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Mount Everest: अद्भुत है नजारा, काठमांडू घाटी से करें दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट का दीदार

Updated May 18, 2020 | 07:41 IST

Mount Everest seen from kathmandu valley: अब इसे क्या कहें कि एक तरफ कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया घरों में कैद है तो ऐसे ऐसे नजारे सामने आ रहे हैं कि जिसकी सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है।

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तस्वीर साभार:&nbspAP, File Image
दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है माउंट एवरेस्ट
मुख्य बातें
  • दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है माउंट एवरेस्ट, सी लेवल से ऊंचाई 8848 मीटर
  • नेपाल में इसे कहा जाता है सागरमाथा
  • प्रदूषण कम होने से काठमांडू घाटी से दिखाई दे रहा है माउंट एवरेस्ट

नई दिल्ली। उसके बहुत से नाम है, वहां तक पहुंचना आसान नहीं होता है, उस पर विजय पाना तो और भी मुश्किल है। लेकिन उसे आप इस समय काठमांडू से भी देख सकते हैं, जो आज से चार महीने पहले संभव नहीं था। बर्फ से लदी दुनिया की सबसे बड़ी चोटी का हम जिक्र कर रहे हैं जिसे दुनिया माउंट एवरेस्ट के नाम से जानती है और नेपाल में इसे सागरमाथा के नाम से जानती है।

काठमांडू से नजर आ रहा है माउंट एवरेस्ट
नेपाली टाइम्स के एक फोटोग्राफर ने काठमांडू घाटी के चोबर से माउंट एवरेस्ट की तस्वीर उतारी है जिसमें माउंट एवरेस्ट की चोटी साफ सामने नजर आ रही है। सवाल यह है कि जब प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कुछ ज्यादा करने लगे तो प्राकृतिक छटा हम सबसे दूर होती गई। लेकिन अब जब दुनिया की 95 फीसद आबादी घरों में कैद है तो यही प्राकृतिक नजारों का आनंद उन जगहों से भी लिया जा सकता है जो कई दशकों से हमारी आंखों से ओझल हो चुके थे। वो बताते हैं कि काठमांडू घाटी से इस तरह का नजारा कई  वर्षों के बाद नजर आ रहा है

कोविड 19 से प्रदूषण में आई कमी

अब यह भी जानना जरूरी है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी काठमांडू से नजर आ रही है। उसके पीछे का जवाब देना इस समय बेहद आसान है। यह बात सच है कि पूरी दुनिया कोविड 19 की वजह से परेशान है। कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा हो रहा है, हर दिन मरने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। लेकिन इसके साथ अच्छी बात यह है कि एयर क्वालिटी इंडेक्स में तेजी से सुधार हुआ है। नेपाली टाइम्स के लेख में इसे एक बड़ी वजह बताया गया है। कोविडन 19 की वजह से नेपाल और उत्तर भारत में प्रदूषण के स्तर में बेहद कमी आई है और उसका असर यह है कि वातावरण जो धूल के कणों से ढंका रहता था वो छंट चुका है और हिमालयी इलाके की उंची चोटियों का दीदार 100, 200 किमी पहले हो जा रहा है।