नया टैक्स स्लैब या पुरानी टैक्स व्यवस्था, जानिए किसमें होगा आपको फायदा

New vs Old Tax Regime: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को आम बजट 2020 पेश कर दिया है। इस बजट में नई टैक्स व्यवस्था का ऐतिहासिक ऐलान किया गया है।

New tax slabs vs old tax slabs
New Income Tax Slabs: इनकम टैक्स पर सरकार का एतिहासिक फैसला  |  तस्वीर साभार: Times Now

नई दिल्ली: शनिवार को पेश हुए आम बजट 2020 में वित्त मंत्री निर्माला सीतारमण ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए टैक्स स्लैब में बदलाव की घोषणा की है। हालांकि ये सिर्फ टैक्स स्लैब में बदलाव नहीं है, बल्कि सरकार एक देश दो टैक्स व्यवस्था लेकर आई है। जिसमें करदाता अपनी इच्छा के अनुसार नए या पुराने टैक्स सिस्टम का चुनाव कर सकते हैं। नए टैक्स व्यवस्था में सरकार टैक्स दर कम करने के साथ कई टैक्स छूट खत्म कर दी हैं। 

नए नियम के मुताबिक, 5 लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये के बीच अब 10 फीसदी टैक्स लगेगा। 5 लाख के ऊपर कोई टैक्स नहीं लगेगा। वहीं 7.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये की आय पर 15 फीसदी टैक्स लगेगा, जो मौजूदा टैक्स व्यवस्था में 5 लाख से 10 लाख रुपये की आय पर 20 फीसदी टैक्स लगता है। 

वहीं 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये के बीच 20 फीसदी टैक्स लगेगा, जो मौजूदा व्यवस्था में 30 फीसदी टैक्स के तहत आता है। जबकि 12.5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये के बीच 25 फीसदी टैक्स लगेगा जो मौजूदा व्यवस्था में 30 फीसदी के तहत आता है। 15 लाख के ऊपर 30 फीसदी टैक्स ही लगेगा। 

वित्त मंत्री ने अपने भाषण में कहा, 'बजट 2020 टैक्स पेयर को अपनी सुविधा के अनुसार इनकम टैक्स व्यवस्था चुनने का विकल्प प्रदान कर रहा है। करदाता मौजूदा और नई व्यवस्था में से किसी एक का चयन कर सकते हैं। नई टैक्स व्यवस्था में करदाताओं को नया टैक्स स्लैब और नए रेट मिलते हैं, लेकिन टैक्स राहत नहीं मिलेगी।'

कौन सी टैक्स व्यवस्था आपके लिए बेहतर है, इसका आंकलन व्यक्तिगत आय के आधार पर किया जा सकता है। यानी एक व्यक्ति की आय कितनी है, उसे इसका ध्यान रखते हुए ही टैक्स व्यवस्था का चुनाव करना चाहिए। टैक्स व्यवस्था का आंकलन करने के लिए करदाता को अपनी आय की गणना करनी होगी। उदाहरण के लिए, जिन करदाता ने लॉन्ग टर्म पॉलिसी खरीद रखी है, उन्हें अपना प्रीमियम भरते रहना होगा और उन्हें इसका लाभ उठाने के लिए पुरानी व्यवस्था में रहना चाहिए। 

Income tax

बैंक बाजार के सीईओ, आदिल शेट्टी ने बताया, 'ज्यादा से ज्यादा से लाभ पाने के लिए करदाताओं को टैक्स व्यवस्था को समझना होगा। टैक्स पेयर को समझना होगा कि वह क्या क्लेम करना चाहते हैं या क्या नहीं। नई टैक्स व्यवस्था सिर्फ उन करदाताओं के लिए है जो छूट क्लेम नहीं करेंगे। नई व्यवस्था के तहत 30 फीसदी टैक्स जो लंबे समय से 10 लाख से ज्यादा की आय पर लग रहा था वह अब 15 लाख के ऊपर चला गया है। इसमें लगभग 50 फीसदी का इजाफा हुआ है। वहीं 5 लाख रुपये तक की आय को टैक्स से बाहर कर दिया गया है। कम टैक्स रेट 5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये की आय पर लग रहा है।'

उन्होंने बताया, 'नए टैक्स स्लैब का वह करदाता पसंद करेंगे जो टैक्स व्यवस्था को आसान बनाने की मांग करते रहे हैं। हालांकि, जो टैक्स पेयर टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट जारी रखना भी चाहते हैं। ऐसी उन्हें नई प्रणाली में जाने से पहले इसकी कैलकुलेशन करनी होगी कि उन्हें नए या पुराने किस व्यवस्था में फायदा होगा।'

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