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Ukraine-Russia war Reasons: पुतिन ने आखिर क्यों किया यूक्रेन पर हमला? जानिए इसके पीछे की वजह

Updated Feb 24, 2022 | 20:33 IST

Ukraine-Russia war reasons: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के ऐलान के बाद रूस की सेना ने यूक्रेन पर धावा बोल दिया। अब सवाल उठता है कि पुतिन ने आखिर क्यों यूक्रेन पर हमला किया। इसके पीछे क्या वजह है?

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रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह

Ukraine-Russia war reasons: आज देश ही नहीं पूरी दुनिया के लिए सिर्फ एक ही खबर है और वो खबर है रूस और यूक्रेन में शुरू हुई जंग। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के ऐलान के बाद रूस की सेना ने यूक्रेन पर धावा बोल दिया। अब हालात ये हैं कि यूक्रेन की राजधानी कीव में भी धमाके हो रहे हैं। अब आपको ये बताते हैं कि कैसे रूस की सेना ने पहले यूक्रेन को घेरा और फिर जोरदार हमला किया। रूस की थल सेना ने लुहांस्क और डोनेट्स्क में एंट्री ली। क्रीमिया की तरफ से सेना ने मोर्चा संभाला। बेलारूस में युद्धअभ्यास के बहाने पहले से मौजूद रूस की सेना यूक्रेन मे दाखिल हो गई। इसके अलावा 6 से ज्यादा शहरों पर एयरस्टाइक किया गया। फौजी ठिकानों पर मिसाइलों से हमले किए गए। उधर रूस ने यूक्रेन को ब्लैक सी में घेरा, हमले के लिए उतरे वॉरशिप मोर्चा लिए हुए हैं।

रूस का हमला इतना सटीक था कि यूक्रेन के हरकत में आने से पहले ही उसके 6 एयरपोर्ट पूरी तरह से तबाह हो गए। रूस ने दावा किया कि उसने यूक्रेन के एयरडिफेंस सिस्टम को तबाह कर दिया है हालांकि यूक्रेन के हवाले से ये कहा गया कि उसने रूस के 5 लड़ाकू विमानों को गिरा दिया है।पुतिन ने कहा है कि वो यूक्रेन पर वो पूरी तरह कब्जा करना नहीं चाहते लेकिन उनके एक्शन से ये बिल्कुल साफ हो गया है कि कम से कम यूक्रेन के दो राज्य डोनेट्स्क और लुहान्स्क को वो हर हाल में आजाद कराना चाहते हैं।

सवाल उठता है कि पुतिन ने आखिर क्यों यूक्रेन पर हमला किया। इसके पीछे क्या वजह है?

