जब सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली ने मैच फिक्‍सरों को सिखाया सबक, टीम इंडिया से मिटाया ये 'दाग'

Sachin Tendulkar and Sourav Ganguly: 1998 निदाहास ट्रॉफी का फाइनल भारत और श्रीलंका के बीच खेला जाना था। एक दिन पहले तेंदुलकर गांगुली के पास जाकर बताते हैं कि कल का मैच फिक्‍स होने की खबर आई है।

sourav ganguly and sachin tendulkar
सौरव गांगुली और सचिन तेंदुलकर 
मुख्य बातें
  • सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली ने मैच फिक्सिंग से टीम को बचाया
  • खबर थी कि भारत के हारने पर फिक्सिंग तय की गई है
  • तेंदुलकर और गांगुली ने शतक जमाए व भारतीय टीम ने मुकाबला जीता

नई दिल्‍ली: 1990 के समय में भारतीय क्रिकेट मैच फिक्सिंग के मामलों से जूझ रहा था। भारत में क्रिकेट को धर्म जैसे माना जाता है, जिसके प्रति लोगों की श्रद्धा मैच फिक्सिंग के कारण कम होने लगी थी। टीम इंडिया में फिर सौरव गांगुली के रूप में लीडर आया, जिसने फिक्सिंग जैसे धब्‍बों को मिटाने का बीड़ा उठाया। उन्‍हें अपने साथियों का इसमें बखूबी साथ मिला, जो दुनिया के जाने-माने क्रिकेटर माने जाते हैं। 'गांगुली ब्रिगेड' ने न सिर्फ फैंस का भरोसा जीता, बल्कि इस खेल की लोकप्रियता में चार चांद भी लगा दिए। यह गांगुली की दिखाई राह ही थी कि भारत आगे चलकर 2007 वर्ल्‍ड टी20 और 2011 विश्‍व कप जीतने में कामयाब रहा।

चलिए आपको वो किस्‍सा आज बताते हैं जब महान सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली ने भारत को मैच फिक्सिंग से बचाया था। यह वाकया 1998 निदाहास ट्रॉफी के फाइनल से पहले का है। बता दें कि निदाहास ट्रॉफी में तीन टीमों, न्‍यूजीलैंड, श्रीलंका और भारत ने हिस्‍सा लिया था। एशियाई टीमों ने दमदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल में जगह पक्‍की की। अब मैच से पहले एक ऐसी खबर आई कि सचिन तेंदुलकर हक्‍के-बक्‍के रह गए।

फाइनल मुकाबला फिक्‍स

फाइनल मैच से पहले खबरें आईं थी कि बुकियों ने सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली से संपर्क साधने की कोशिश की है। उसी समय टीम इंडिया के हेड कोच अंशुमन गायकवाड़ को फोन आया, जिसमें सामने से व्‍यक्ति ने कहा- भारत फाइनल में हारेगा।  बाद में सचिन तेंदुलकर सौरव गांगुली के कमरे में गए और उन्‍हें यह चौंकाने वाली खबर सुनाई। तेंदुलकर ने कहा कि मैंने एक सीनियर खिलाड़ी को कहते हुए सुना कि भारत फाइनल में हारेगा।

दादा का मास्‍टरस्‍ट्रोक

सौरव गांगुली ने कहा कि मैच फिक्‍सरों ने अपना काम कर लिया और अब हम उनको सबक सिखाएंगे। कल ज्‍यादा से ज्‍यादा हम दोनों क्रीज पर समय बिताएंगे और फिक्सिंग जैसा कुछ होने नहीं देंगे। 7 जुलाई 1998 को कोलंबो में भारत और श्रीलंका के बीच निदाहास ट्रॉफी का फाइनल मैच खेला गया। भारतीय कप्‍तान मोहम्‍मद अजहरूद्दीन ने टॉस जीतकर पहले बल्‍लेबाजी का फैसला किया। बस यही मौका था। 

सौरव गांगुली और सचिन तेंदुलकर ने मैच फिक्‍सरों को सबक सिखाया और पहले विकेट के लिए 252 रन की साझेदारी कर डाली। दोनों बल्‍लेबाजों ने अपने-अपने शतक पूरे किए। सचिन तेंदुलकर ने 131 गेंदों में 8 चौके और दो छक्‍के की मदद से 128 रन बनाए। गांगुली ने 136 गेंदों में 6 चौके और दो छक्‍के की मदद से 109 रन बनाए। टीम इंडिया ने निर्धारित 50 ओवर में 6 विकेट खोकर 307 रन बनाए।

अगरकर ने झटके चार विकेट

उस समय 307 रन का लक्ष्‍य विशाल माना जाता था। श्रीलंकाई टीम ने फाइनल जीतने के लिए अपना पूरा जोर लगाया। भारत की तरफ से सबसे सफल गेंदबाज अजित अगरकर रहे, जिन्‍होंने 10 ओवर में 53 रन देकर चार विकेट झटके। श्रीलंकाई टीम 49.3 ओवर में 301 रन पर ऑलआउट हुई। टीम इंडिया ने इस तरह 6 रन से फाइनल मुकाबला जीता और भारत फिक्सिंग के साएं से दूर हुआ।

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