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QUAD Meeting 2021: हिंद प्रशांत क्षेत्र में एकजुट होकर करेंगे काम- पीएम नरेंद्र मोदी

Updated Sep 25, 2021 | 01:15 IST

वाशिंगटन में क्वाड के सदस्य देशों की अहम बैठक हुई जिसमें विस्तारवादी नीति का विरोध किया गया। सदस्य देशों ने कहा कि किसी भी राष्ट्र को दूसरे देश के सार्वभौमिक अधिकारों में दखल देने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।

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हिंद प्रशांत क्षेत्र में एकजुट होकर करेंगे काम- पीएम नरेंद्र मोदी
मुख्य बातें
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लोगों को क्वाड वैक्सीन की पहल से मदद मिलेगी- पीएम मोदी
  • जापान के पीएम बोले, हिंद- प्रशांत क्षेत्र खुला और सुरक्षित होना चाहिए, ऑस्ट्रेलिया ने भी जापान के सुर में सुर मिलाया
  • अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने क्वाड फेलोशिप की घोषणा की

शुक्रवार को ह्वाइट हाउस में दो बड़ी बैठकें हुई। पहली बैठक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन और पीएम नरेंद्र मोदी के साथ तो दूसरी बैठक क्वॉड के सदस्य देशों अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत के बीच हुई। इस बैठक से पहले चीन की तरफ से तंज के साथ साथ सलाह भी दी गई कि किसी संगठन को किसी तीसरे देश को निशाना नहीं बनाना चाहिए। इसके साथ ही चीन की तरफ से यह भी कहा गया कि भारत को पश्चिमी देशों के बिछाए जाल से बचना चाहिए। 

QUAD में भारत का बयान
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि क्वाड वैक्सीन पहल से भारत-प्रशांत देशों के लोगों को मदद मिलेगी।एक तरह से हमारा क्वाड एक 'फोर्स फॉर ग्लोबल गुड' की तरह काम करेगा। मुझे विश्वास है कि क्वाड में हमारा सहयोग हिंद-प्रशांत के साथ-साथ पूरी दुनिया में शांति और समृद्धि सुनिश्चित करेगा। हमारी क्वाड वैक्सीन पहल से इंडो-पैसिफिक देशों को मदद मिलेगी। क्वाड ने हमारे साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया। मुझे अपने दोस्तों के साथ चर्चा करने में खुशी होगी-चाहे वह आपूर्ति श्रृंखला, वैश्विक सुरक्षा, जलवायु कार्रवाई, COVID प्रतिक्रिया या तकनीकी सहयोग हो।

हमारे चार देश भारत-प्रशांत क्षेत्र की मदद के लिए 2004 की सुनामी के बाद पहली बार मिले। आज, जब दुनिया COVID19 महामारी से लड़ रही है, हम मानवता के कल्याण के लिए एक बार फिर क्वाड के रूप में यहां आए हैं।

क्वाड मीटिंग में जापान की राय
जापानी पीएम योशीहिदे सुगा ने कहा कि क्वाड 4 देशों द्वारा एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहल है जो मौलिक अधिकारों में विश्वास करते हैं और उनका विचार है कि इंडो-पैसिफिक को स्वतंत्र और खुला होना चाहिए। अब तक, क्वाड ने बड़े क्षेत्रों में अपना पूर्ण सहयोग दिया है, चाहे वह क्षेत्रीय चुनौतियां हों या COVID-19। हम यहां पहले व्यक्तिगत रूप से क्वाड लीडर्स समिट के लिए आए हैं। यह शिखर सम्मेलन हमारे चार देशों द्वारा साझा किए गए संबंधों और एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

 
अमेरिका ने क्या कहा

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने कहा कि आज, हम अपने प्रत्येक क्वाड देशों के छात्रों के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में अग्रणी स्टेम कार्यक्रमों में उन्नत डिग्री हासिल करने के लिए एक नई क्वाड फेलोशिप भी शुरू कर रहे हैं, जो कल के नेताओं, नवप्रवर्तकों और अग्रदूतों में निवेश का प्रतिनिधित्व करते हैं।हमारे युग की प्रमुख चुनौतियों का सामना करने के लिए क्वाड देशों के पास भविष्य के लिए समान दृष्टिकोण है। मैं क्वाड की व्यक्तिगत बैठक के लिए व्हाइट हाउस में पीएम मॉरिसन, पीएम मोदी और पीएम सुगा का स्वागत करता हूं। इस समूह में लोकतांत्रिक साझेदार हैं जो विश्व दृष्टिकोण साझा करते हैं और भविष्य के लिए समान दृष्टिकोण रखते हैं, जो हमारी उम्र की प्रमुख चुनौतियों का सामना करने के लिए एक साथ आते हैं।जब हम 6 महीने पहले मिले थे, तो हमने अपने साझा और सकारात्मक एजेंडे को स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के लिए आगे बढ़ाने के लिए ठोस प्रतिबद्धताएं की थीं। आज, मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि वे उत्कृष्ट प्रगति कर रहे हैं।


