ऑर्गेनिक फॉर्मिंग को बढ़ावा देने पर जोर, किसानों का नया साथी बनेगा 'ड्रोन'

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Updated Feb 01, 2022 | 19:42 IST

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में ड्रोन की कृषि की भूमिका के इजाफे और पूरे देश में रसायन मुक्त खेती की शुरुआत का ऐलान किया है।

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ड्रोन का कृषि में उपयोग  
मुख्य बातें
  • गंगा के किनारे पांच मीटर के गलियारे में शुरू होगी रसायन मुक्त खेती की शुरुआत
  • ड्रोन के कृषि क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर उपयोग पर दिया जाएगा बढ़ावा
  • आधुनिक खेती के हिसाब से कृषि विश्व विद्यालयों में पाठ्यक्रमों में होगा बदलाव

नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान केंद्र देश भर के किसानों को डिजिटल और हाई-टेक सेवाएं मुहैया कराने के लिए किसान ड्रोन, रसायन मुक्त जैविक खेती, सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देगा। निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट पेश करते हुए यह घोषणा की।

संसद में वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश करते हुए सीतारमण ने कहा कि समावेशी विकास, सरकार की आगे बढ़ने की चार प्राथमिकताओं में से एक है। समावेशी विकास के तहत सरकार फसल मूल्यांकन, भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण और कीटनाशकों के छिड़काव के लिए 'किसान ड्रोन' के उपयोग को बढ़ावा देगी।

उन्होंने कहा कि सरकार कृषि स्टार्टअप और ग्रामीण उद्यमों के वित्तपोषण के लिए नाबार्ड के माध्यम से सह-निवेश मॉडल के तहत जुटाई गई मिश्रित पूंजी के साथ एक कोष की सुविधा भी देगी। वित्तमंत्री ने कहा, 'यह कृषि उपज मूल्य श्रृंखला के लिए प्रासंगिक कृषि और ग्रामीण उद्यम के लिए स्टार्टअप का वित्तपोषण करने के लिए है।'

गंगा नदी के किनारे से होगी रसायन मुक्त खेता की शुरुआत
उन्होंने कहा कि इन स्टार्टअप की गतिविधियों में किसान-उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के लिए अंतर-क्षेत्रीय समर्थन, किसानों के हित में खेती के लिए किराये पर मशीनरी उपलब्ध कराना इत्यादि जैसे काम शामिल होंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार पहले चरण में गंगा नदी के किनारे पांच किलोमीटर चौड़े गलियारों में किसानों की भूमि पर ध्यान केंद्रित करते हुए पूरे देश में रसायन-मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देगी।

उन्होंने कहा कि खाद्य तेलों के आयात पर देश की निर्भरता कम करने के लिए तिलहन का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए युक्तिसंगत और व्यापक योजना लागू की जाएगी। उन्होंने कहा कि किसानों को डिजिटल और 'हाई-टेक' सेवाएं देने के लिए सरकार निजी कृषि प्रौद्योगिकी कंपनियों और कृषि मूल्य श्रृंखला के अंशधारकों के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के अनुसंधान और विस्तार संस्थानों की भागीदारी में पीपीपी आधार पर एक योजना शुरू करेगी।

कृषि विश्विद्यालयों के पाठ्यक्रम में होगा संशोधन
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक शून्य बजट और जैविक खेती, आधुनिक कृषि, मूल्य संवर्धन और प्रबंधन की जरूरतों को पूरा करने के लिए राज्यों को कृषि विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार 2021-22 के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 163 लाख किसानों से 1,208 लाख टन गेहूं और धान की खरीद करेगी।
उन्होंने कहा, 'एमएसपी मूल्य का 2.37 लाख करोड़ रुपये उनके खातों में सीधे डाले जाएंगे।'

मोटे अनाज के घरेलू उपयोग को देंगे बढ़ावा
वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2023 को ‘मोटे अनाज का अंतरराष्ट्रीय वर्ष’ घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोटे अनाज उत्पादों की घरेलू खपत को बढ़ाने के लिए फसल कटाई के बाद के प्रबंधन को सहायता देगी। 

कृषि वानिकी अपनाने वाले SC-ST के लोगों को मिलेगी वित्तीय सहायता
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार कृषि वानिकी और निजी वानिकी को बढ़ावा देने के लिए नीतियां और आवश्यक विधायी बदलाव करेगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उन किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी जो कृषि वानिकी को अपनाना चाहते हैं। 

बजट से किसानों को नहीं मिली नई उम्मीद
सरकार के बजट के कृषि पक्ष के बारे में पूर्व कृषि मंत्री और योजना आयोग के पूर्व सदस्य सोमपाल शास्त्री ने कहा, 'दो साल से जारी कोरोना महामारी के दौर में भी कृषि क्षेत्र ने न केवल अपना जुझारूपन दिखाया है, बल्कि शानदार प्रदर्शन किया है। लेकिन यह क्षेत्र अभी भी गंभीर उपेक्षा का शिकार है' उन्होंने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का पिछले सत्र का लगभग 1,500 करोड़ रुपये और वर्तमान सत्र का लगभग 7,000 करोड़ रुपये अभी भी बकाया है। ऐसे माहौल में कोई ऐसी नयी बात नहीं है जो कोई उम्मीद देती हो।

किसान की उपेक्षा चिंताजनक
शास्त्री ने बताया कि योजना आयोग के कार्यकाल की सदस्यता के दिनों में उन्होंने आयोग की एक रिपोर्ट पढ़ी थी जिसमें कहा गया था कि औद्योगिक उत्पादों की लगभग 46 प्रतिशत मांग ग्रामीण क्षेत्र से सृजित होती है जो मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों क्रय शक्ति बढ़ने से इन औद्योगिक उत्पादों की भी खपत बढ़ेगी। लेकिन किसानों के प्रति सरकार की उपेक्षा का रवैया चिंताजनक है।

कृषि क्षेत्र की वृद्धि का आधार तैयार करेगा बजट
कृषि लागतों का विनिर्माण करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनी, सिंजिन्टा इंडिया के ‘चीफ सस्टेनिबिलिटी ऑफिसर’ डॉ. के सी रवि ने बजट की सराहना करते हुए कहा कि यह कृषि क्षेत्र के लिए निरंतर उच्च वृद्धि का आधार तैयार करेगा। उन्होंने कहा कि बजट में आधारभूत और डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान देने के साथ-साथ पीपीपी तरीके से कृषि प्रौद्योगिकियों के विकास से हम अगले 25 वर्षों में जलवायु परिवर्तन की गंभीर चुनौतियों से बेहतर तरीके से निपटने में सक्षम होंगे।


 

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