससे स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। 

क्‍या है गायत्री मंत्र और इसका अर्थ 
'गायत्री', 'सावित्री' और 'सरस्वती' एक ही ब्रह्मशक्ति के नाम हैं। इस संसार में सत-असत जो कुछ हैं, वह सब ब्रह्मस्वरूपा गायत्री ही हैं। गायत्री मंत्र को समस्‍त वेदों का सार भी बताया गया है।

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गायत्री मंत्र में 24 अक्षर हैं और हम इसे ऐसे उच्‍चारण करते हैं - 
ऊँ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।।

इसका सरल अर्थ है - सृष्टि की रचना करने वाले, प्रकाशमान परमात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं, परमात्मा का यह तेज हमारी बुद्धि को सही मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें।

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कैसे करें गायत्री मंत्र का जाप 
गायत्री मंत्र मन में शांति का भाव लाने के साथ ही एकाग्रता भी बढ़ता है। लेकिन इसका जाप करने के कुछ नियम भी हैं: 
- गायत्री मंत्र का जप किसी शांत एवं पवित्र स्थान पर करना चाहिए। इसके लिए स्नान आदि कर्मों से पवित्र होकर साफ कपड़े पहनें। 
- गायत्री मंत्र का जाप करने के लिए गायत्री माता की मूर्ति या चित्र के सामने कुश के आसन पर बैठें। पूजन करने के बाद शांत मन से गायत्री मंत्र का जाप करें। यह संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए।
- इस मंत्र का जप करने के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करना सर्वश्रेष्ठ होता है। 

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किस समय करें गायत्री मंत्र का जाप 
इसके जप के लिए तीन समय बताए गए हैं। गायत्री मंत्र का जप का पहला समय है प्रात:काल- जब सूर्योदय से थोड़ी देर पहले मंत्र जप शुरू किया जाना चाहिए। जप सूर्योदय के बाद तक करना चाहिए। इसके अलावा, दोपहर को भी इस मंत्र का जप किया जाता है।

गायत्री मंत्र के जाप के लिए तीसरा समय है शाम को सूर्यास्त से कुछ देर पहले का। सूर्यास्त से पहले मंत्र जप शुरू करके सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक जप करना चाहिए।

वहीं इन तीन समय के अतिरिक्त यदि गायत्री मंत्र का जप करना हो तो मौन रहकर, मानसिक रूप से करना चाहिए। मंत्र जप अधिक तेज आवाज में नहीं करना चाहिए।

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