ऑस्ट्रेलिया की राय

क्वाड यह प्रदर्शित करने के बारे में है कि हमारे जैसे लोकतंत्र कैसे काम कर सकते हैं। दुनिया का कोई भी हिस्सा इस समय इंडो-पैसिफिक से अधिक गतिशील नहीं है। हम एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विश्वास करते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि यही एक मजबूत और समृद्ध क्षेत्र प्रदान करता है।

  


चीन को QUAD से क्या दिक्कत है?

QUAD के चारों देशों को चीन विरोधी मानता है। QUAD देश चीन की बढ़ती ताकत को चुनौती दे रहे हैं।दक्षिण चीन सागर में चीन पर अंकुश लगना। हिन्द महासागर में चीन के प्रभाव का कम होना।चीन की आक्रामक नीतियों से निपटना।व्यापारिक और आर्थिक हितों पर चोट ।फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक बनाना।हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर चीन के प्रभाव को कम करना ।चीन के मुकाबले सदस्य देशों के व्यापारिक हित पर नजर के साथ चीन की कंपनियों के तकनीकी वर्चस्व को चुनौती देने का डर है।

'साउथ चाइना सी' में तनाव क्यों?

'साउथ चाइना सी' पर चीन का दावा।13 लाख वर्ग मील के समंदर पर दावा।समंदरी इलाका हिंद और प्रशांत महासागर के बीच समंदर के इस इलाके पर चीन ने कृत्रिम द्वीप बनाए। द्वीप की सुरक्षा के लिए चीन ने मिसाइल सिस्टम लगाया।समंदरी क्षेत्र चीन, ताइवान, वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्रूनेई और फिलीपीन्स से घिरा ।इंडोनेशिया के अलावा सभी देशों का 'साउथ चाइना सी' पर दावा
साउथ चाइना सी का महत्व

आर्थिक और सामरिक तौर पर अहम कच्चे तेल का भंडार मिलने की संभावना ।सबसे व्यस्ततम समुद्री मार्गों में से एक इलाके का समंदरी व्यापार में 1/3 हिस्सा साउथ चाइना सी में अमेरिका की भी खासी दिलचस्पी140 लाख करोड़ का अमेरिकी कारोबार इसी इलाके से
रास्ते से सालाना करीब 3 लाख करोड़ डॉलर का बिज़नेस वैश्विक स्तर पर करीब 15% मछली उत्पादन संसाधनों पर कब्जा जमाने के लिए टकराव  का डर 'क्वाड' को Quadrilateral Security Dialogue (QSD) के नाम से भी जाना जाता है।

चीन के सामने QUAD की आर्थिक ताकत

  1. चीन                       1128 लाख करोड़                                 
  2. अमेरिका                         1505  
  3. जापान                               377 
  4. भारत                                195
  5. ऑस्ट्रेलिया                         96 

कुल                                  2173

चीन के सामने QUAD का रक्षा बजट                                      

  1. चीन                                  13 लाख करोड़                                      
  2. अमेरिका                              54 लाख करोड़ 
  3. भारत                                    4.8 लाख करोड़ 
  4. जापान                                  3.8 लाख करोड़ 
  5. ऑस्ट्रेलिया                             3.1 लाख करोड़ 

QUAD का कुल रक्षा बजट          65.7 लाख करोड़ 

QUAD का इतिहास

2007 में पहली बार आइडिया। जापान ने QUAD बनाने की पहल की। चीन और रूस ने QUAD का विरोध किया ।2008 में ऑस्ट्रेलिया ने ग्रुप से बाहर रहा। 10 साल तक आइडिया फ्रीज़ रहा। 2017 में आइडिया पर सक्रिय काम शुरू हुआ। सदस्य देशों के बीच बैठक हुई और 2020 में ऑस्ट्रेलिया दोबारा शामिल हुआ।