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Banni Buffalo : केवल बन्नी ही नहीं, ये भैंसे भी हैं लाजवाब, दूध देने से लेकर वजन खींचने में हैं बेजोड़   

Updated Sep 12, 2022 | 18:49 IST

Banni Buffalo news: पीएम मोदी ने कहा कि बन्नी भैंस रात में 15-15 से लेकर 17-17 किलोमीटर तक दूर घास चरने जाती है। उन्होंने कहा, 'इतनी दूर जाकर घास चरने के बाद भी बन्नी भैंस सुबह अपने आप खुद घर चाली आती है। पीएम ने कहा कि ऐसा बहुत कम सुनने में आता है कि किसी की बन्नी भैंस खो गई हो या गलत घर में चली गई हो।

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पीएम मोदी ने सुनाया बन्नी भैंस का किस्सा।

Buffalo Breed in India : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को नोएडा में वर्ल्ड डेयरी समिट का उद्घाटन किया। इस मौके पर भारतीय पशुधन के बारे में जिक्र करते हुए उन्होंने गुजरात के कच्छ में पाए जाने वाली बन्नी नस्ल की भैंस का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि भारतीय नस्ल की भैंसे खुद को अपने माहौल एवं जलवायु के अनुरूप ढाल लेती हैं। पीएम ने बन्नी नस्ल का किस्सा सुनाते हुए कहा कि कच्छ में भयंकर धूप होती है। इसलिए बन्नी भैंस रात के कम तापमान में घास चरने के लिए निकलती है। बन्नी भैंस खुद चारागाह में जाती है। रेगिस्तान में पानी कम होता है। इसलिए बहुत कम पानी में भी बन्नी भैंस का काम चल जाता है। 

पीएम ने बताया कि बन्नी भैंस रात में 15-15 से लेकर 17-17 किलोमीटर तक दूर घास चरने जाती है। उन्होंने कहा, 'इतनी दूर जाकर घास चरने के बाद भी बन्नी भैंस सुबह अपने आप खुद घर चाली आती है। पीएम ने कहा कि ऐसा बहुत कम सुनने में आता है कि किसी की बन्नी भैंस खो गई हो या गलत घर में चली गई हो। पीएम ने कहा कि मैंने आपको सिर्फ बन्नी का ही उदाहरण दिया है लेकिन भारत में मुर्रा, मेषाणा, जाफराबादी, नीली रवि, पंडरपुरी जैसे अनेक नस्लें भैंस की आप भी अपने-अपने तरीके से विकसित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि गीर गाय, सैवाल, राठी, कांकरे, थारपारकर हरियाणा ऐसी ही कितनी गाय की नस्लें हैं जो भारत की डेयरी सेक्टर को यूनिक बनाती हैं।' यहां हम भारत में पाई जाने वाली भैंसों की अन्य नस्लों के बारे में भी बात करेंगे जो दूध देने में एक से बढ़कर एक मानी जाती हैं। 

मुर्रा भैंस
भैंस की नस्लों की जब बात चलती है तो मुर्रा का नाम सबसे पहले आता है। मुर्रा नस्ल की भैंसे हरियाणा के रोहतक, हिसार, सिंद, पंजाब के नाभा, पटियाला और दिल्ली के दक्षिणी इलाकों में पाई जाती हैं। इसका रंग सामान्य रूप से काला होता है और पूंछ पर सफेद धब्बे होते हैं। यह काफी मात्रा में दूध देती है। इसके दूध में वसा भी ज्यादा मिलता है। एक दिन में मुर्रा नस्ल 20 से 21 लीटर दूध देती है। मुर्रा भैंस की कीमत 60 हजार रुपए से लेकर पांच लाख रुपए तक हो सकती है। 

जाफराबादी
जाफराबादी नस्ल की भैंस को सबसे वजनी माना जाता है। इस नस्ल की भैंस गुजरात के जामनगर, कच्छ एवं गिर के जंगलों में मिलती है। इसका भी रंग काला और शरीर बड़ा होता है। इसके सींग बड़ी होती है। यह भी रोजाना 30 लीटर तक दूध दे सकती है। इन भैंसों की कीमत डेढ़ लाख रुपए तक होती है। खेत जोतने एवं माल खींचने में भी इसका उपयोग किया जाता है। 

सुरती भैंस
सुरती नस्ल की भैंस को डेक्कनी, गुजराती और तालाब्दा नाम से भी जाना जाता है। यह गुजरात के कैरा एवं बड़ोदा जिलों में मिलती है। इसका रंग या तो काला या भूरा होता है। यह मध्यम आकार की छोटी भैंस होती है। यह एक दिन में औसतन नौ से तेरह लीटर दूध देती है। इसके दूध में वसा की मात्रा 8-12 प्रतिशत होती है। सुरती भैंस की कीमत 30 हजार रुपए से ज्यादा होती है। 

नीली रावी
नीली रावी नस्ल की भैंस पंजाब जिले फिरोजपुर एवं सतलुज घाटी में मिलती है। पाकिस्तान के साहीवाल जिले में भी यह नस्ल पाई जाती है। इसका सिर छोटा होता है। इसकी आंखें बड़ी होती है। इसकी सींग बहुत छोटी होती है। यह रोजाना 15 से 18 लीटर दूध देती है। नीली रावी औसतन 1600-1800 लीटर दूध देती है। इसके दूध में वसा की मात्रा 7 प्रतिशत तक होती है। इसका उपयोग भारी सामान खींचने के लिए किया जाता है।

नागपुरी 
इसे इलिचपुरी अथवा बरारी नाम से भी जाना जाता है। इस नस्ल की भैंस महाराष्ट्र के नागपुर, अकोला एवं अमरावती जिले में मिलती है। यह भैंस लंबी होती है और इसका सींग पीछे की ओर मुड़ी होती है। इन्हें भी भारी वजह खींचने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह प्रतिदिन सात से 12 लीटर दूध देती हैं। इस नस्ल की भैंस की कीमत औसत रूप से 85, 000 रुपए है। 

मेहसाणा
मेहसाणा नस्ल की भैंस गुजरात के मेहसाणा, साबरकांठा, बनासकांठा और महाराष्ट्र से लगती सीमा पर मिलती है। इसे सुरती एवं मुर्रा नस्ल की क्रास ब्रीडिंग से विकसित किया गया है। इसका रंग काला एवं भूरा होता है। यह मुर्रा भैंस से लंबी होती है। यह भैंस भी प्रतिदिन 12 से 15 लीटर दूध देती है। इसका भी उपयोग भारी वजन खींचने में होता है। इसकी भी कीमत 85,000 रुपए है।