  1. कम से कम 2036 तक रूस में राष्ट्रपति का पद अपने नाम लिख चुके पुतिन की छवि एक सख्त शासक और समझौता ना करने वाले इंसान के तौर पर है।
  2. ये भी सही है कि सोवियत संघ के खुफिया तंत्र केजीबी में रहने वाले पुतिन कभी सोवियत संघ के विघटन को पूरी तरह स्वीकार नहीं कर पाए। यही वजह है कि शासन में आने के तुरंत बाद से ही पुतिन की प्राथमिकता रूस की पुरानी हैसियत दोबारा हासिल करने की रही है। 
  3. पुतिन की आतंरिक नीति जहां सोवियत संघ के शासन व्यवस्था की याद दिलाती है वहीं विदेश नीति में पुराने सोवियत संघ की नीति साफ दिखती है। पुतिन ये मानते हैं कि पश्चिम उनका दुश्मन है।
  4. रूस पर पाबंदियां लगाकर अमेरिका और उसके मित्र देश रूस के आर्थिक विकास में रोड़े अटकाते हैं। सुरक्षा के मुद्दे पर पश्चिमी देशों को उसके हितों की परवाह नहीं करते और सोवियत संघ के टूटने के बाद बने देशों को अपने पक्ष में करके अमेरिका रूस की घेराबंदी करना चाहता है।
  5. यही वजह है कि पुतिन, अमेरिका या फिर यूरोपीय देशों की घेराबंदी रोकने के लिए अक्सर कड़े कदम उठाते रहे हैं। आज यूक्रेन में हमले का एलान करते वक्त पुतिन के शब्दों पर गौर कीजिए जिसमें वो यूक्रेन के सैनिकों को समझा रहे हैं कि रूस के खिलाफ हथियार उठाने से इनकार कर दो क्योंकि हमारा इतिहास एक है। हमने मिलकर नाजियों से लड़ाई की हालांकि उनके इस सलाह में धमकी भी थी।
  6. मैं यूक्रेन की आर्मी से कहना चाहूंगा कि आपके पिता-दादा हमारी कॉमन लड़ाई लड़ते रहे। आप अपने हथियार डाल दें और घर चले जाएं। सभी 
  7. यूक्रेन के ऐसे सैनिकों को सुरक्षित घरों तक पहुंचाया जाएगा। अगर वो ऐसा नहीं करते तो अंजाम भुगतना होगा। इसके लिए कीव जिम्मेदार है।
  8.  पुतिन का ये बयान साफ संदेश है कि या तो लोग उनके दोस्त हैं या फिर विरोधी और जो उनके विरोधी है वो हर हाल में खतरा हैं और वो किसी भी सूरत में अपनी सीमा पर नेटो की हरकत बर्दाश्त नहीं कर सकता। पुतिन की ये नीति सालों पुरानी है।
  9. साल 2008 में रूसी सेना ने जॉर्जिया पर आक्रमण किया तो इसके पीछे की वजह यही थी। 2014 में पश्चिमी देशों के समर्थन वाले आंदोलन के बाद मॉस्को समर्थक यूक्रेनी राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को पद से हटा दिया गया। रूस से इसे भी खुद को घेरने की एक चाल ही माना। नतीजा रूस ने 18 मार्च 2014 को यूक्रेन में सैन्य हस्तक्षेप करके क्रीमियाई प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया।
  10. यानी रूस की नीति शीशे की तरह साफ है वो अमेरिका को खतरा मानता है और अपने सीमा से लगे देशों के नेटो में शामिल होने नहीं देना चाहता।
  11. जहां तक यूक्रेन का सवाल है तो कभी सोवियत संघ का हिस्सा होने की वजह से यूक्रेन के रूस के साथ गहरे सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंध हैं। यूक्रेन में करीब 80 लाख रूसी मूल के लोग रहते हैं और यूक्रेन का नाटो और अमेरिका के प्रति झुकाव रूस को बर्दाश्त नहीं है। यही वजह है कि यूक्रेन में हमला कर पुतिन ने ये एक बार फिर साबित कर दिया है कि उसकी नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

युद्ध को लेकर पूरी दुनिया चिंता जता रही है और रूस से युद्ध रोकने की अपील कर रही है। कुछ देशों ने यूक्रेन का साथ देने का भी ऐलान कर दिया है। 

सवाल उठता है कि यूक्रेन के साथ इस लड़ाई में रूस के साथ कौन-कौन है:- 'महायुद्ध' में कौन किसके साथ

पुतिन के साथ                    पुतिन के खिलाफ 
चीन                                   अमेरिका
पाकिस्तान                            जर्मनी
क्यूबा                                   ब्रिटेन
आर्मेनिया                              आस्ट्रेलिया
कजाकिस्तान                         बेल्जियम                 
किर्गिस्तान                             कनाडा
ताजिकिस्तान                          फ्रांस
बेलारूस                               जापान
अजरबैजान                            इटली 
उत्तर कोरिया                          दक्षिण कोरिया
ईरान

किसकी सेना कितनी मजबूत?

