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World Lion Day: जंगल के राजा 'शेर' को समर्पित है ये खास दिन, देखें ये शानदार PICS

Updated Aug 10, 2020 | 16:08 IST

World Lion Day 2020: दुनिया भर में शेरों के संरक्षण और जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व शेर दिवस हर वर्ष 10 अगस्त को मनाया जाता है,शेर भारत में रहने वाली पांच पंथेरायन कैट्स में से एक है।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
10 अगस्त को 'अंतरराष्ट्रीय शेर दिवस' मनाते हैं

शेर को जंगल का राजा कहा जाता है और उसकी बादशाहत जंगल में चलती है, सारे जानवर शेर का खौफ मानते हैं, शेरों के संरक्षण और जागरूकता बढ़ाने के लिए World Lion Day हर साल 10 अगस्त को मनाया जाता है वहीं शेर (Lion) भारत में रहने वाली पांच पंथेरायन कैट्स में से एक है, जिसमें बंगाल टाइगर, भारतीय तेंदुआ, हिम तेंदुए भी शामिल हैं।यह बाघ के बाद दूसरी सबसे बड़ी सजीव बिल्ली है, जिसके कुछ नरों का वजन 250 किलोग्राम से अधिक होता है। जंगली सिंह वर्तमान में उप सहारा अफ्रीका और एशिया में पाए जाते हैं। 

एशियाई शेरों का एकमात्र आश्रय स्थल गिर है। यह भोजन-चक्र और पर्यावरण का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। 10 अगस्त को 'अंतरराष्ट्रीय शेर दिवस' मनाते हैं। खुशी की बात यह है कि इनके संरक्षण के प्रयास रंग लाए हैं और इनकी संख्या में करीबन 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

शेर एक विशालकाय, सर्व-परिचित तथा सर्वाधिक चमत्कारी प्राणी है। इसकी तेजी से विलुप्त होती बची खुची जनसंख्या उत्तर पश्चिमी भारत में पाई जाती है, ये ऐतिहासिक समय में उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व और पश्चिमी एशिया से प्रलुप्त हो गए थे।सिंहों के एक समूह, जिसे अंग्रेजी मे प्राइड कहा जाता है में सम्बन्धी मादाएं, बच्चे और छोटी संख्या में नर होते हैं। मादा सिंहों का समूह प्रारूपिक रूप से एक साथ शिकार करता है, जो अधिकांशतया बड़े अनग्युलेट पर शिकार करते हैं।

सिंह शीर्ष के और मूलतत्व शिकारी होते है, हालांकि वे अवसर लगने पर मृतजीवी की तरह भी भोजन प्राप्त कर सकते हैं। सिंह आमतौर पर चयनात्मक रूप से मानव का शिकार नहीं करते हैं, फिर भी कुछ सिंहों को नर-भक्षी बनते हुए देखा गया है, जो मानव शिकार का भक्षण करना चाहते हैं।

सिंह एक संवेदनशील प्रजाति है, इसकी अफ्रीकी श्रंखला में पिछले दो दशकों में इसकी आबादी में संभवतः 30 से 50 प्रतिशत की अपरिवर्तनीय गिरावट देखी गयी है। सिंहों की संख्या नामित सरंक्षित क्षेत्रों और राष्ट्रीय उद्यानों के बहार अस्थिर है। हालांकि इस गिरावट का कारण पूरी तरह से समझा नहीं गया है, आवास की क्षति और मानव के साथ संघर्ष इसके सबसे बड़े कारण हैं।

सिंहों को रोमन युग से पिंजरे में रखा जाता रहा है, यह एक मुख्य प्रजाति रही है जिसे अठारहवीं शताब्दी के अंत से पूरी दुनिया में चिडिया घर में प्रदर्शन के लिए रखा जाता रहा है। खतरे में आ गयी एशियाई उप प्रजातियों के लिए पूरी दुनिया के चिड़ियाघर प्रजनन कार्यक्रमों में सहयोग कर रहे हैं। दृश्य रूप से, एक नर सिंह अति विशिष्ट होता है और सरलता से अपने अयाल (गले पर बाल) द्वारा पहचाना जा सकता है। 

सिंह, विशेष रूप से नर सिंह का चेहरा, मानव संस्कृति में सबसे व्यापक ज्ञात जंतु प्रतीकों में से एक है। गत पाषाण काल की अवधि से ही इसके वर्णन मिलते हैं, जिनमें लैसकॉक्स और चौवेत गुफाओं की नक्काशियां और चित्रकारियां सम्मिलित हैं, सभी प्राचीन और मध्य युगीन संस्कृतियों में इनके प्रमाण मिलते हैं, जहां ये ऐतिहासिक रूप से पाए गए। 

व्यस्क सिंह के शरीर का भार आम तौर पर नर के लिए 150-250 किलोग्राम और मादा के लिए 120-182 किलोग्राम होता है। नोवेल और जैक्सन रिपोर्ट के अनुसार नर का वजन 181 किलोग्राम और मादा का वजन 126 किलोग्राम होता है; माउंट केन्या के पास एक नर का वजन 272 किलोग्राम  पाया गया, सिंह आकार में बहुत भिन्नता रखते हैं, यह भिन्नता उनके वातावरण और क्षेत्र पर निर्भर करती है, इसके परिणामस्वरूप दर्ज किये गए भार में भी बहुत भिन्नता पाई गयी है।