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ऑनलाइन धोखाधड़ी काफी बढ़ गई है, साइबर सिक्योरिटी के लिए आया कार्ड टोकेनाईजेशन, जानिए ये है क्या?

Updated Sep 06, 2022 | 19:29 IST

ऑनलाइन शॉपिंग में धोखाधड़ी की घटनाओं में बहुत अधिक बढ़ोतरी हुई है। इसलिए साइबर सुरक्षा के लिए नया उपाय कार्ड टोकेनाईजेशन लाया गया है। जानिए इसकी जरूरत क्यों पड़ी और ये है क्या।

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ऑनलाइन फ्रॉड रोकने के लिए आया कार्ड टोकेनाईजेशन (तस्वीर-istock)

ऑनलाइन शॉपिंग की वजह से हमारे शॉपिंग के तरीके में एक क्रांति आ चुकी है और ऐसा होना सही भी है! हर चीज की आपके घर पर ही डिलीवरी की सुविधा के कारण लाखों लोगों के लिए यह शॉपिंग का पसंदीदा तरीका बन चुका है। एक अन्य उल्लेखनीय सुविधा जो ऑनलाइन शॉपिंग से प्राप्त होती है, उसमें भुगतान के अनेक विकल्प शामिल हैं- नेट बैकिंग, क्रेडिट/डेबिट कार्ड, मोबाइल वैलेट्स, यूपीआई, या डिलीवरी पर भुगतान।

लेकिन, ऑनलाइन शॉपिंग में इस अभूतपूर्व तेजी के कारण डेटा सिक्योरिटी के उल्लंघन की घटनाओं में भी बहुत अधिक बढ़ोतरी हुई है। इस साइबर सिक्योरिटी जोखिम को नियंत्रित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने अनेक कदम उठाए हैं। कार्ड का टोकेनाईजेशन एक नवीनतम सुरक्षा उपाय है जिसे रेग्यूलेटरी बॉडी द्वारा घोषित किया गया है। इसको ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान उपभोक्ता के वित्तीय डेटा की सुरक्षा के लिए तैयार किया गया है।

टोकेनाईजेशन की जरूरत क्यों है?

आप जब भी ई-कॉमर्स ऐप या वेबसाइट पर खरीददारी करते हैं, आमतौर पर आपसे क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड के ब्यौरे, कार्ड की एक्सपायरी तारीख आदि को सेव करने के लिए पूछा जाता है, ताकि आप भविष्य में किए जाने वाले लेनदेनों को शीघ्रतापूर्वक कर सकें। लेकिन, इस सुविधा के साथ सुरक्षा जोखिम जुड़ा रहता है। आपके स्टोर किए गए डेटा के साथ अनऑथोराइज़्ड या धोखाधड़ी से की जाने वाली गतिविधियों के कारण जोखिम जुड़ा रहता है जिससे वित्तीय हानि हो सकती है। उस सुरक्षा जोखिम को टोकेनाईजेशन से सुलझाने की कोशिश की जा रही है। सबसे पहले मार्च, 2020 में आरबीआई द्वारा टोकेनाईजेशन की सिफारिश की गई थी, जिसको लागू करने की तारीख सितंबर, 2021 थी। अब अंतिम तिथि को बढ़ाकर 30 सितंबर, 2022 कर दिया गया है।

टोकेनाईजेशन क्या है?

टोकेनाईजेशन वह प्रक्रिया है जिसमें कार्ड के ब्यौरे को एक वैकल्पिक, एनक्रेप्टेड कोड से बदल दिया जाएगा जिसे टोकन कहा जाता है। प्रत्येक टोकन कार्ड, टोकन अनुरोधकर्ता, तथा डिवाइस जिसके माध्यम से अनुरोध किया गया है, उसका एक खास कम्बीनेशन है। मर्चेन्ट्स द्वारा ग्राहक के वास्तविक कार्ड ब्यौरे को सेव करने की बजाए डेबिट या क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करके ऑनलाइन भुगतान की जाने वाली प्रक्रिया के लिए इन टोकनों का इस्तेमाल किया जाएगा। 1 अक्तूबर, 2022 से शुरू करते हुए, ग्राहक जब ऑनलाइन शॉपिंग करेंगे तो उन्हें अपने कार्ड्स को टोकेनाइज करने के लिए कहा जाएगा।

क्या यह अनिवार्य है?

कार्ड का टोकेनाईजेशन अनिवार्य नहीं है। ग्राहक के रूप में, आप यह चुन सकते हैं कि क्या आप अपने कार्ड का टोकेनाईजेशन करवाना चाहते हैं अथवा नहीं। इसके साथ ही, आपके पास भुगतान के विशिष्ट स्वरूप जैसे कन्टेक्टलेस, इन-ऐप, या क्यू आर कोड आधारित भुगतान विधियों के लिए रजिस्टर या डि-रजिस्टर करवाने का विकल्प भी होगा।

आप पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

1 अक्तूबर, 2022 से, टोकेनाईजेशन का प्रभाव उन भुगतानों पर पड़ेगा जिन्हें वर्तमान समय में ऑटो-डेबिट या स्टेंडिंग निर्देशों के आधार पर किया जा रहा है। ई-कॉमर्स मर्चेन्ट्स को ग्राहकों से संबंधित समस्त भुगतान डेटा को हटाने के लिए कहा गया है, इसलिए हर नए लेनदेन के लिए ग्राहक द्वारा भुगतान ब्यौरे को फिर से भरना होगा। आपके कार्ड के टोकेनाईजेशन से आप इस दिक्कत से बच पाएंगे, और साथ ही आप अपने ऑनलाइन लेनदेनों के साथ सुरक्षा की एक अतिरिक्त लेयर भी जोड़ पाएंगे।

मेरी समस्याओं का समाधान कौन करेगा?

टोकेनाईजेशन से संबंधित शिकायतों का समाधान कार्ड जारीकर्ता द्वारा किया जाएगा। चाहे यह किसी आईडेन्टिफाइड डिवाइस की हानि की जानकारी देनी हो या किसी लेनदेन को फ्लैग करना हो, जिससे टोकन को अप्राधिकृत इस्तेमाल के लिए एक्सपोज किया जा रहा है, इन सभी शिकायतों के समाधान की जिम्मेवारी जारीकर्ता की होगी।

टोकेनाईजेशन एक बहुत ही शानदार कदम है जिसे ऑनलाइन लेनदेन के लिए डेटा सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए उठाया जा रहा है। यदि आप अक्सर ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं, तो अपने कार्ड के टोकेनाईजेशन पर विचार करना, सही कदम होगा, विशेष रूप से इससे आपको मन की शांति मिलती रहेगी।

(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर:  ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)