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Raksha Bandhan 2022 Mantra: राखी बांधते समय पढ़ें यह मंत्र, भाई और बहन दोनों को मिलेगा विशेष लाभ

Updated Aug 12, 2022 | 07:07 IST

Raksha Bandhan 2022 Date, Time, Mantra In Hindi: इस साल रक्षाबंधन 11 अगस्त के साथ 12 अगस्त को भी मनाया जा रहा है। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है। शास्त्र के अनुसार इस दिन राखी बांधते समय कुछ मंत्रों का उच्चारण करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

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Raksha Bandhan Ke Mantra (Pic: iStock)
मुख्य बातें
  • 11 और 12 अगस्त दोनों दिन मनाया जा रहा है रक्षाबंधन।
  • इस दिन बहन अपने भाई की लंबी आयु के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं।
  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन मंत्रों का उच्चारण करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

Raksha Bandhan 2022 Date, Time, Vidhi And Mantra In Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह की पूर्णिमा तिथि पर हर साल रक्षाबंधन मनाया जाता है। इस बार यह 11 अगस्त के साथ 12 अगस्त को भी मनाया जा रहा है। रक्षाबंधन भाई बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर भगवान से उनकी उन्नति और लंबी आयु की कामना करती हैं, तो भाई भी अपनी बहन की सदैव रक्षा करने का वचन देता हैं। हिंदू धर्म के अनुसार रक्षाबंधन राखी बांधी समय कुछ खास मंत्रों का उच्चारण अवश्य करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है, कि उस समय इन मंत्रों का उच्चारण करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। तो आइए राखी आने से पहले उन खास मंत्र को जान लें।

Raksha Bandhan 2022 Date, Muhurat Time And All You Need To Know

रक्षाबंधन का मंत्र

रक्षाबंधन के दिन बहने राखी बांधते समय इस पौराणिक मंत्र ‘येन बद्धो बलि राजा,दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:’ का जाप का उच्चारण जरूर करें। 

इसका अर्थ हिन्दी में

इस रक्षा सूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था। उसी रक्षा सूत्र से मैं तुम्हें बाधता हूँ। जो तुम्हारी सदैव रक्षा करेगा। हे रक्षे!तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो।

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व‍िशेष उद्देश्‍य की पूर्ति के ल‍िए इस मंत्र का अर्थ

धार्मिक विद्वानों के अनुसार इस मंत्र का अर्थ यह है कि जिस रक्षा सूत्र से दानव के महापराक्रमी राजा बलि धर्म के बंधन में बंध गए थे। उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूँ। इसके बाद पुरोहित रक्षा सूत्र से कहते हैं, कि हे रक्षे तुम स्थिर रहना, तुम हमेशा स्थिर रहना।

विष्‍णु पुराण में इस मंत्र का अर्थ

विष्णु पुराण में इस मंत्र का अर्थ यह है कि जब भगवान विष्णु ने वामन रूप में दो पग में ही धरती और पाताल को नाप लिया, तब राजा बलि भगवान विष्णु को पहचान गए और तीसरा पग रखने के लिए उन्होंने अपना सिर दे दिया। उसी समय राजा बलि ने भगवान विष्णु को बैकुंठ लोक को छोड़कर पाताल लोक चलने को कहा था।

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