                           यूक्रेन             रूस 
एक्टिव सैनिक    11 लाख              29 लाख 
लड़ाकू विमान     98                    1511
अटैक हेलिकॉप्टर  34                  544
टैंक                   2596              12,240
बख्तरबंद            12,303           30122
तोप                  2040              7571

जैसे ही पुतिन ने युद्ध का एलान किया यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने हमले की जानकारी देते हुए राष्ट्र के नाम एक वीडियो संदेश में कहा कि पूरे यूक्रेन में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया है लेकिन कोई दहशत नहीं है। हम मज़बूत हैं। हर बात के लिए तैयार हैं। हम हर किसी को हराएंगे, क्योंकि हम यूक्रेनी हैं। रूस की कार्रवाई यूक्रेन की अखंडता और संप्रभुता का उल्लंघन है। हमारी सीमाएं अभी भी पहले जैसी ही हैं और बनी रहेंगी।

यूक्रेन ने रूस के साथ सभी तरह के कूटनीतिक रिश्तों को तोड़ दिया है हालांकि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के इस इरादे और अपील का कोई असर होना नहीं दिखा। कम से कम हमले वाले इलाकों से लोग निकलते देखे गए। शहरों में ट्रैफिक जाम लग गया। हर कोई सुरक्षित इलाके में निकलना चाहता था।

दुनिया भर की चिंताओं को दरकिनार कर व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया। दुनिया देखती रह गई और यूक्रेन में बम धमाके और मिसाइल अटैक शुरू हो गए। अब अमेरिका से लेकर यूरोपीय देश रूस को अंजाम भुगतने की चेतावनी दे रहे हैं। आपको बताते हैं कि दुनिया के अलग-अलग मुल्कों की रूस-यूक्रेन युद्ध पर क्या प्रतिक्रिया है। 

जंग से पहले ही रूस ने दुनिया को अपने एक्शन के बारे में चेतावनी देना शुरू कर दिया था। युद्ध के ऐलान से कुछ घंटे पहले ही रूस ने एयरट्रैफिक को यूक्रेन के एयर स्पेस से बाहर रहने की चेतावनी दी थी। नतीजा आज अंतरराष्ट्रीय एयर रूट पर भारी दबाव दिखा। अंतरराष्ट्रीय विमान यूक्रेन के एयरस्पेस में दाखिल नहीं हुए। दिल्ली से कीव के लिए उड़ा एयर इंडिया का विमान भी वापस लौट आया है। हालांकि भारत सरकार ने भरोसा दिलाया है कि यूक्रेन में फंसे लोगों को जल्द वापस लाया जाएगा।

रूस के मुकाबले यूक्रेन बेहद कमजोर है। सैन्य क्षमता के मामले में यूक्रेन रूस के आगे कहीं नहीं टिकता। फिर भी यूक्रेन ने ऐलान कर दिया है कि वो रूस के आगे बिल्कुल नहीं झुकेगा और ना ही सरेंडर करेंगे। यूक्रेन ने तो अब अपने पूर्व सैनिकों और आम नागरिकों के हाथ में हथियार देने का ऐलान कर दिया है, ताकि वो रूस से मुकाबला करें। 

NATO ने कहा है कि रूस को जवाब देने के लिए  120 फाइटर जेट, 100 वॉर शिप तैयार हैं। अमेरिका ने भी कड़े कदम उठाने का संकेत दिया है। लेकिन अभी तक सीधे तौर पर कोई सैन्य मदद नहीं दी है। अमेरिका ने पोलैंड और रोमानिया में 3,000 सैनिक भेजे हैं। इसके साथ ही 8500 सैनिकों को अलर्ट पर रखा है। अमेरिका ने 20 करोड़ डॉलर के हथियार भेजे हैं। ब्रिटेन ने यूक्रेन को 2,000 कम-दूरी के एंटी टैंक मिसाइल दिए हैं। ब्रिटेन ने 350 और सैनिकों को पोलैंड को भेजा है, और एस्टोनिया में 900 अतिरिक्त सैनिकों को भेजकर अपनी सैन्य क्षमता दोगुना कर दी है।