नई दिल्ली: भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो रेट को कम करने के लिए रेपो रेट से जुड़े होम और ऑटो लोन पर समान मासिक किस्तों (ईएमआई) को घटा दिया है। रेपो रेट में 40 आधार अंक के साथ 4.40% से 4% तक घटा दिया गया है और इसी के तहत आरबीआई बैंकों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करता है, जिसका सीधे तौर पर ग्राहकों को फायदा मिलने की संभावना है।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि अधिकांश बैंकों ने अपने बाहरी बेंच रेट (EBR) को रेपो रेट से जोड़ रखा है इसलिए रेपो में कमी से बैंकों के ईबीआर में कमी आएगी, इसलिए फ्लोटिंग-रेट कर्ज पर लागू ब्याज में भी राहत देखने को मिलेगी।
रेपो-लिंक्ड लोन वाले लोन लेने वाले लोग 1 जुलाई से अपनी ईएमआई गिरने की उम्मीद कर सकते हैं क्योंकि ये ऋण हर तिमाही में एक बार रीसेट हो जाते हैं। हालांकि, जिन लोगों ने एमसीएलआर-लिंक्ड होम और ऑटो लोन हैं, उन्हें तत्काल राहत नहीं मिल सकती है।
आमतौर पर बैंक रेपो में हर बदलाव के बाद अपने MCLR रेट को कम कर देते हैं। भले ही कुछ बैंक MCLR में कमी की घोषणा करते हैं, लेकिन लोन की ईएमआई तुरंत नहीं गिर सकती क्योंकि MCLR से जुड़ी दरें साल में एक या दो बार रीसेट की जाती हैं।
वर्तमान में, SBI का EBR 7.05% है। आज की रेपो कटौती के बाद, SBI का EBR 6.65% तक गिर जाएगा। तो वेतनभोगी लोगों के लिए 30 लाख रुपए तक के होम लोन पर प्रभावी दर पहले के 7.40% से घटकर 7% रह जाएगी।
यदि आपके पास एसबीआई से 30 साल के लिए 30 लाख रुपए का होम लोन है तो आपके लोन की ईएमआई की गणना के अनुसार यह 812 रुपए कम हो सकती है।
RBI ने 31 अगस्त तक सभी टर्म लोन पर दी गई मोहलत को 31 अगस्त तक बढ़ाने का भी फैसला भी किया है। इसलिए अब कर्जदारों के पास अपने लोन के पुनर्भुगतान को और तीन महीने तक बढ़ाने का विकल्प है। इन दोनों उपायों- रेपो दर में कटौती और अवधि आगे बढ़ाने- से उम्मीद है कि ऐसे उधारकर्ताओं पर वित्तीय तनाव कम होगा जो वेतन कटौती और नौकरी खोने का सामना करें।
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