- आज कल के डिजिटल दौर में वर्चुअल असिस्टेंट की पॉपुलैरिटी तेजी से बढ़ रही है
- ये परमानेंट ऑफिस में बैठकर नहीं बल्कि ऑफसाइट रिमोट लोकेशन से काम करते हैं
- इनकी ड्यूटी आम तौर पर ऑनलाइन मार्केटिंग, सोशल मीडिया हैंडलिंग, डेटा एंट्री जैसी होती है
डिजिटल युग में कॉर्पोरेट फील्ड में ज्यादातर काम ऐसे हैं जिन्हें बिना ऑफिस में बैठे ही कहीं पर से भी किया जा सकता है। ऐसे लोग जो रिमोट पर कहीं से भी ऑफिस के अधिकतर काम कुशलतापूर्वक निपटा लेते हैं उन्हें मैनेज कर लेते हैं उन्हें वर्चुअल असिस्टेंट कहा जाता है। वर्चुअल असिस्टेंट एक इंडिपेंडेंट कॉंट्रैक्टर होता है जो अपने आउटसाइड ऑफिस के जरिए क्लायंट को एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस प्रदान करता है। एक वर्चुअल असिस्टेंट आम तौर पर अपने होम ऑफिस से काम करता है लेकिन जरूरत पड़ने पर डॉक्यूमेंट प्लानिंग, फोन मीटिंग जैसी चीजों को रिमोट पर भी कहीं भी ऑपरेट कर सकता है।
ऐसे लोग जो वर्चुअल असिस्टेंट का काम करते हैं उन्हें एडमिनिस्ट्रेटिव असिस्टेंट या फिर ऑफिस मनेजर का कई सालों का अनुभव होता है। आज कल के डिजिटल दौर में इसी का बोलबाला है। सोशल मीडिया, ब्लॉग पोस्ट राइटिंग, कंटेंट मैनेजमेंट, ग्राफिक डिजाइन, इंटरनेट मार्केटिंग ये कुछ ऐसे फील्ड हैं जिसमें एम्प्लाई को ऑफिस में बैठकर काम करने की जरूरत नहीं होती। ये किसी भी स्थान से रिमोट पर काम कर सकते हैं। वर्किंग फ्रॉम होम भी इसी का एक हिस्सा है जो आगे आने वाले समय में खूब पॉपुलर हो सकता है। स्किल्ड वर्चुअल असिस्टेंट की डिमांड भी इसी कारण से बढ़ने वाली है।
कौन होते हैं वर्चुअल असिस्टेंट
वर्चुअल असिस्टेंट सेल्फ इंप्लाइट वर्कर होते हैं जो रिमोट लोकेशन से ही अपने क्लायंट को एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेस ऑफर करते हैं। आम तौर पर ये फोन कॉल मेकिंग, अप्वाइंटमेंट शिड्यूलिंग, ट्रैवल अरेंजमेंट और ईमेल अकाउंट मैनेज करने का काम करते हैं। कुछ वर्चुअल असिस्टेंट ग्राफिक डिजाइन, ब्लॉग राइटिंग, सोशल मीडिया और ऑनलाइन मार्केटिंग भी करते हैं। उदाहरण के तौर पर किसी बी सिलेब्रिटी या फिर बड़ी पर्सनैलिटी के मैनेजर को या फिर उनके पर्सनल असिस्टेंट को वर्चुअल असिस्टेंट कहा जा सकता है।
कैसे करता है ये काम
छोटी-मोटी कंपनियां या फिर स्टार्टअप्स जैसी कंपनियां वर्चुअल असिस्टेंट पर जल्दी से भरोसा करती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि रेगुलर एंप्लॉई की तुलना में उन्हें वर्चुअल असिस्टेंट को पेमेंट करना पड़ता है और उन्हें ऑफिस वर्कस्पेस जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत नहीं होती वे रिमोट लोकेसन से भी उनका काम कुशलतापूर्वक कर सकते हैं। हालांकि ये इंडिपेंडेंट कॉंट्रैक्टर की तरह होते हैं जिनका काम कंपनी की जरूरतों व कॉंट्रैक्ट के नियमों के ऊपर निर्भर करता है। इन्हें कंपनी के ऑफिस में परमानेंट वर्क स्पेस व डेस्क की जरूरत नहीं होती है। इन्हें खुद का कंप्यूटर, हाई इंटरनेट स्पीड, सॉफ्टवेयर जैसी चीजें अरेंज करनी पड़ती हैं।
ड्यूटी और क्वालिफिकेशन
अलग-अलग कामों के लिए इनकी ड्यूटी भी बदलती रहती है। कुछ वर्चुअल असिस्टेंट क्लेरिकल काम करते हैं तो कुछ रेगुलर सोशल मीडिया अपडेशन या फिर ब्लॉग राइटिंग का काम करते हैं। वे कुशल वर्चुअल असिस्टेंट वो होता है जो ट्रैवल अरेंजमेंट से लेकर, अप्वाइंटमेंट शिड्यूलिंग, डेटा एंट्री और ऑिलाइन फाइल स्टोरेज का भी काम करता है। अगर क्वालिफिकेशन की बात की जाए तो इनका कोई हार्ड एंड फास्ट क्वालिफिकेशन नहीं होता है। ये आम तौर पर हायर एजुकेटेड या फिर स्पेशलाइज्ड ट्रेनिंग वाले होने चाहिए। कुछ ऑनलाइन कंपनियां और कम्युनिटी कॉलेज तो अब वर्चुअल असिस्टेंट स्किल्स में सर्टिफिकेशन का कोर्स करवा रही हैं। आम तौर पर इन्हें टेक सेवी, कंप्यूटर की अच्छी जानकारी, सॉफ्टवेयर और बिजनेस प्रोग्राम की अच्छी जानकारी होनी चाहिए।