नई दिल्ली : हनुमान भक्त उन्हें ब्रह्मचारी मानते हैं और उनकी पूजा में अक्सर उनके नाम के आगे इस शब्द का प्रयोग करते हैं। लेकिन तेलंगाना के एक मंदिर में उनकी और उनकी पत्नी सुवर्चला की एक साथ मूर्तियां स्थापित हैं। यहां पूरी श्रद्धा के साथ उनका पूजन किया जाता है। बता दें कि तेलंगाना के खम्मम जिले में हनुमान जी का ये मंदिर देश का अकेला ऐसा मंदिर है जहां उनकी मूर्ति पत्नी के साथ स्थापित है। जहां तक इनके विवाहित होने की बात है तो पाराशर संहिता में हनुमान जी और सुवर्चला के विवाह की कथा है।
तेलंगाना के इस मंदिर के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। मान्यता है कि जो भी इस मंदिर में हनुमानजी और उनकी पत्नी के दर्शन करता है, उन भक्तों के वैवाहिक जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और पति-पत्नी के बीच प्रेम बना रहता है। जहां तक हनुमान जी की पत्नी की बात है तो उनको सूर्यदेव की पुत्री बताया गया है।
कैसे हुआ हनुमान का विवाह
तेलंगाना के इस मंदिर की मान्यता का आधार पाराशर संहिता को माना गया है। पाराशर संहिता में ही हनुमान जी के विवाहित होने का प्रमाण मिलता है। उनका विवाह सूर्यदेव की पुत्री सुवर्चला से हुआ है। संहिता के अनुसार, हनुमानजी ने सूर्य देव को अपना गुरु बनाया था। सूर्य देव के पास 9 दिव्य विद्याएं थीं जिनका ज्ञान बजरंग बली प्राप्त करना चाहते थे। सूर्य देव ने इन 9 में से 5 विद्याओं का ज्ञान तो हनुमानजी को दे दिया, लेकिन शेष 4 विद्याओं के लिए सूर्य के समक्ष एक संकट खड़ा हो गया।
दरअसल इन 4 दिव्य विद्याओं का ज्ञान सिर्फ उन्हीं शिष्यों को दिया जा सकता था जो विवाहित हों। इस समस्या को दूर करने के लिए सूर्य देव ने हनुमानजी से विवाह करने की बात कही।
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सुवर्चला ऐसे बनीं हनुमानजी की पत्नी
हनुमान जी विवाह के लिए योग्य कन्या की तलाश पूरी हुई सूर्य देव की पुत्री सुवर्चला पर। सूर्य देव ने हनुमानजी से कहा कि सुवर्चला परम तपस्वी और तेजस्वी है और इसका तेज तुम ही सहन कर सकते हो। सुवर्चला से विवाह के बाद तुम इस योग्य हो जाओगे कि शेष 4 दिव्य विद्याओं का ज्ञान प्राप्त कर सको। सूर्य देव ने यह भी बताया कि सुवर्चला से विवाह के बाद भी तुम सदैव बाल ब्रह्मचारी ही रहोगे, क्योंकि विवाह के बाद सुवर्चला पुन: तपस्या में लीन हो जाएगी।
यह सब बातें जानने के बाद हनुमानजी और सुवर्चला का विवाह सूर्य देव ने करवा दिया। विवाह के बाद सुवर्चला तपस्या में लीन हो गईं और हनुमानजी से अपने गुरु सूर्य देव से शेष 4 विद्याओं का ज्ञान भी प्राप्त कर लिया। इस प्रकार विवाह के बाद भी हनुमानजी ब्रह्मचारी बने हुए हैं।
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अगर आप करना चाहें दर्शन
तेलंगाना का खम्मम जिला हैदराबाद से करीब 220 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अत: यहां पहुंचने के लिए हैदराबाद से आवागमन के उचित साधन मिल सकते हैं। हैदराबाद पहुंचने के लिए देश के सभी बड़े शहरों से बस, ट्रेन और हवाई जहाज की सुविधा आसानी से मिल जाती है।
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